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- The Constellation Of Stars Ceased As Hydrogen Dissipated; This Process Slowed Down 1000 Million Years Ago
नई दिल्ली4 घंटे पहले
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शुरुआती तारामंडलों में 100 से 200 करोड़ साल तक ही गैसीय अणुओं से तेजी से तारे बने। (फाइल फोटो)
(अनिरुद्ध शर्मा) आकाश में टिमटिमाते तारे बनने बंद हो चुके हैं। सुनने में यह अजीब है, लेकिन सच है। करीब एक हजार करोड़ साल पहले तारे बनने की प्रक्रिया धीमी हो गई थी। लेकिन तारामंडलों में उपलब्ध हाइड्रोजन गैस अणु खत्म होने के बाद तारे बनने बंद हो गए हैं।
भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे बड़े टेलीस्कोप से 8500 तारामंडलों का निरीक्षण कर तारे नहीं बनने के कारणों के रहस्य से पर्दा उठाया है। भारतीय वैज्ञानिकों का यह शोध विज्ञान की प्रतिष्ठित मैग्जीन ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है। इस शोध की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे भारतीय खगोलविदों की टीम ने तैयार किया है।
इसमें पूरी तरह भारतीय संसाधन जुटाकर खासकर जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) का इस्तेमाल किया गया है। इस टीम में पुणे स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स और बेंगलुरू के रमण रिसर्च इंस्टीट्यूट के आदित्य चौधरी, निसिम कनेकर, जयराम चेंगालुर, शिव सेठी व केएस द्वारकानाथ शामिल हैं।
100-200 करोड़ साल तक बहुत तेजी से बने थे तारे: चौधरी
शोध के लेखक आदित्य चौधरी बताते हैं- ‘शुरुआती तारामंडलों में 100 से 200 करोड़ साल तक ही गैसीय अणुओं से तेजी से तारे बने। उसके बाद जब हाइड्रोजन गैस की उपलब्धता खत्म हो गई तो तारे बनने की प्रक्रिया भी धीमी पड़ गई और अंतत: वह बंद हो गई।
सुदूर तारामंडलों में हाइड्रोजन अणुओं के भार का आकलन जीएमआरटी के अपग्रेडेड वर्जन की वजह से संभव हो सका।’ प्रो. निसिम कनेकर ने कहा- ‘तारों की बनने की प्रक्रिया के खत्म होने के प्रत्यक्ष प्रमाण के साथ व्याख्या देने वाला यह दुनिया का पहला शोध है।’