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- Madhya Pradesh Rs 50 Crore Ration Scam Update; Mafia Mohan Aggarwal Arrested By Mhow Police
इंदौर3 घंटे पहले
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मुख्य आरोपी मोहन अग्रवाल।
- आईजी योगेश देशमुख ने कहा – मोहन लाल के पहले उसके तीन साथी गिरफ्त में आ चुके थे
- पुलिस-प्रशासन को 15 अक्टूबर को मोहनलाल की जमीन से 30 हजार लीटर केरोसिन मिला था
महू के सबसे चर्चित 50 कराेड़ रुपए के राशन घाेटाले में एक महीने से फरार माेहन अग्रवाल ने बुधवार को सरेंडर कर दिया। आईजी योगेश देशमुख ने मामले में कहा कि मोहनलाल के तीन साथी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। इस पूरे काम में संगठित गिरोह लगा हुआ था। इसमें एक से ज्यादा लोग शामिल हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले पुलिस-प्रशासन को अग्रवाल के बिचौली गांव के समीप जमीन पर अंडरग्राउंड टैंक मिला है। इस टैंक में पुलिस काे करीब 30 हजार लीटर केरोसिन मिला था।
15 अक्टूबर को मिला था अंडरग्राउंड टैंक
कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर महू प्रशासन द्वारा राशन घोटाले में फरार अग्रवाल की संपत्ति की पुलिस जांच कर रही थी। इस जांच में पुलिस काे अग्रवाल की बिचौली गांव में भी जमीन मिली थी। इस जमीन के बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही थी। पुलिस काे सूचना मिली कि इस जमीन पर अग्रवाल ने कंट्रोल से ब्लैक किए केरोसिन काे स्टाेर करने के लिए टैंक बना रखा है। इसके बाद पुलिस, प्रशासन व खाद्य विभाग की टीम माैके पर पहुंची व टैंक काे तलाशा। जिसमें से करीब 30 हजार लीटर केरोसिन मिला।
यह है मामला
सितंबर महीने में करीब 50 करोड़ के राशन घोटाले का खुलासा हुआ था। 17 अगस्त काे एसडीएम को जांच में पता चला कि एक गोदाम में सरकारी राशन के करीब 600 कट्टे चावल के रखे हुए हैं। यह गोदाम नागरिक आपूर्ति निगम के परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के बेटे मोहित का निकला। जांच में इन्होंने फर्जी बिल दिखाए। पड़ताल में सामने आया कि मोहनलाल ने अपने सहयोगी व्यापारी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल और शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों के साथ मिलकर राशन की हेरा-फेरी की है। मामले में परिवहनकर्ता मोहनलाल अग्रवाल के अलावा बेटे मोहित और तरुण, सहयोगी आयुष अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल सहित 4 राशन दुकान संचालक और सोसायटी के प्रबंधक पर किशनगंज और बड़गोंदा में केस दर्ज करवाया गया है।
मोहनलाल ऐसे करता था पूरा खेल
मोहनलाल उचित मूल्य की दुकानों को उसके हिस्से का पूरा राशन भेजकर पूरे बिलों पर साइन करवा लेता था। इसके बाद राशन की दुकान से करीब 8 से 10 क्विंटल राशन वापस ले लेता था। इसके लिए राशन दुकान संचालकों को मोहनलाल के बेटे तरुण द्वारा कुछ राशि का भुगतान कर दिया जाता था। मोहनलाल को दिए राशन की भरपाई दुकान संचालक लोगों को कम सामग्री देकर करते थे। मोहनलाल मंडी से फर्जी अनुज्ञा तैयार कर या खराब माल को शासन से मिले अच्छे माल से बदलकर खुले बाजार में बेचता था। चावल ही नहीं वह केरोसिन में भी इसी प्रकार की हेराफेरी करता था।