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फाइनल ईयर और सेमेस्टर की परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, यूजीसी की गाइडलाइन के खिलाफ स्टूडेंट्स ने दायर की है याचिका

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एक घंटा पहले

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  • मामले में यूजीसी और सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं पक्ष
  • न्यायधीश जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच मामले में कर रही है सुनवाई

फाइनल ईयर और सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई होगी। इससे पहले 14 अगस्त को हुई सुनवाई में कोर्ट ने अपना फैसला 18 अगस्त तक के लिए टाल दिया था। फाइनल ईयर परीक्षाओं को लेकर जारी यूजीसी की गाइडलाइन को चुनौती देती याचिका पर न्यायधीश जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली जस्टिस सुभाष रेड्‌डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच सुनवाई कर रही है।

वहीं, यूजीसी और सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं, जबकि छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। जबकि आदित्य ठाकरे की युवा सेना के एक अन्य मामले में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान रख रहे हैं।

पिछली सुनवाई में क्या?

सरकार ने कहा- UGC को नियम बनाने का अधिकार

सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा कराना ही छात्रों के हित में है। सरकार और UGC का पक्ष कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे थे। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट से यह भी कहा कि परीक्षा के मामले में नियम बनाने का अधिकार UGC को ही है।

राज्यों के पास परीक्षा रद्द करने की शक्ति नहीं

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुंबई और दिल्ली राज्यों की तरफ से दिए गए एफिडेविट यूजीसी की गाइडलाइंस से बिल्कुल उलट हैं। तुषार मेहता ने कहा कि जब UGC ही डिग्री जारी करने का अधिकार रखती है। तो फिर राज्य कैसे परीक्षाएं रद्द कर सकते हैं?

UGC की दलील- स्टैंडर्ड खराब होंगे

इससे पहले यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने का दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार का फैसला देश में उच्च शिक्षा के स्टैंडर्ड को सीधे प्रभावित करेगा। दरअसल, यूजीसी के सितंबर के अंत तक फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के फैसले के खिलाफ जारी याचिका पर कोर्ट में जवाब दिया।

क्या है स्टूडेंट्स की मांग

दायर याचिका में स्टूडेंट्स ने फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत करने की भी मांग की है। इससे पहले पिछली सुनवाई में, यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि राज्य नियमों को बदल नहीं सकते हैं और परीक्षा ना कराना छात्रों के हित में नहीं है। 31 छात्रों की तरफ से केस लड़ रहे अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा है कि, हमारा मसला तो यह है कि UGC की गाइडलाइंस कितनी लीगल हैं।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने परीक्षाओं पर लगाई रोक

दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने फाइनल ईयर परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक राज्य में परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। 6 जुलाई को जारी गाइंडलाइंस में यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में फाइनल ईयर या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक कराने के निर्देश दिए गये थे। वहीं, फैसले के बाद से ही स्टूडेंट्स फिजिकली परीक्षा आयोजित कराने का लगातार विरोध कर रहे हैं।

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