May 2, 2024 : 3:31 PM
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पंजाब की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी बनेगा कृषि एक्ट के खिलाफ कानून, बालासाहेब थोरात ने किया एलान

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पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तर्ज पर केंद्रीय कृषि एक्ट के खिलाफ महाराष्ट्र में भी कानून बनेगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट कमेटी गठित की जाएगी। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष व सूबे के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में हरित क्रांति आई और कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ था। लेकिन मौजूदा सरकार किसान हितैषी नहीं है। 

महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जहां संसद में कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से पहले ही कानून लागू हो गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने जून महीने के पहले सप्ताह में ही कृषि कानून में सुधार के लिए अध्यादेश जारी किया था। इसी अध्यादेश के तहत महाराष्ट्र पणन (मार्केटिंग) विभाग ने 7 अगस्त को राज्य के मार्केटिंग निदेशक को मंडियों में नए कानून लागू करने का आदेश जारी कर दिया था।

उसके बाद मार्केटिंग निदेशक सतीश सोनी ने 10 अगस्त को सभी मंडियों को आदेश जारी कर दिया था कि राज्य में प्रस्तावित कृषि कानून के तीनों अधिनियमों को सख्ती से लागू किया जाए। लेकिन, संसद में कांग्रेस की ओर से कृषि कानून का विरोध शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए नए कानून के अमल पर रोक लगा दी। पहले कृषि कानून का समर्थन करने वाली शिवसेना भी अब पूरी तरह से कृषि कानून के खिलाफ है। थोरात ने कहा कि महाराष्ट्र में केंद्रीय कृषि कानून लागू नहीं किया जाएगा।

कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने जुटाए 60 लाख हस्ताक्षर

कृषि कानून का विरोध कर रही कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने इसके खिलाफ करीब 60 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाए हैं। बालासाहेब थोरात ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी एच के पाटिल को किसानों के हस्ताक्षरयुक्त कागजात सौंपे। थोरात ने बताया कि कृषि कानून रद्द करने के लिए कांग्रेस ने देशभर में 2 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का अभियान शुरू किया है।

दो अक्तूबर से कृषि कानून के खिलाफ राज्यभर में सभाएं आयोजित कर किसानों के हस्ताक्षर लिए गए और राज्य के हर जिले में ट्रैक्टर रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं, पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों का कृषि कानून विरोधी रुख देश को नई दिशा देगा।

सार
महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जहां संसद में कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से पहले ही कानून लागू हो गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने जून महीने के पहले सप्ताह में ही कृषि कानून में सुधार के लिए अध्यादेश जारी किया था…

विस्तार
पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तर्ज पर केंद्रीय कृषि एक्ट के खिलाफ महाराष्ट्र में भी कानून बनेगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट कमेटी गठित की जाएगी। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष व सूबे के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश में हरित क्रांति आई और कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ था। लेकिन मौजूदा सरकार किसान हितैषी नहीं है।

 

महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जहां संसद में कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने से पहले ही कानून लागू हो गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने जून महीने के पहले सप्ताह में ही कृषि कानून में सुधार के लिए अध्यादेश जारी किया था। इसी अध्यादेश के तहत महाराष्ट्र पणन (मार्केटिंग) विभाग ने 7 अगस्त को राज्य के मार्केटिंग निदेशक को मंडियों में नए कानून लागू करने का आदेश जारी कर दिया था।
उसके बाद मार्केटिंग निदेशक सतीश सोनी ने 10 अगस्त को सभी मंडियों को आदेश जारी कर दिया था कि राज्य में प्रस्तावित कृषि कानून के तीनों अधिनियमों को सख्ती से लागू किया जाए। लेकिन, संसद में कांग्रेस की ओर से कृषि कानून का विरोध शुरू होने के बाद राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए नए कानून के अमल पर रोक लगा दी। पहले कृषि कानून का समर्थन करने वाली शिवसेना भी अब पूरी तरह से कृषि कानून के खिलाफ है। थोरात ने कहा कि महाराष्ट्र में केंद्रीय कृषि कानून लागू नहीं किया जाएगा।

कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने जुटाए 60 लाख हस्ताक्षर

कृषि कानून का विरोध कर रही कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने इसके खिलाफ करीब 60 लाख लोगों के हस्ताक्षर जुटाए हैं। बालासाहेब थोरात ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी एच के पाटिल को किसानों के हस्ताक्षरयुक्त कागजात सौंपे। थोरात ने बताया कि कृषि कानून रद्द करने के लिए कांग्रेस ने देशभर में 2 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का अभियान शुरू किया है।

दो अक्तूबर से कृषि कानून के खिलाफ राज्यभर में सभाएं आयोजित कर किसानों के हस्ताक्षर लिए गए और राज्य के हर जिले में ट्रैक्टर रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया। वहीं, पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों का कृषि कानून विरोधी रुख देश को नई दिशा देगा।

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