- साल 1992 में राम जन्मभूमि थाने में बाबरी विध्वंस केस में केस दर्ज हुआ था
- महंत नृत्य गोपाल दास और चंपत राय ने दर्ज कराए अपने अपने बयान
- कुल 32 अभियुक्तों में से 22 की गवाही को चुकी, 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करना है
दैनिक भास्कर
Jul 07, 2020, 07:25 PM IST
लखनऊ. बीते 28 सालों से लंबित बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में मंगलवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और महासचिव चंपत राय सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। दोनों ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत अपना अलग अलग बयान दर्ज कराया। जज सुरेंद्र कुमार यादव ने दोनों आरोपियों से पूछा कि, उनके खिलाफ मुकदमा क्यों चला तो महंत और चंपत राय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि, राजनीतिक द्वेषवश तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा उन्हें फंसाया गया है। कांग्रेस सरकार ने मनगढ़ंत साक्ष्यों के आधार पर विवेचना कराकर आरोप पत्र लगवाए। इसके चलते उनके खिलाफ यह मुकदमा न्यायालय में चला गया है।
समय आने पर बेगुनाही का सबूत देंगे
महंत और चंपतराय को सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था। इस कार्यवाही में अदालत आरोपी को गवाह, सबूत एवं परिस्थितियों को इंगित करती है जो कि अभियोजन की कार्यवाही के दौरान उसके खिलाफ अदालत में पेश किए गए। इसके बाद अदालत आरोपी से उन परिस्थितियों व सबूतों पर उसका जवाब व सफाई पेश करने का अवसर प्रदान करती है। दोनों ने कहा कि वे समय आने पर अपनी बेगुनाही का सबूत पेश करेंगे।
हाथ कांपने के चलते महंत ने लगाया अंगूठा
कोर्ट में दोनों आरोपी अपने वकीलों विमल कुमार श्रीवास्तव, केके मिश्रा और अभिषेक रंजन के साथ हाजिर हुए थे। अदालत ने उनसे करीब एक हजार सवाल पूछे, जिसका उन्होंने उत्तर दिए। अदालत ने जवाबों को नोट कराया। बयान दर्ज होने के बाद चंपत राय ने तो अपने हस्ताक्षर बयानों पर बना दिए। लेकिन, वृद्वावस्था होने के कारण महंत नृत्य गोपाल दास के हाथ कलम पकड़ते समय कांप रहे थे। जिस पर कोर्ट के निर्देश पर उन्होंने अपने अंगूठे का निशन बयान पर अंकित किया।
31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करना है
बतातें चलें कि इस प्रकरण सुनवाई अब अंतिम दौर में है। इस मामले में कुल 32 अभियुक्तों में से 22 की गवाही को चुकी है। सभी गवाहों के बयान के बाद अभियुक्तों को अपनी सफायी पेश करने का अवसर दिया जाएगा। जिसके बाद सीबीआई एवं अभियुक्तों के वकीलों के बीच बहस होगी। उसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को विशेष अदालत को 31 अगस्त तक केस की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था। साल 1992 में राम जन्मभूमि थाने में बाबरी विध्वंस केस में केस दर्ज हुआ था।