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- Coronavirus Latest Research 80 Percent Patients Report Heart Issues Post recovery Says Journal Of American Medical Association Study
एक दिन पहले
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- शोधकर्ताओं के मुताबिक, संक्रमण होने पर शरीर में ऑक्सीजन बाधित होती है जिससे हार्ट को ब्लड कई अंगों तक पहुंचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है
- संक्रमण बढ़ने की स्थिति में हृदय पर यह दबाव और बढ़ता है इसलिए हार्ट के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं और दिक्कतें बढ़ती हैं
कोरोना से उबरने के बाद भी वायरस के संक्रमण का असर लम्बे समय तक शरीर में दिख सकता है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल की रिसर्च यही बताती है। शोध के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले 80 फीसदी लोगों में हृदय से जुड़ी दिक्कतें देखी गई हैं। रिसर्च अप्रैल और जून के बीच में हुई थी। इसमें कोरोना के ऐसे मरीज शामिल थे जो संक्रमण से पहले स्वस्थ थे और उम्र 40 से 50 साल के बीच थी।
100 मरीजों पर हुई रिसर्च
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना से पीड़ित 100 लोगों पर रिसर्च की गई। इनमें से 67 मरीज ऐसे थे जो एसिम्प्टोमैटिक थे या इनमें बेहद हल्के लक्षण दिख रहे थे। अन्य 23 मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। मरीजों के हार्ट पर कोरोना का क्या असर पड़ रहा है इसे जानने के लिए एमआरआई, ब्लड टेस्ट और हार्ट टिश्यू की बायोप्सी की गई।
78 फीसदी मरीजों के दिल में सूजन
शोधकर्ता क्लायड डब्ल्यू येंसी के मुताबिक, रिसर्च में सामने आया कि 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। इससे इस बात के प्रमाण मिले कोरोना से उबरने के बाद बहुत सी बातें सामने आनी बाकी हैं कि भविष्य में शरीर के अंगों पर इसका कितना असर पड़ेगा। जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतना ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
ब्रिटेन में हुई स्टडी में भी यही पैटर्न नजर आया
ब्रिटेन में हुई एक और ऐसी ही स्टडी में सामने आया कि कोरोना के 1216 मरीजों में संक्रमण के बाद हृदय से जुड़े डिसऑर्डर दिखे। 15 फीसदी मरीजों में हृदय से जुड़े ऐसे कॉम्प्लिकेशंस सामने आए जो बेहद गंभीर थे और जान का जोखिम बढ़ाने वाले थे।
ऐसा क्यों हो रहा है
मरीजों पर लम्बे समय तक कोरोना के साइडइफेक्ट क्यों दिखते हैं, वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि कोरोना सीधे तौर पर मरीजों के फेफड़े पर असर करता है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल प्रभावित होता है। इस स्थिति में हृदय को ब्लड दूसरे अंगों तक पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। लगातार दबाव बने रहने पर हार्ट के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं और हृदय रोगों से जुड़े मामले सामने आते हैं।
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