- Hindi News
- Jeevan mantra
- Dharm
- Ganesh Temple Is About 700 Years Old In Chittoor District Of Andhra Pradesh, The Size Of Ganesh Idol Is Gradually Increasing Here
3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
- कनिपक्कम गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी से शुरू होता है ब्रह्मोत्सव जो 20 दिनों तक चलता है
आंध्रप्रदेश में चित्तुर जिले के इरला मंडल नाम की जगह पर गणेश जी का मंदिर है। इस मंदिर को पानी के देवता का मंदिर भी कहा जाता है। लोगों का ऐसा मानना है की यहां भगवान गणेश की मूर्ति धीरे धीरे आकार में बढ़ती जा रही है। ऐसा कहा जाता हैं बाहुदा नदी के बीच बने इस मंदिर के पवित्र जल के कारण कई बीमारियां खत्म हो जाती है। तिरुपति जाने से पहले भक्त इस विनायक मंदिर में आकर भगवान गणेश के दर्शन करते है। मान्यता के अनुसार, यहां आने वाले भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
11 वीं शताब्दी में बना मंदिर
इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में चोल राजा कुलोठुन्गा चोल प्रथम ने करवाया था। इसके बाद फिर विजयनगर वंश के राजा ने सन 1336 में इस मंदिर का जिर्णोद्धार कर इसे बड़ा मंदिर बनाने का काम किया था। ये तीर्थ एक नदी के किनारे बसा है। इस कारण इसे कनिपक्कम नाम दिया गया था।
गणेश चतुर्थी से 20 दिनों तक चलता है ब्रह्मोत्सव
इस मंदिर में सितंबर या अक्टूबर में आने वाली गणेश चतुर्थी से ब्रह्मोत्स शुरू हो जाता है। ऐसा माना जाता है की एक बार खुद ब्रह्मदेव पृथ्वी पर आए थे और तभी से इस मंदिर में 20 दिन का ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। ब्रह्मोत्सव के दौरान यहां पर भक्तों के बीच रथ यात्रा निकाली जाती है। इस त्यौहार के दौरान दूसरे दिन से ही रथयात्रा सुबह में एक बार और शाम में एक बार निकाली जाती है। रथ यात्रा में हर दिन भगवान गणेश अलग-अलग वाहनों पर भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं। रथ को कई तरह के रंगीन कपड़ों से सजाया जाता है। इस तरह का उत्सव बहुत कम मंदिरों में मनाया जाता है।
रोज बढ़ रही है भगवान गणेश की मूर्ति
कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद गणेश की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है। कहा जाता है कि करीब 50 साल पहले भगवान गणेश की एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन मूर्ति का आकार बढ़ने की वजह से अब वह कवच भगवान को नहीं पहनाया जाता।
मान्यता: मंदिर की कहानी
मंदिर के निर्माण की कहानी रोचक है। कहा जाता है कि तीन भाई थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। तीनों ने मिलकर जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा खरीदा। जमीन पर खेती के लिए पानी की जरुरत थी। इसलिए, तीनों ने उस जगह कुआं खोदना शुरू किया। बहुत अधिक खुदाई के के बाद पानी निकला। उसके बाद थोड़ा और खोदने पर उन्हें गणेशजी की प्रतिमा दिखाई दी, जिसके दर्शन करते ही तीनों भाई जो कि गूंगे, बहरे और अंधे थे वे एकदम ठीक हो गए। ये यह चमत्कार देखने के लिए उस गांव में रहने वाले लोग इकट्ठे होने लगे। इसके बाद सभी लोगों ने वहां प्रकट हुई भगवान गणेश की मूर्ति को वहीं पानी के बीच ही स्थापित कर दिया।
दर्शन से खत्म हो जाते हैं पाप
कहा जाता है कि कोई इंसान कितना भी पापी हो यदि वह कनिपक्कम गणेश जी के दर्शन कर ले तो उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं। इस मंदिर में दर्शन से जुड़ा एक नियम है। माना जाता है कि इस नियम का पालन करने पर ही पाप नष्ट होते हैं। नियम यह है कि जिस भी व्यक्ति को भगवान से अपने पाप कर्मों की क्षमा मांगनी हो। उसे यहां स्थित नदी में स्नान कर ये प्रण लेना होगा कि वह फिर कभी उस तरह का पाप नहीं करेगा, जिसके लिए वह क्षमा मांगने आया है। ऐसा प्रण करने के बाद गणेश जी के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं।
कैसे पहुंचे यहां
सड़क के रास्ते – यह मंदिर तिरुपतिबस स्टेशन से करीब 72 किमी दूर है। यहां से बस और कैब मिल सकती है।
ट्रेन से – ये मंदिर तिरुपति रेलवे स्टेशन से करीब 70 किमी की दूरी पर है।
एयर वे – तिरुपति हवाईअड्डा इस मंदिर से केवल 86 किमी की दूरी पर है।
0