May 5, 2024 : 11:44 PM
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बारिश में रावी नदी से कटाव की आशंका के चलते लैंड पोर्ट अथॉरिटी ने कॉरिडोर को बोरियों से बंद किया

भारत-पाकिस्‍तान अंतरराष्ट्रीय सीमा डेरा बाबा नानक पर बने पैसेंजर टर्मिनल से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब को जाने वाले रास्ते को मानसून के मद्देनजर मिट्टी और रेत से भरी की बोरियों से बंद कर दिया गया है। लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों को आशंका है कि बरसात में रावी का जलस्तर बढऩे के कारण वहां से पानी पैसेंजर टर्मिनल में घुस सकता है। अगर ऐसा हुआ तो काफी नुकसान होगा। ध्यान रहे, कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते 15 मार्च को बंद किए गए कॉरिडोर को हाल ही में पाकिस्तान की तरफ से 29 जून को महाराजा रणजीत सिंह की पुश्यतिथि पर दोबारा खोले जाने की बात कही गई, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे महज एक छलावा करार दिया था।

नेशनल हाईवे ऑथोरिटी व लैंडपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से मिट्टी और रेत से भरी की बोरियों से बंद किया गया रास्ता।

दरअसल, श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के मौके पर गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब का रास्ता खोलते समय भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा तक धुस्सी बांध का कटाव कर जीरो लाइन तक पुल बनाया गया था। पाकिस्तान को भी अपनी ओर जीरो लाइन तक पुल तैयार करना था, जो नहीं किया गया है। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए भारत ने टर्मिनल से जीरो लाइन तक एक अस्थायी रास्ता तैयार किया था। इसी रास्ते से श्रद्धालु ई-रिक्शा में बैठकर जीरो लाइन तक पहुंचते हैं। हर साल बरसात में रावी दरिया का पानी धुस्सी बांध और जीरो लाइन पर लगी कंटीली तारों को प्रभावित करता है।

लैंड पोर्ट ऑथोरिटी आफ इंडिया के अधिकारियों को आशंका है कि बरसात में रावी का जलस्तर बढऩे के कारण वहां से पानी पैसेंजर टर्मिनल में घुस सकता है। ऐसे में पैसेंजर टर्मिनल से जीरो लाइन तक जाने वाले अस्थायी रास्ते को बरसात के कारण बोरियां लगाकर बंद कर दिया गया है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी और लैंडपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी रमन कुमार का कहना है कि मानसून में रावी का पानी टर्मिनल को नुकसान न पहुंचाए, इसलिए यह कदम उठाया गया है।

गुरु नानक देव से जुड़ा करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास
पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल से भी पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे। लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है।

दोनों देशों की सरकारों के प्रयासों से बना था कॉरिडोर
भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था। करतारपुर कॉरिडोर की नींव 2018 में रखी गई थी। भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को शिलान्यास किया गया था। इसके बाद गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।

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डेरा बाबा नानक में भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर स्थितकरतारपुर कॉरिडोर का पैसेंजर टर्मिनल। फाइल फोटो

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