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CBI से पूछा- कितने समय में जांच पूरी होगी? 25 नवंबर को केस की स्टेट्स रिपोर्ट मांगी

लखनऊ2 घंटे पहले

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कोर्ट ने 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान विवेचना की स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है।

  • गुरुवार की देर शाम दो नवंबर को हुई सुनवाई का आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार की देर शाम हाथरस केस में दो नवंबर को हुई सुनवाई का आदेश जारी कर दिया। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की डिवीजन बेंच ने CBI से पूछा है कि मामले की विवेचना कितने समय में पूरी होगी? कोर्ट ने 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान विवेचना की स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है।

कोर्ट ने कहा- अभियुक्तों को सुने जाने का अधिकार नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में 2 नवंबर को हुई सुनवाई प्रक्रिया को दर्ज किया है। कोर्ट के समक्ष अभियुक्तों की ओर से एक प्रार्थना पत्र मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने के संबंध में भी दाखिल किया गया। जिसे कोर्ट ने निस्तारित करते हुए कहा कि वर्तमान मामले में कोर्ट दो बिंदुओं पर सुनवाई कर रही है, पहला सर्वोच्च न्यायालय के 27 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में विवेचना की मॉनीटरिंग के लिए व दूसरा मृतका के अंतिम संस्कार के मुद्दे पर। कोर्ट ने कहा कि इन दोनों ही बिंदुओं पर अभियुक्तों को सुने जाने का अधिकार नहीं है, लिहाजा वे इस स्तर पर आवश्यक पक्षकार नहीं हैं। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान मामले की सुनवाई के दौरान यदि किसी प्रकार से उनके अधिकार प्रभावित होते हैं या प्रभावित होने की सम्भावना होती है तो उन्हें सुनवाई का अधिकार प्राप्त होगा।

अभियुक्तों की ओर से एक अन्य प्रार्थना पत्र मीडिया को ट्रायल को प्रभावित करने वाली खबरें न दिखाने का निर्देश देने के संबंध में भी दाखिल किया गया था। इसे भी कोर्ट ने निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हमने 12 अक्टूबर के अपने आदेश में ही इस संबंध में मीडिया और राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वे ऐसा कोई विचार न व्यक्त करें जो सामाजिक सद्भाव के विरुद्ध हो व जिससे पीड़िता के परिवार अथवा अभियुक्तों के अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़े।

कोर्ट ने इसके अतिरिक्त किसी भी निर्देश की आवश्यकता नहीं पाई। हालांकि यह जरूर स्पष्ट किया कि यदि पीड़िता के परिवार अथवा अभियुक्तों के अधिकारों को या विवेचना को प्रभावित करने वाली कोई बात आती है तो हम उस पर अवश्य संज्ञान लेंगे।

सरकार से पूछा- जांच के दौरान डीएम का जिले में रहना उचित है?
जिलाधिकारी हाथरस प्रवीण कुमार के संबंध में भी कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि विवेचना के दौरान क्या उन्हें हाथरस में बनाए रखना निष्पक्ष और उचित है। कोर्ट ने कहा कि हमारे समक्ष भी जो प्रक्रिया चल रही है, अवैध अंतिम संस्कार इत्यादि से संबंधित उससे भी वह जुड़े हुए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्या यह उचित नहीं होगा कि सिर्फ निष्पक्षता व पारदर्शिता के लिए, इन प्रक्रियाओं के दौरान उन्हें कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए। इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अगली सुनवाई पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की बात कही है।

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