May 3, 2024 : 5:33 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

काकभुशुंडी और गरुड़ का प्रसंग, गरुड़ को श्रीराम के भगवान होने पर हो गया था संदेह, तब काकभुशुंडी ने गरुड़ को सुनाई थी रामकथा

  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Story Of Kakabhusundi And Garuda, Garuda And Lord Of Shriram, Kakbushundi Had Narrated Ramakatha To Garuda, Ramayana Unknown Facts

6 घंटे पहले

  • लोमश ऋषि के शाप की वजह से काकभुशुंडी बन गए थे कौवा, वे श्रीराम के परम भक्त थे

त्रेतायुग में श्रीराम और रावण का युद्ध चल रहा था। उस समय मेघनाद के नागपाश में श्रीराम और लक्ष्मण बंध गए थे। तब देवर्षि नारद के कहने पर गरुड़देव से श्रीराम-लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त कराया था। इसके बाद गरुड़देव को श्रीराम के भगवान होने पर संदेह हो गया था। गरुड़देव सोच रहे थे कि अगर राम भगवान के अवतार हैं तो वे एक सामान्य इंसान की तरह नागपाश में कैसे बंध गए? भगवान को कोई भी दिव्यास्त्र बंधक नहीं बना सकता है। गरुड़देव ये बात समझ नहीं सके कि ये सब श्रीराम की लीला ही थी।

गरुड़देव ने अपने संदेह की बात नारदमुनि को बताई। तब नारदजी ने उन्हें ब्रह्माजी के पास भेजा। ब्रह्माजी ने शिवजी के पास भेज दिया। जब गरुड़देव अपना संदेह दूर करने शिवजी के पास पहुंचे तो भगवान ने उन्हें काकभुशुंडी के पास भेज दिया। काकभुशुंडी ने गरुड़देव को पूरी रामकथा सुनाई और उनका संदेह दूर किया था। काकभुशुंडी ने गरुड़देव को समझाया कि भगवान ने नर रूप में अवतार लिया है। श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम हैं और वे हर काम अपने अवतार की मर्यादा में रहकर ही करते हैं। ये सब श्रीराम की लीला का ही हिस्सा है।

लोमश ऋषि ने काकभुशुंडी को दिया था शाप

काकभुशुंडी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे शिक्षा ग्रहण करने के लिए लोमश ऋषि के पास पहुंचे थे। लोमश ऋषि के शरीर पर बड़े-बड़े रोम थे। उन्होंने शिवजी से वरदान प्राप्त किया था कि जब तक उनके शरीर के सभी रोम खत्म नहीं हो जाते, तब तक उनकी मृत्यु न हो।

लोमश ऋषि से ज्ञान प्राप्त करते समय काकभुशुंडी तरह-तरह के तर्क-वितर्क करते थे। इससे क्रोधित होकर लोमश ऋषि ने उन्हें कौआ होने का शाप दे दिया था। काकभुशुंडी कौआ बन गए। इसके बाद जब लोमश ऋषि का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने काकभुशुंडी को राममंत्र दिया और इच्छामृत्यु का वरदान दिया। इसके बाद काकभुशुंडी श्रीराम के परम भक्त बन गए।

Related posts

अष्टवसु और बारह आदित्य सहित 33 कोटि देवताओं को ही माना जाता है 33 करोड़ देवी-देवता

News Blast

आषाढ़ महीने का पहला व्रत:कष्टों से मुक्ति के लिए रविवार को संकष्टी चतुर्थी पर की जाएगी गणेश पूजा

News Blast

कथा: जो लोग निस्वार्थ भाव से भक्ति करते हैं, उन्हें मिलती है भगवान की कृपा

Admin

टिप्पणी दें