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हरिहरन बोले- पहले स्टेज शो के दौरान दीदी ने ऑडियंस की ओर देखने से मना किया था, बाद में पता चली उनके ऐसा कहने की वजह

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  • Hariharan Remembers His Memories With Lata Mangeshkar On Her Birthday, Says Didi Refused To Look At The Audience During The First Stage Show, Later Found Out The Reason For Her Saying So

उमेश उपाध्याय, मुंबई4 घंटे पहले

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स्वर कोकिला लता मंगेशकर के 92वें जन्मदिन पर फेमस सिंगर हरिहरन ने उन्हें बधाई देते हुए उनके साथ काम करने का अपना अनुभव दैनिक भास्कर के साथ शेयर किया। उन्होंने बताया कि जब मैं पहली बार उनके साथ स्टेज शो में गा रहा था तो उन्होंने मुझे एक खास सीख दी थी।

हरिहरन ने कहा, ‘दीदी को जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक हो। यही प्रार्थना करता हूं कि वे स्वस्थ और खुश रहें। फिल्मों में गाने से पहले उनके साथ बंगाल, लंदन आदि जगहों पर बहुत बड़े-बड़े शोज किए हैं। उसके बाद उनके साथ लम्हे, सत्य आदि फिल्मों में गाने गाए। अपने पिताजी के नाम पर साल में एक बार प्रोग्राम करती थीं। उसमें मैंने तीन-चार साल परफॉर्म किया। उनके पिताजी के नाम पर जो अवॉर्ड है उसे भी दिया। मेरे लिए ये सौभाग्य की बात है कि सबसे पहले उन्होंने एक लाइव म्यूजिशियन को यह अवॉर्ड दिया।

दीदी ने ऑडियंस को देखने से मना किया था

‘ईस्ट बंगाल में उनके साथ पहली बार शोज में गा रहा था। गाना था ‘ये रात भीगी भीगी…’ स्टेज पर जाने से पहले उन्होंने कहा कि हरि पहली बार गा रहे हो तो ज्यादा ऊपर और ऑडियंस की तरफ मत देखना। अब कोई कहता है कि ऊपर मत देखना तो उसी बात के लिए उत्साहित रहते हैं।’

‘मना करने के बाद भी मैंने बात नहीं मानी’

‘पहला मुखड़ा गाया तो उन्हें बहुत अच्छा लगा। उन्होंने इशारों से भी कहा कि बहुत अच्छा लगा। लेकिन जैसे म्यूजिक बजने लगा मैंने चुपके से नजर उठाकर ऑडियंस की तरफ देख लिया। वहां पर लाख लोगों से ज्यादा ऑडियंस बैठी थी। पहली बार इतने लोगों को एक साथ देखकर चंद लम्हे के लिए मेरा ध्यान हट गया। फिर तो अंतरा शुरू होते ही गलती कर बैठा।’

‘मेरी गलती पर वो हंस रही थीं’

‘खैर गलती ऑडियंस को नहीं सिर्फ हमें ही मालूम पड़ी। लेकिन जब 2 मिनट बाद दीदी की तरफ देखा तो वे हंस रही थीं कि तुमने क्यों ऑडियंस की तरफ देखा। उनको ऑब्जर्व करने से ही हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।’

‘गाना याद नहीं होने तक वे माइक पर नहीं आतीं’

‘दीदी को जब तक गाना याद नहीं हो जाता, तब तक वे माइक के सामने नहीं आती। ऐसा कभी नहीं हुआ कि बिना याद किए माइक के सामने आ जाएं। रिहर्सल दो-तीन बार करने के बाद हर बार उसी तरह का गाना गाती थीं। दो-तीन रिहर्सल के बाद ऐसा लगता था कि गाने में क्या रोशनी आ गई।’

‘दीदी कैरम बहुत अच्छा खेलती हैं’

दीदी कैरम बोर्ड बहुत अच्छा खेलती हैं। वेरी गुड कैरम बोर्ड प्लेयर। मैंने उनके साथ उनके घर पर एक-दो बार कैरम खेला है। उनका कैरम बोर्ड खेलने का अंदाज ही अलग होता है। एकदम शार्प। उसे खेलने में भी एक अलग तरह की नजाकत होती थी, वे बिल्कुल अलग तरह से सोचती हैं।

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर पर हुआ था। वे पांच भाई-बहनों के बीच सबसे बड़ी हैं। इस खास मौके पर बॉलीवुड सिंगर उदित नारायण ने लता दीदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके साथ काम करने का अपना अनुभव दैनिक भास्कर के साथ साझा किया है। उन्होंने बताया कि लता दीदी के साथ गाना गाना ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा अवॉर्ड है।

(जैसा हरिहरन ने उमेश कुमार उपाध्याय को बताया)

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