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लद्दाख में सेना की तैयारी: सीमा पर तैनात सैनिकों को मिली नई हाउसिंग फेसिलिटी, माइनस 40 डिग्री तापमान में भी रह सकेंगे जवान

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नई दिल्ली12 मिनट पहले

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सेना के लिए तैयार नई हाउसिंग फेसिलिटी में तमाम जरूरी सुविधाओं का इंतजाम किया गया है।

चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख में तैनात रहने वाले सैनिकों के लिए आधुनिक आवास तैयार किए हैं। इनके बन जाने से सर्दियों के मौसम में भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमता में इजाफा होगा।

सेना ने कहा- नए आवास बेहतर सुविधाओं से लैस हैं। बिलकुल नई तकनीक से बने आवासों में जवान रह सकेंगे। इनमें बिजली, पानी, हीटिंग की सुविधा के साथ स्वास्थ्य और सफाई का भी ध्यान रखा गया है। आर्मी के पास अब तक सर्दियों में तैनाती के लिए स्मार्ट कैंप्स मौजूद थे। नए आवास उनकी कमी भी पूरी करेंगे।

हीटेड टेंट में रहते हैं फ्रंटलाइन पर तैनात सैनिक

सेना ने कहा- फ्रंटलाइन पर तैनात सैनिकों को हीटेड टेंट में रखा जाता है। उनकी तैनाती रणनीतिक तौर पर अलग-अलग जगह पर की जाती है। इसलिए, आपात स्थिति में मदद के लिए जरूरी सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर की पहचान भी की गई है।

सर्दियों में माइनस 40 डिग्री तक रहता है तापमान

सर्दियों में लद्दाख का तापमान 30 से 40 डिग्री तक गिर जाता है। नवंबर महीने के बाद यहां 40 फीट तक बर्फ गिरती है। इस दौरान पूरे इलाके का सड़क संपर्क भी कट जाता है। ऐसे हालात में सर्दियों में सीमा पर तैनात सैनिकों की ऑपरेशनल एफिशिएंसी बनी रहना जरूरी है। इस सैक्टर में तैनात होने वाले सभी सैनिकों को नए आवासों में ही रखा जाएगा।

भारत-चीन के बीच 7 महीने से तनाव बना हुआ है

पूर्वी लद्दाख में मई के महीने से ही भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। इसी दौरान गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 जवान शहीद हुए थे। वहीं, चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे। हालांकि, चीन ने सैनिकों के मारे जाने पर चुप्पी साध रखी है।

तीन फेज में बॉर्डर से सेनाओं की वापसी होगी

दोनों देश कई दौर की बातचीत के बाद सेनाओं को पीछे हटाने पर राजी हुए हैं। डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को 3 फेज में पूरा किया जाएगा।

पहले कदम के तौर पर टैंक और आर्मर्ड पर्सनल कैरियर्स को दोनों तरफ फ्रंटलाइन से महत्वपूर्ण दूरी पर पीछे हटाया जाएगा। स्पष्ट है कि इस तरह के हथियारों में लंबी दूरी तक घातक क्षमता होती है और उन्हें पीछे ले जाने से दोनों ओर से आक्रामक मुद्रा में नरमी आ जाएगी।दूसरे कदम के तौर पर दोनों पक्षों को पैगॉन्ग त्सो झील के उत्तरी किनारे से पीछे हटना है। भारतीय जवानों को धन सिंह थापा पोस्ट तक हटना है जबकि चीनी साइड को ईस्ट ऑफ फिंगर 8 तक हटना है।तीसरे कदम के तौर पर दोनों पक्ष पैगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी किनारे के साथ सीमा रेखा से अपने-अपने स्थान से पीछे हटेंगे। इसमें चुशुल और रेजांग ला एरिया के आसपास की ऊंचाइयां शामिल हैं।

चीन पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करेगा भारत

डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को वेरिफाई करने के लिए भारतीय और चीनी मिलिट्री जॉइंट मैकेनिज्म में भाग लेगी, जिसके लिए प्रतिनिधियों की बैठक के साथ-साथ मानवरहित विमानों (UAV) का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, पिछले अनुभवों को देखते हुए भारत इस बार चीन पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहता है। ऐसे में नई हाउसिंग फेसिलिटी से सीमा पर भारत की पोजिशन बेहतर हो सकेगी।

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