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800 साल से ज्यादा पुराना है 7 मंजिला नटराज मंदिर, पंच तत्वों में आकाश का प्रतिनिधित्व करता है ये तीर्थ

13 घंटे पहले

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  • सोने से बना है इस मंदिर का शिखर कलश, 10वीं से 12वीं सदी के बीच बना है ये मंदिर

तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम शहर में भगवान शिव का एक विशेष मंदिर है। इस मंदिर में नटराज के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस वजह से इसे चिदंबरम मंदिर या नटराज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में कांसे से बनी कई मूर्तियां हैं। माना जाता है कि ये 10वीं-12वीं सदी के चोल काल की हैं। दक्षिण भारत के ग्रंथों के मुताबिक चिदंबरम मंदिर उन पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है, जो प्राकृतिक के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।

सोने से बना मंदिर का शिखर कलश
चिदंबरम मंदिर दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य यहीं किया था। मंदिर में कुल नौ द्वार और नौ गोपुरम हैं, जो कि सात मंजिला है। इन गोपुरों पर मूर्तियों तथा अनेक प्रकार की चित्रकारी का अंकन है। इनके नीचे 40 फीट ऊंचे, 5 फीट मोटे तांबे की पत्ती से जुड़े हुए पत्थर की चौखटें हैं। मंदिर के शिखर के कलश सोने के हैं। मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं अंकित हैं।

किवदंती : यहां पार्वती जी ने मान ली हार
एक किवदंती यह है पहले यहां भगवान श्री गोविंद राजास्वामी रहते थे। एक बार शिवजी उनसे मिलने आए और शिवजी व पार्वती के बीच नृत्य प्रतिस्पर्धा के निर्णायक बनने को कहा। गोविंद राजास्वामी तैयार हो गए। काफी देर तक प्रतिस्पर्धा चलती रही। शिवजी विजयी होने की युक्ति जानने के लिए श्री गोविंद राजास्वामी के पास गए। उन्होंने एक पैर से उठाई मुद्रा में नृत्य करने का संकेत दिया। यह मुद्रा महिलाओं के लिए वर्जित थी। जैसे ही भगवान शिव इस मुद्रा में आए तो पार्वतीजी ने हार मान ली। इसके बाद शिवजी का नटराज स्वरूप यहां पर स्थापित हो गया।

नृत्य महोत्सव का होता है आयोजन
गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का मंदिर भी चिदंबरम मंदिर के इसी भवन में स्थित है। मंदिर में एक बहुत ही खूबसूरत तालाब और नृत्य परिसर भी है। यहां हर साल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर से कलाकार हिस्सा लेते हैं। नटराज शिव की मूर्ति मंदिर की एक अनूठी विशेषता है। नटराज आभूषणों से लदे हुए हैं, जिनकी छवि अनुपम है। यह मूर्ति भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है। शिव के नटराज स्वरूप के नृत्य का स्वामी होने के कारण भरतनाट्यम के कलाकारों में भी इस जगह का खास महत्व है।

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