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कमला हैरिस जानती हैं चुनाव जीतने का हुनर, उन्होंने ट्रम्प को कठघरे में खड़ा कर दिया; बाइडेन के साथ उनका तालमेल भी बेहतर

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वॉशिंगटन3 घंटे पहले

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थोड़ा पीछे जाकर देखते हैं। फरवरी में ऐसा लग रहा था जैसे प्रेसिडेंट इलेक्शन 2020 सिर्फ विचारधारा के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। दो बिल्कुल अलग विचारधाराओं के बीच। प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प खुद को लोकप्रिय और ताकतवर नेता मानते हैं। वे इससे जुड़े मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। दूसरी तरफ डेमोक्रेट्स हैं। वे हेल्थ केयर और न्यू ग्रीन डील जैसे मुद्दे भी लेकर आए। कुल मिलाकर एक तरफ राजनीति थी और दूसरी तरफ संस्कृति। इन दोनों के मेल पर चुनाव जाता दिख रहा था।

बदल गई तस्वीर
लेकिन, अब तस्वीर बिल्कुल बदली हुई नजर आ रही है। अब लग रहा है कि जैसे यह चुनाव अमेरिकी इतिहास का पहला ऐसा चुनाव है जहां विचारधारा की कोई जगह नहीं बची। सिर्फ दो मुद्दे नजर आ रहे हैं और दोनों को करंट अफेयर्स कहा जाएगा। पहला- ट्रम्प से कैसे छुटकारा पाया जाए। दूसरा- कोरोनावायरस को कैसे हराया जाए। ये बदलाव तीन स्तर पर आया। पहला- डेमोक्रेट्स के प्राइमरी वोटर्स ने ट्रम्प को हराने का फैसला किया। दूसरा- महामारी से कैसे निपटा जाए। तीसरा- जो बाइडेन और कमला हैरिस की रणनीति।

डिबेट में कमला हैरिस शानदार रहीं
बाइडेन और कमला हैरिस ने बहुत प्रोफेशनल तरीके से कैम्पेन चलाया। उन्होंने मीडिया को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। बल्कि, उस बड़े वर्ग पर फोकस किया जो परेशान हो चुका है। मिडिल क्लास लोगों तक पहुंच बनाई। फ्लोरिडा में रिटायर लोगों से मिले। और हर उस जगह तक पहुंचे, जहां लोग अपनी बात कहना चाहते थे। डेमोक्रेट्स की क्या रणनीति है? इसे आप उनके डिबेट परफार्मेंस में देख सकते हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि वाइस प्रेसिडेंशियल डिबेट में कौन जीता? लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि किसने इलेक्शन स्ट्रैटेजी के हिसाब से परफॉर्म किया। यहां कमला हैरिस साफ तौर पर आगे नजर आईं। रिपब्लिकन पार्टी और माइक पेन्स के पास कोई रणनीति ही नहीं थी।

हैरिस ने कमजोरियां दूर कर लीं
पिछले साल हैरिस ने डेमोक्रेट्स की डिबेट में हिस्सा लिया। कुछ लोगों ने उनकी काबिलियत पर सवाल उठाए। बतौर वकील उनके रिकॉर्ड का जिक्र किया गया। लेकिन, इसके बाद उन्होंने काफी मेहनत की। और ये फर्क अब साफ नजर आता है। पिछले साल उन्हें सीनेट का सबसे लिबरल मेंबर कहा गया था। उन्होंने न्यू ग्रीन डील का समर्थन किया। मेडिकेयर फॉर ऑल के साथ खड़ी नजर आईं। लेकिन, बुधवार को डिबेट में वे अलग दिखीं। कोविड-19 के मुद्दे पर उन्होंने ट्रम्प को कठघरे में खड़ा कर दिया। गर्भपात को महिला का अधिकार बताया। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर तर्क दिए। ओबामा केयर बिल का समर्थन किया।

नस्लवाद पर बहुत सावधानी से बोलीं
नस्लवाद और न्याय की बात हुई तो उन्होंने इसे सिस्टम का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया और बताया कि बतौर वकील वे इसे कैसे देखती हैं। विवादित बातों से वे बचती नजर आईं। इकोनॉमी से लेकर ग्रीन डील और फ्री कम्युनिटी कॉलेज पर भी बोलीं। रिपब्लिकन अकसर बाइडेन को कमजोर उम्मीदवार बताते हुए तंज कसते हैं। हैरिस ने इसका भी जवाब दिया। उन्होंने इशारों-इशारों में ये भी साफ कर दिया कि चुनाव जीतने के बाद उनका झुकाव वामपंथियों की तरफ होगा। बाइडेन और कमला हैरिस की जोड़ी दिखा रही है कि वे नए सिरे से शुरुआत करने में सक्षम हैं।

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