- आंध्र प्रदेश का श्री शैलम मल्लिकार्जुन मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यह देश का एक मात्र मंदिर है, जहां पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ है
- अभी तक शैलम पूरी तरह से ग्रीन जोन में है, यहां पर एक भी कोरोना का केस नहीं आया है, मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6.30 से शाम 4.30 तक है
ताराचंद गवारिया
Jul 06, 2020, 05:53 AM IST
श्रीशैलम. आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। श्रीशैलम मल्लिकार्जुन मंदिर के अंदर कई मंदिर बने हुए हैं, जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। आज सावन के पहले सोमवार के मौके पर श्रीशैलम से दैनिक भास्कर की लाइव रिपोर्ट पढ़िए।
सुबह के 5.30 बजे हैं, जगह श्रीशैलम का मल्लिकार्जुन मंदिर। फ्री दर्शन वाले गेट पर सिक्योरिटी वाले हाथ में थर्मल स्कैनर लेकर खड़े हैं। दर्शन के लिए मंदिर 6 बजे खुलेगा। गेट के सामने ही 10 से 15 लोग सफेद गोले में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आधार कार्ड दिखाकर लोग वीआईपी गेट का टिकट ले रहे हैं। एक टिकट की कीमत 150 रुपए है। हालांकि, इस बार वीआईपी और लोकल में कोई फर्क नहीं है।
दोनों लाइनों में भक्तों की भीड़ नहीं के बराबर है। जहां पहले दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगना होता था, वहीं अब 10 मिनट में दर्शन हो रहे हैं। वो भी भगवान के सामने आराम से खड़े होकर। वीआई गेट पर सबसे पहले सैनिटाइजर से हाथ साफ करना होता है। उसके बाद मंदिर का स्टाफ थर्मल स्कैनर से भक्तों के शरीर का तापमान जांच करता है, उसके बाद ही अंदर प्रवेश की अनुमति मिलती है।
दर्शन के लिए मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी
यहां से थोड़ा आगे बढ़ने पर पैर धोने के लिए एक मशीन लगाई गई है, जिसमें से 15 से 20 धाराएं निकल रही हैं। भक्त यहां पांव धोकर ही आगे बढते हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही हमने सभा मंडप में नंदी के दर्शन किए और फिर भगवान मल्लिकार्जुन की प्रतिमा के ठीक सामने खडे हो गए। पहले यहां एक सेकंड भी रुकना मुश्किल होता था। लेकिन, इस बार हमने करीब 1 मिनट तक दर्शन किए। कोरोना के कारण मंदिर की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। दर्शन के लिए मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। यहां से हम शक्तिपीठ भ्रमरांबिका देवी मंदिर पहुंचे ।
यह देवी माता पार्वती का रूप हैं। यह देश का एक मात्र मंदिर है, जहां पर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ है। इसके बाद मंदिर से बाहर जाने के लिए रास्ता आ जाता है। मल्लिका का अर्थ माता पार्वती का नाम है, वहीं अर्जुन भगवान शंकर को कहा जाता है। यह मंदिर करनूल जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर है। यहां भगवान शिव श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान है।
यूट्यूब पर किया जा रहा लाइव प्रसारण
श्रीशैलम मंदिर के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर केसी रामाराव बताते हैं कि मंदिर मे अभी केवल भगवान के दर्शन हो रहे हैं। कोरोना के कारण मल्लिकार्जुन मंदिर में पहली बार ऑनलाइन सेवा पूजा की शुरुआत हुई है। इसमें 8 से 10 तरह के पूजा और हवन किए जा रहे हैं। भक्त को मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर पहले कौन सी पूजा करवानी है, उसे बुक करना होगा।
मंदिर के पुजारी मंदिर में पूजा करते हैं उसका यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है।14 अप्रैल से शुरू हुई इस पूजा में अभी तक 8000 से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा महामृत्युंजय मंत्र होम के आवेदन आए हैं। कोरोना से पहले सामान्य दिनों में 500 से ज्यादा और विशेष दिन ( शनिवार से सोमवार ) 1000 भक्त इस पूजा के लिए आवेदन करते थे।
कोरोना से पहले हर महीने 4 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता था
श्री शैलम देवस्थानम के कॉल सेंटर में काम करने वाले एच. मल्लिकार्जून बताते हैं कि मंदिर में अभी 100 से ज्यादा पुजारी और 2000 से ज्यादा का स्टाफ हैं। अभी तो मंदिर में कोई चढ़ावा नहीं आ रहा है। लेकिन कोरोना से पहले हर महीने 3 से 4 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता था। कोरोना के कारण रोजाना 3 से 4 हजार लोगों को ही दर्शन कराए जा रहा है। पहले यहां पर रोजाना 50 हजार से 1 लाख के बीच भक्त दर्शन के लिए आते थे।
श्रीशैलम में भक्तों के लिए 200 कमरे का गणेशम भवन का भी निर्माण हो रहा है। अभी तक शैलम पूरी तरह से ग्रीन जोन में है। यहां पर एक भी कोरोना का केस नहीं आया है। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6.30 से शाम 4.30 तक रखा गया है।