May 15, 2024 : 10:58 AM
Breaking News
MP UP ,CG

युवा मरीजों की मौत की मुख्य वजह स्टॉर्म, सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं; इंदौर में 263 लोगों की जान इसी वजह से गई

  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Indore
  • 659 Deaths, 263 Killed By Cytokine Storm; The Storm That Comes On The 5th Day Of The Disease Attacks The Lungs And Ends The Flow Of Oxygen In The Body

इंदौर40 मिनट पहलेलेखक: नीता सिसौदिया

  • कॉपी लिंक

स्टॉर्म के शिकार मरीजों को कोरोना ठीक होने के बाद भी ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही है।

  • बीमारी के 5वें दिन आने वाला तूफान, फेफड़ों पर अटैक कर शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो खत्म कर देता है
  • 181 नए मरीज, 5 दिन में आंकड़ा 200 से नीचे आया, 2 की मौत; कम एक्टिव लोगों को ज्यादा खतरा

36 साल की महिला के फेफड़े कोविड संक्रमण से 80 प्रतिशत खराब हो गए। महिला 6 दिन से होम आइसोलेशन में थी। डी-डायमर जांच से पता चला कि मरीज में ‘साइटोकॉइन स्टॉर्म’ आ चुका है। महिला को बचाया नहीं जा सका। इसी तरह 72 वर्षीय महिला के फेफड़े 50 प्रतिशत खराब हो गए। टॉसिलिजुमैब इंजेक्शन लगाया गया, प्लाज्मा थैरेपी दी, रेमेडेसिविर इंजेक्शन भी लगाए, लेकिन 2 हफ्ते भर्ती रहने के बाद भी मौत हो गई।

शहर में कोरोना से अब तक मारे गए 659 लोगों में करीब 40 फीसदी यानी 263 लोगों की जान इसी स्टॉर्म ने ली है। बाकी मरीजों की मौत एआरडीएस (एक्यूट ऑक्सीजन रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) से हुई। डॉक्टर्स के मुताबिक, युवाओं की कोरोना से मौत के लिए सबसे ज्यादा यही स्टाॅर्म जिम्मेदार है। प्रो. डॉ. मनोज केला कहते हैं कि स्वस्थ दिखने वाला मरीज भी स्टॉर्म के असर से अचानक गंभीर हो जाता है। टिश्यू तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचने की वजह से मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है।

इम्यून सिस्टम वायरस की बजाय शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है
चेस्ट फिजिशियन डॉ. रवि डोसी कहते हैं कि शरीर में साइटोकॉइन बनना नॉर्मल प्रोसेस है। कोरोना में यह अनकंट्रोल स्पीड से बनने लगते हैं। इसका तूफान सा आता है। इसीलिए इसे ‘साइटोकॉइन-स्टॉर्म’ कहते हैं। यानी कोविड-19 से लड़ने वाला हमारा इम्यून सिस्टम ओवर-रिएक्ट करता है। रोग प्रतिरोधक कोशिकाएं ही हमारे शरीर के विपरीत काम करने लगती हैं। जिन लोगों में इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो, उम्रदराज, पुरानी लंबी बीमारी से जूझ रहे और शारीरिक रूप से कम एक्टिव लोगों में इसका खतरा ज्यादा है। शहर में कोरोना से 40 फीसदी मौतें इसकी वजह से ही हुई हैं।

हर 100 में से 4 मरीजों में साइटोकॉइन-स्टॉर्म
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सलिल भार्गव कहते हैं कि ज्यादातर लोगों की मौत एक्यूट ऑक्सीजन रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एआरडीएस) से हुई है। डायबिटीज कंट्रोल करने में परेशानी हुई। साइटोकॉइन स्टॉर्म बीमारी के पांचवें या सातवें दिन आने वाला तूफान है। इसमें वायरस नाक और मुंह से होते हुए फेफड़ों पर अटैक करता है, जिस कारण वहां की एलोलाई कड़क हो रही है। यह जालीनुमा रचना होती है, जो ऑक्सीजन सोखती है और छोड़ती है, लेकिन पूरी तरह ब्लॉक होने से शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो खत्म हो जाता है। ऑर्गन फेल हो जाते हैं।

दुनिया को वुहान से मिली साइटोकॉइन-स्टॉर्म की जानकारी
साइटोकॉइन-स्टॉर्म की जानकारी दुनिया को वुहान से मिली। वहां रिसर्च में आईएल-2 और आईएल-6 का पता लगा जो स्टॉर्म के लक्षण थे। 150 केस पर हुई रिसर्च में पता लगा कि मरने वालों में आईएल-6 सीआरपी स्टॉर्म के मॉलिक्यूलर इंडिकेटर ज्यादा थे।

दो तरह से वार कर रहा कोरोना वायरस

  • पहला वायरस फेफड़े खराब कर देता है। दूसरी कैटेगरी ऐसे मरीजों की है, जिनके फेफड़ों पर वायरस का अटैक नहीं हुआ, लेकिन सोडियम का स्तर बढ़ गया।
  • मरीजों काे रिकवर होने में कई हफ्ते लग रहे हैं। रिकवरी टाइम अब बढ़कर 5 हफ्ते तक हो गया है।
  • निमाेनिया के बाद मरीज की एआरडीएस से मौत हो रही है। इसमें फेफड़ों में एक फ्लूइड जमा हो जाता है। इससे एयर पाइप में रुकावट आती है और मरीज सांस नहीं ले पाता।
  • बचाव के लिए जिंक, विटामिन-सी और मल्टी विटामिन की गोली लेने के बजाय प्राकृतिक रूप से खाने में इसकी मात्रा बढ़ाएं। नियमित एक्सरसाइज करें।

Related posts

कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए आए आगे: जैन मिलन संस्था ने बढ़ाया हाथ, उपलब्ध कराएंगे भोजन, राशन व दवाएं, चिकित्सकीय परामर्श भी दिलाएंगे

Admin

7 किसानों ने चाैकड़ी सोसाइटी के खाते में जमा किए ~ 12 लाख

News Blast

अलकायदा में कानपुर के 8 इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स:4 दिनों से सभी अंडरग्राउंड चल रहे; बकरीद से पहले बड़ी बैठक में तय होना था कि ब्लास्ट कहां-कहां करना है

News Blast

टिप्पणी दें