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सालों की मेहनत काम आई, सार्स और मेर्स जैसी बीमारियों के डाटा से रूसी वैज्ञानिक सबसे पहले बना पाए वैक्सीन ‘स्पूतनिक-वी’

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11 दिन पहले

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  • चीन ने जनवरी में कोरोना के जेनेटिक सीक्वेंस को साझा किया था, इसके अलावा एक समय पर कई ट्रायल किए गए
  • कई ट्रायल चलने के कारण वैक्सीन में लगने वाला करीब साल भर तक का समय घटा, इस तरह वैक्सीन तैयार करने में रूस ने बाजी मारी

रूस ने दुनिया में सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन तैयार करके रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है। लेकिन इसके पीछे लैब में सालों से काम कर रहे है वैज्ञानिकों की मेहनत है। पिछले कई सालों से मर्स और सार्स जैसी बीमारियों पर कर रिसर्च का जो डाटा सामने आया, उससे रशियन वैक्सीन स्पुतनिक-वी को कम समय में तैयार किया जा सका। कई सालों की रिसर्च वैक्सीन खोजने में मददगार साबित हुई।

चीन ने जनवरी में कोरोना के जेनेटिक सीक्वेंस को साझा किया था। इसके अलावा एक समय पर कई ट्रायल किए गए, इससे वैक्सीन में लगने वाला करीब साल भर तक का समय घट गया है। इस तरह वैक्सीन तैयार करने में रूस ने बाजी मार ली। रूस ने वैक्सीन का नामकरण अपनी पहले उपग्रह स्पुतनिक-वी के नाम पर किया है।

क्या है यह वैक्सीन और इतनी जल्दी कैसे बन गई?

  • इस वैक्सीन का नाम है Gam-Covid-Vac Lyo और इसे मॉस्को स्थित रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी एक संस्था गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है।
  • रूसी इंस्टीट्यूट ने जून में दावा किया था कि वैक्सीन तैयार कर ली है। फेज-1 ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं। यह भी खबरें आ गईं कि रूस की दिग्गज हस्तियों को यह वैक्सीन लगाई जा रही है।
  • रूसी वैक्सीन में ह्यूमन एडेनोवायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है। उन्हें कमजोर किया गया है ताकि वे शरीर में विकसित न हो सके और शरीर को सुरक्षित रख सके।
  • इन ह्यूमन एडेनोवायरस को Ad5 और Ad26 नाम दिया गया है और दोनों का ही इसमें कॉम्बिनेशन है। दोनों को कोरोनावायरस जीन से इंजीनियर किया है।
  • इस समय दुनियाभर में विकसित किए जा रही ज्यादातर वैक्सीन एक वेक्टर पर निर्भर है जबकि यह दो वेक्टर पर निर्भर है। मरीजों को दूसरा बूस्टर शॉट भी लगाना होगा।
  • रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अन्य रोगों से लड़ने के लिए बनाए गए वैक्सीन को ही उन्होंने मोडिफाई किया है और इससे यह जल्दी बन गया।
  • वैसे, अन्य देशों और अन्य कंपनियों ने भी इसी अप्रोच को अपनाया है। मॉडर्ना ने मर्स नामक एक संबंधित वायरस के वैक्सीन में ही थोड़ा बदलाव किया है।
  • इससे डेवलपमेंट प्रक्रिया तेज हो गई है, लेकिन यूएस और यूरोपीय रेगुलेटर इस वैक्सीन की सेफ्टी और इफेक्टिवनेस पर बारीकी से नजर रखे हैं।

रूस का दावा- ट्रायल में 100 फीसदी सुरक्षित साबित हुई वैक्सीन

रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीन ट्रायल के परिणाम सामने हैं। उनमें बेहतर इम्युनिटी विकसित होने के प्रमाण मिले हैं। दावा किया कि किसी वॉलंटियर्स में निगेटिव साइड-इफेक्ट देखने में नहीं आए।

रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना की जो वैक्सीन तैयार की है वह क्लीनिकल ट्रायल में 100% तक सफल रही है। ट्रायल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई उनमें वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हुई है।

1 दिन पहले रजिस्ट्रेशन करके पुतिन ने चौंकाया

मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की घोषणा की, ‘हमने कोरोना की सुरक्षित वैक्सीन बना ली है और देश में रजिस्टर्ड भी करा लिया है। मैंने अपनी दो बेटियों में एक बेटी को पहली वैक्सीन लगवाई है और वह अच्छा महसूस कर रही है।’ वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन 12 अगस्त को किया जा जाना था लेकिन एक दिन पहले ही ऐसा करके पुतिन ने दुनिया को चौंकाया।

पहली डोज पुतिन की बेटी को दी गई, बदला शरीर का तापमान

वैक्सीन का पहला डोज राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटी को दिया गया। उन्हें दो डोज दिए गए। डोज देने के बाद शरीर के तापमान में बदलाव रिकॉर्ड किया गया। पुतिन के मुताबिक, पहली डोज देने पर उसके शरीर का तापमान 38 डिग्री था। वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई तो तापमान 1 डिग्री गिरकर 37 डिग्री हो गया। लेकिन कुछ समय बाद दोबारा तापमान बढ़ा, जो धीरे-धीरे सामान्य हो गया।

पुतिन की दो बेटियां हैं, मारिया और कैटरीना। वैक्सीन दोनों में से किसको लगी है पुतिन ने यह साफ नहीं किया है लेकिन उनका कहना है कि टीका लगने के बाद वह अच्छा महसूस कर रही है। उसमें काफी संख्या में एंटीबॉडीज बनी हैं। वैक्सीन कई तरह की जांच से गुजर चुकी है और यह सुरक्षित साबित हुई है।

महीने भर पहले ही बता दिया था रूस ने

इस वैक्सीन को रूस के रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी ने मिलकर तैयार किया है। रूस ने महीने भर पहले ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि उनकी वैक्सीन ट्रायल में सबसे आगे है और वे उसे 10 से 12 अगस्त के बीच रजिस्टर्ड करा लेंगे। हालांकि इस वैक्सीन को लेकर अमेरिका और ब्रिटेन रूस पर भरोसा नहीं कर रहे। रूस पर वैक्सीन का फार्मूला चुराने के आरोप भी लग रहे हैं।

दावा- 20 देशों ने वैक्सीन का लिए ऑर्डर दिया

रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को के मुताबिक, दुनियाभर के 20 देशों ने हमारी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के लिए प्री-ऑर्डर दिया है। रूस का डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड वैक्सीन को बड़ी मात्रा में बनाने के लिए और विदेश में प्रमोट करने के लिए निवेश कर रहा है। रूसी वेबसाइट ने दावा किया है कि भारत, साऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्राजील, मैक्सिको जैसे देशों ने वैक्सीन को खरीदने की इच्छा जताई है।

भारत में तीसरे चरण का ट्रायल हो सकता है

रूसी वेबसाइट के मुताबिक, 2020 के अंत तक वैक्सीन के 20 करोड़ डोज तैयार किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इनमें से 3 करोड़ डोज रूस अपने लिए रखेगा। वैक्सीन का उत्पादन सितम्बर में शुरू होगा। रूस तीसरे चरण का ट्रायल कई देशों में करने की योजना बना रहा है, इसमें सऊदी अरब, ब्राजील, भारत और फिलीपींस शामिल हैं।

दो बार अलग-अलग टीके लगेंगे
रूस की ओर से जारी बयान के अनुसार, वैक्सीन में दो अलग-अलग इंजेक्ट किए जाने वाले घटक हैं। इन दोनों का टीका अलग-अलग वक्त पर लगाया जाएगा। वायरस के खिलाफ लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए दोनों घटक एक साथ मिलकर काम करते हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यह प्रतिरोधक क्षमता करीब दो साल तक रहती है।

सितंबर में उत्पादन, अक्टूबर से लगने लगेगी

सितम्बर से इसका उत्पादन करने और अक्टूबर से लोगों को लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने बताया, ‘मुझे जानकारी दी गई है कि हमारी वैक्सीन प्रभावी तरीके से काम करती है और एक अच्छी इम्यूनिटी पैदा करती है। मैं दोहराता हूं कि इसके लिए सभी जरूरी ट्रायल पूरे कर लिए गए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सवाल उठाए

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की शंकाएं जताई हैं। संगठन वैक्सीन के तीसरे चरण को लेकर संशय है। संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा।

वैक्सीन तैयार करने वाले इंस्टीट्यूट ने कहा, बुखार आ सकता है

  • रक्षा मंत्रालय के साथ वैक्सीन तैयार करने वाले गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग का कहना है कि हमने कोरोना के जो कण वैक्सीन में इस्तेमाल किए हैं, वो शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते। ये कण शरीर में अपनी संख्या को नहीं बढ़ाते।
  • वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों में बुखार की स्थिति बन सकती है, लेकिन ऐसा इम्यून सिस्टम बूस्ट होने के कारण होता है। लेकिन, इस साइडइफेक्ट को आसानी से पैरासिटामॉल की टेबलेट लेकर ठीक किया जा सकता है।

स्वास्थ्य कर्मी और टीचर्स को सबसे पहले दी जाएगी वैक्सीन
रशियन डायरेक्टर इंवेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल मित्रेव का कहना है कि उन्हें 20 से अधिक देशों से इस वैक्सीन के लिए 1 अरब डोज तैयार करने का निवेदन मिला है। वैक्सीन सबसे पहले फ्रंटलाइन मेडिकल वर्कर्स, टीचर्स और अधिक जोखिम वाले लोगों को दी जाएगी।

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