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डायबिटीज के रोगी तनाव से बचें, इससे ब्लड शुगर बढ़ता है और संक्रमण हुआ तो रिकवरी रेट गिरता है; याद रखें एक्सपर्ट की ये 10 सलाह

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एक घंटा पहले

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  • अगर क्वारैंटाइन में हैं और जी-मिचलाने, उल्टी आने या सांस लेने की तकलीफ हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें
  • रोजाना घर में हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें, 8 से10 घंटे की नींद लें और घर का बना ही खाना खाएं

महामारी के बीच डायबिटीज के रोगियों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सामान्य मरीजों के मुकाबले डायबिटीज के रोगियों में निमोनिया, फेफड़ों में सूजन तथा संक्रमण होने पर स्थिति काफी बिगड़ सकती है। इसकी वजह है इम्युनिटी।

एक्सपर्ट के मुताबिक, डायबिटीज के मरीजों की रोगों से लड़ने की क्षमता सामान्य रोगियों के मुकाबले काफी कम होती है। इससे उनकी आंतों में सूजन तथा जलन बढ़ सकती है। इस दौरान कोरोना संक्रमण होने पर जान का भी जोखिम बढ़ सकता है।

कोरोना महामारी की चपेट में आने के बाद कई बार रोगी तनाव में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर कोई मधुमेह से पीड़ित नहीं है, तो उसका भी शुगर का स्तर बढ़ जाता है और रिकवरी दर में गिरावट आ जाती है। इसलिए अलर्ट रहें।

कोरोनाकाल में डायबिटीज के रोगियों के लिए 10 टिप्स

1. एक हफ्ते की खुराक अपने पास जरूर रखें
गुरुग्राम की न्यूट्रिशन एंड फंक्शनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. प्रीति नन्दा सिब्बल कहती हैं, कोरोना महामारी के दौर में अगर इंसुलिन ले रहे हैं तो कम से कम एक हफ्ते की खुराक अपने पास जरूर रखें। अगर आप खुद को क्वारैंटाइन कर रहे हैं तो भी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन तथा पोषणयुक्त आहार साथ में जरूर रखें।

डॉक्टर से फोन या व्हाट्सअप के जरिए संपर्क में रहें। कोई भी दिक्कत होने पर वर्चुअल कॉन्फ्रेंस या वर्चुअल विजिट से सम्पर्क करें।

2. क्वारैंटाइन में हैं तो भी ब्लड शुगर जांचना न भूलें
अगर आपको लम्बे समय से अनियन्त्रित मधुमेह की शिकायत है तो शरीर के कई अंगों में सूजन या जलन हो सकती है और इम्युनिटी घट सकती है। यह भी देखने में आया है कि डायबिटीज के बुजुर्ग रोगी कोरोना संक्रमण में ज्यादा प्रभावित होते हैं।

अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं और कोरोना की चपेट में आ गए हैं तो बेहतर होगा कि परिजनों से दूरी बनाकर घर में क्वारैंटाइन हो जाएं। ऐसा करने पर आप मानसिक और शारीरिक तौर पर बेहतर महसूस करेंगे। लेकिन आपको ब्लड शुगर को नियमित रूप से जांचते रहना होगा।

3. कब डॉक्टर से सम्पर्क करें
अगर क्वारैंटाइन में हैं और ब्लड शुगर लगातार बेकाबू हो रहा है। इसके साथ जी-मिचलाने, उल्टी आने या सांस लेने की तकलीफ हो रही है तो इसका मतलब है संक्रमण और भी बुरा रूप ले रहा है। ऐसी स्थितियों में तुरंत डॉक्टरी सलाह लें।

4. इन बातों का जरूर ध्यान रखें
डॉ. प्रीति नन्दा का कहना है कि कोरोना संक्रमण में ब्लड शुगर कंट्रोल रखना, खानपान का ध्यान रखना और रोजाना एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है। अगर इसके रोगी हार्ट की समस्या से जूझ रहे हैं तो समय-समय पर ब्लड प्रेशर को भी चेक करने की जरूरत है।

5. मौसम कोई भी हो शरीर में पानी की कमी न होने दें
कोरोना संक्रमण होने पर मधुमेह रोगियों का गलुकोज स्तर बढ़ता है जिससे शरीर में तरल पदार्थ की जरूरत महसूस होती है। ऐसे में अपने पास साफ और ताजा पानी जरूर रखें। मौसम कोई भी हो रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना न छोड़ें।

6. 8-10 घंटे की नींद बेहद जरूरी है
डॉ. प्रीति नन्दा के मुताबिक, हल्का-फुल्का व्यायाम करें। बहुत अधिक फिजिकल एक्टिविटी करने से बचें। रोजाना 8-10 घंटे की नींद जरूर लें। अगर सीने में लगातार दर्द है, घबराहट महसूस कर रहे हैं, चेहरे या होठों पर नीलापन आ रहा है तो तत्काल डॉक्टर से सम्पर्क करें।

7. खतरा ज्यादा है, इसलिए हर सावधानी जरूर बरतें
एक नए शोध में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण होने पर डायबिटीज के रोगियों को हृदय रोग भी हो सकता है। इसलिए संक्रमण से बचने के लिए हर जरूरी सावधानी बरतें, हाथों को दिन में कई बार साबुन से धोएं, मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

8. खाने में ताजे फल, सब्जियां और अंकुरित अनाज शामिल करें
डॉ. नन्‍दा के अनुसार, अपनी खुराक में ताजा फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज जरूर शामिल करें ये शरीर में एंटी आक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ाते हैं। रोजाना खाना समय पर खाएं। घर में बने भोजन को ही प्राथमिकता दें।

9. इनसे दूर रहें
खानपान में साफ्टड्रिंक, सोडा, फ्रूट जूस, सिरप, फ्लेवर्ड मिल्क, दही से परहेज़ रखें। अधिक तेल या मसाले वाला खाना लेने से बचें। बाहर से खाना मंगाने से बचें।

10. इसलिए डायबिटिक लोगों को खतरा ज्यादा

डायबिटीज के रोगियों में हर संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे रोगियों में इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स, न्यूट्रोफिल्स) की कार्य क्षमता कम हो जाती है। इस वजह से शरीर में एंटीबॉडीज कम बनती हैं। बीमारी से लड़ने की ताकत कम होने के कारण ये बाहरी चीजों (वायरस, बैक्टीरिया) को खत्म नहीं कर पाती नतीजा जान का जोखिम बढ़ता जाता है।

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