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फेफड़े पंक्चर होने का मतलब क्या है, जिससे कोरोना से रिकवर होने वाले मरीज जूझ रहे हैं; एक्सपर्ट से समझिए

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  • Punctured Lungs In Coronavirus COVID Patients; All You Need To Know In Simple Words

30 मिनट पहले

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  • एक्सपर्ट के मुताबिक, 100 में से एक कोरोना संक्रमित के फेफड़े हो रहे पंक्चर, वैज्ञानिक भाषा में इसे नीमोथेरैक्स कहते हैं
  • कई बार मरीज जोर-जोर से सांस लेते हैं और इंटरनल प्रेशर बढ़ने से फेफड़ोंं में छेद हो जाता है, इलाज न मिलने पर सांस भी रुक सकती है

कोरोना के बदलते लक्षणों से लेकर रिकवरी के बाद तक मरीज कई दिक्कतों से जूझ रहे हैं। ऐसी ही एक समस्या है फेफड़ों का पंक्चर हो जाना। यह क्या है और ऐसा क्यों हो रहा है, इसका जवाब आईएमए के पूर्व सचिव डॉ. नरेंद्र सैनी ने दिया। डॉ. नरेंद्र कहते हैं, कोविड से ठीक होने वाले मरीजों फेफड़े पंक्चर के कुछ मामले सामने आए हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे नीमोथोरैक्स कहते हैं।

कुछ मरीजों में ऐसा पाया गया है कि फेफड़ों के अंदर की लेयर डैमेज होने के कारण हवा फेफड़े के ऊपरी कवर (प्लूरा) में चली जाती है। नीमोथेरैक्स के मामले कोरोना के उन मरीजों में पाए गए हैं जो पहले से अस्‍थमा के मरीज हैं, या सांस की तकलीफ है, या टीबी के मरीज हैं।

कई बार कोरोना के मरीजों को रेस्‍प‍िरेट्री डिस्‍ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। वो जोर-जोर से सांस लेते हैं और इंटरनल प्रेशर बढ़ जाता है। प्रेशर की वजह से फेफड़ों में छेद हो जाता है और हवा प्लूरा के अंदर घुस जाती है। यह एक खतरनाक बीमारी है। समय पर इलाज नहीं मिलने पर सांस रुक भी सकती है।

क्या है रिचार्जेबल मास्क

बाजार में इन दिनों नए तरह के मास्क आ रहे हैं। सर्जिकल, डिस्पोजल, एन95 के बाद अब रिचार्जेबल मास्क चर्चा में है। यह मास्क कैसे काम करता है, इस पर डॉ. नरेंद्र का कहना है, यह मास्क दो तरीकों से कीटाणुओं को रोकता है। पहला इसके पोर्स बहुत छोटे होते हैं। इसे मैकेनिकल फिल्ट्रेशन कहते हैं। दूसरा इसके अंदर इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज होते हैं, जो कीटाणुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और बाहर ही रोक देते हैं।

मैकेनिकल फिल्ट्रेशन तो धूप या यूवी लाइट में रखने से बना रहता है, लेकिन इलेक्‍ट्रोस्टेटिक चार्ज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। ऐसे मास्क जिनमें इस चार्ज को वापस प्रवाहित किया जा सके, वो रिचार्जेबल मास्क होते हैं। ये अभी लैब में बने हैं, बाजार में नहीं आएं हैं।

रीयूज़ेबल एन95 मास्क लेने पर रहें सावधान
कॉटन के मास्क को तो दोबारा प्रयोग कर सकते हैं लेकिन इन दिनों एन95 मास्क को भी रीयूज़ेबल बता कर बेचा जा रहा है। इस पर डॉ. सैनी कहते हैं कि जो लोग एन95 मास्क पर रीयूज़ेबल लिख कर बेच रहे हैं, वो गलत कर रहे हैं। एन95 मास्क को दोबारा से साफ करने का कोई तरीका अभी तक नहीं है। घर के बने मास्क तो पानी से धुलकर दोबारा इस्‍तेमाल कर सकते हैं, लेकिन एन95 को नहीं।

एक स्टडी की गई, जिसमें इसे एक बार पहनने के बाद पांच दिन बाद इसे वापस पहनने की सलाह दी गई। इसमें कहा गया कि अगर मास्क रख रहे हैं, तो अखबार में लपेट कर रख दें, ताकि उसमें नमी न जाए। ध्‍यान रहे, एन95 को धुल कर इस्‍तेमाल करना सुरक्षित है, इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं।

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