April 27, 2024 : 12:35 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

समय अच्छा हो या बुरा, हर हाल में हमारे भाव एक जैसे रहना चाहिए, सुख के दिनों में ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए और दुख के दिनों में दुखी होने से बचें

  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Motivational Story About Good And Bad Time, We Should Think Positive, We Should Be Happy In Good And Bad Time, Prerak Prasang, Inspirational Story

11 घंटे पहले

  • एक संत के शिष्य को रोज सुबह-शाम मिल रहा था ताजा दूध, एक दिन आश्रम से गाय चली गई, इससे शिष्य दुखी हो गया, तब संत ने बताया सुखी जीवन का सूत्र

जीवन में सुखी रहना का मूल मंत्र यह है कि हमें हर हाल में समभाव रहना चाहिए। जब अच्छा समय रहता है तो हमें बहुत ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए, घमंड नहीं करना चाहिए। इसी तरह दुख के दिनों में दुखी नहीं होना चाहिए। धैर्य बनाए रखना चाहिए। क्योंकि, समय बदलता जरूर है। इस संबंध में महाभारत की एक नीति में बताया गया है कि हमारे भाव हर स्थिति में एक जैसे रहना चाहिए।

महाभारत के आदिपर्व में लिखा है कि-

दु:खैर्न तप्येन्न सुखै: प्रह्रष्येत् समेन वर्तेत सदैव धीर:।

दिष्टं बलीय इति मन्यमानो न संज्वरेन्नापि ह्रष्येत् कथंचित्।।

इस श्लोक के अनुसार व्यक्ति को कठिन समय में दुखी नहीं होना चाहिए। जब सुख के दिन हों तब हम बहुत ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए। सुख हो या दुख, हमें हर हाल में समभाव रहना चाहिए। जो लोग इस नीति का पालन करते हैं, उनका जीवन सफल हो सकता है।

इस लोक कथा के समझ सकते हैं, इस नीति का महत्व

प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय एक आश्रम में किसी व्यक्ति ने गाय दान में दी। गाय देखकर शिष्य बहुत खुश हुआ। उसने अपने गुरु को ये बात बताई तो गुरु ने कहा कि चलो अच्छा अब हमें रोज ताजा दूध पीने के लिए मिलेगा।

कुछ दिनों तक तो गुरु-शिष्य को रोज ताजा दूध मिला, लेकिन एक दिन वह दानी व्यक्ति आश्रम आया और अपनी गाय वापस ले गया। ये देखकर शिष्य दुखी हो गया। उसने गुरु से दुखी होते हुए कहा कि गुरुजी वह व्यक्ति गाय को वापस ले गया है।

गुरु ने कहा कि चलो ये भी अच्छा है, अब गाय का गोबर और गंदगी साफ नहीं करना पड़ेगी। ये सुनकर शिष्य ने पूछा कि गुरुजी आपको इस बात से दुख नहीं हुआ कि अब हमें ताजा दूध नहीं मिलेगा। गुरु बोले कि हमें हर हाल में समभाव ही रहना चाहिए। यही सफल जीवन का मूल मंत्र है।

जब गाय मिली तब हम बहुत ज्यादा खुश नहीं हुए और जब चली गए तब भी हम बिल्कुल भी दुखी नहीं हुए। ये बात ध्यान रखोगे तो हमेशा प्रसन्न रहोगे।

0

Related posts

7 दिन बाद रथयात्रा अपने मुख्य मंदिर पहुंची, इसे कहा जाता है बहुड़ा यात्रा, 2500 साल में पहली बार आम भक्त यात्रा में शामिल नहीं हुए

News Blast

आज का जीवन मंत्र: कुछ लोग सोचते हैं उनके घर में बेटा ही पैदा हो, बेटी नहीं; ये बहुत गलत सोच है

Admin

संक्रमण से बचने के लिए इम्युनिटी बढ़ाएं और गर्मी से लड़ने के लिए शरीर में पानी की मात्रा, ये 10 पॉइंट्स हमेशा याद रखें

News Blast

टिप्पणी दें