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ब्लड प्रेशर घटाने और हार्ट अटैक रोकने के लिए सेब, अंगूर, बेरी और चाय लें; इनमें मौजूद फ्लेवेनॉल हार्ट डिसीज से बचाता है

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18 घंटे पहले

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  • ब्रिटेन में 25 हजार लोगों पर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई
  • मरीजों का ब्लड चेकअप करके फ्लेवेनॉल और बीपी के बीच कनेक्शन निकाला गया

बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करना है तो सेब, अंगूर, बेरी और चाय ले सकते है। इनमें फ्लेवेनॉल अधिक पाया जाता है जो बीपी कंट्रोल करते है। ब्रिटेन में 25 हजार लोगों पर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्चर्स ने मरीजों का ब्लड चेकअप किया। इससे पता लगाया कि वे किस तरह की डाइट ले रहे हैं उनमें फ्लेवेनॉल और दूसरे पोषक तत्वों का स्तर क्या है। उनका मेटाबॉलिज्म कैसा है।

ऐसे हुई रिसर्च

यह रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, रीडिंग यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस एंड मार्स ने मिलकर की है। रिसर्च में सामने आया कि जिन लोगों में फ्लेवेनॉल की मात्रा पर्याप्त थी उनमें हृदय रोगों के मामले कम थे। रिसर्चर हेगल कहते हैं, इसे समझने के लिए हमें दो तरह के लोगों का चुनाव किया। पहला, जिनमें फ्लेवेनॉल 10 फीसदी कम था। दूसरा, जिनमें फ्लेवेनॉल 10 फीसदी ज्यादा था। दोनों की तुलना की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि जिनमें फ्लेवेनॉल ज्यादा था उनमें हायपरटेंशन यानी हाई बीपी के मामले न के बराबर दिखे।

रीडिंग यूनिवर्सिटी की न्यूट्रिशनिस्ट गुंटूर कुन्ह्ले के मुताबिक, यह पहली रिसर्च है जो हेल्थ और किसी खास तरह के न्यूट्रिएंट के बीच कनेक्शन को बताती है। यह राहत देने वाली बात है। डाइट में फ्लेवेनॉल लेने के लिए चाय, सेब, बेरीज, अंगूर ले सकते हैं।

याद्दाश्त घटने से भी रोकता है फ्लेवेनॉल
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में पब्लिश रिसर्च कहती है, लम्बे समय से फ्लेवेनॉल ले रहे हैं तो याद्दाश्त भी दुरुस्त रहती है। यह मेमोरी से जुड़े रोग अल्जाइमर्स और डिमेंशिया का खतरा भी घटाता है। रिसर्च 2800 लोगों पर की गई थी। इसमें 52 फीसदी महिलाएं थीं। रिसर्च में शामिल लोगों की औसत उम्र 59.1 साल थी।

ब्लड प्रेशर के डर को ऐसे समझें

मेडिकल न्यूट्रशीनिस्ट डॉ बिस्वरूप राय चौधरी का कहना हैं कि ब्लड प्रेशर बीमारी नहीं, यह शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव का एक लक्षण है। इसे काबू करने के दो फॉर्मूले हैं। पहला, अपनी रोज के खाने में 50 फीसदी फल और कच्ची सब्जियां खाएं। दूसरा, नमक और तेल से दूर रहें।

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक पेशेंट जैसे ही डॉक्टर को देखता है उसका बीपी बढ़ना शुरू हो जाता है। जैसे वह हॉस्पिटल से बाहर आता है, बीपी सामान्य होना शुरू हो जाता है। मेडिकल भाषा में इसे ‘व्हाइट कोट सिंड्रोम’ कहते हैं। दवा लेने वाले 80 फीसदी मरीजों में यह सिंड्रोम देखा गया है। ऐसे मरीजों को दवा की इतनी जरूरत नहीं होती। इस तरह बीपी केवल कुछ समय के लिए अचानक बढ़ता है।

उदाहरण के लिए, अचानक सांप दिख जाने पर हार्ट बीट बढ़ेगी तो बीपी भी बढ़ जाएगा। ऐसी स्थिति में दिमाग हमें परिस्थिति से लड़ने और भागने के लिए अलर्ट भेजता है। इसलिए ब्लड प्रेशर बीमारी नहीं, यह इमरजेंसी में हमे तैयार करने का एक माध्यम जैसा है।

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