दैनिक भास्कर
Apr 01, 2020, 03:58 PM IST
एजुकेशन डेस्क. यह कहानी वाराणसी से। निधि झा नाम की लड़की वहीं की है। एक निर्धन ब्राह्मण परिवार की जुझारू बच्ची। दादा साइकिल पर नमकीन बेचते थे । पिता ऑटो रिक्शा चलाते। चाचा ड्राइवरी करते। इन सबसे 15-18 घंटे की मेहनत के बावजूद बस 12 सदस्यों के परिवार का भरण-पोषण ही हो पाता। रहने तक की जगह नहीं थी। ब्राह्मण होने के नाते एक मंदिर प्रांगण में जगह मिल गई। घर के सब बड़े चाहते थे कि बच्चे पढ़-लिखकर सम्मानजनक काम करें। निधि चार बहनों में से एक है। एक भाई है। पिता सुनील झा की आंखों में बस यही सपना रहा कि बच्चे उनकी तरह अंतहीन संघर्षों से दूर एक सुखद संसार का हिस्सा बनें। यह पढ़ाई से ही संभव था, मगर पढ़ाई संभव नहीं थी।
पहली बार में मिली विफलता
वह सनातन धर्म इंटर कॉलेज में दाखिल हुई। पुरानी किताबों से पढ़ी। दसवीं पास की तो लगा कि आसमान छू लिया। मंदिर में आने वाले लोग अपनी संतानों के लिए डॉक्टर-इंजीनियर बनने की मन्नत मांगते। निधि ने देखा तो यही सपना उसकी आंखों में बस गया। बिना किसी ट्यूशन और कोचिंग के, सिर्फ पुरानी किताबों की दम पर अकेले निधि घंटों पढ़ती। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा का आवेदन भरा। तैयारी की। मगर कामयाब नहीं हुई। खूब रोई। मजबूरी में सरकारी कॉलेज में बीएससी के लिए आगे बढ़ी। दिल टूटा हुआ था। कुछ भी निश्चित नहीं था। कहीं अखबार से सुपर 30 के प्रोग्राम का पता चला तो एक दिन मेरे सामने खड़ी हुई। वह हमारी टीम और मेरे परिवार का हिस्सा बन गई। मेरी मां को दादी कहती। 14-16 घंटे पढ़ाई में खपी रहती। मां कहती, थोड़ा आराम कर ले। टीवी देख ले। वह कहती, नहीं दादी। इन दोनों कामों के लिए जिंदगी पड़ी है। मगर पढ़ाई सिर्फ अभी ही हो सकती है।
संघर्ष की कहानी पर बनी फिल्म
उन्हीं दिनों फ्रांस के फिल्म मेकर पास्कल प्लिसन पटना आए। सुपर 30 के बच्चों से मिले। उन्हें एक ऐसी कहानी पर फिल्म बनानी थी, जिसमें अथक संघर्ष हो। समर्पण हो। उन्हें निधि के किरदार में यह नजर आया। रिक्शा चलाते पसीने में नहाए पिता, साइिकल पर नमकीन बेचते दादा और ड्राइवर की नौकरी करते चाचा का चेहरा हर समय उसके जेहन में रहता। 20 दिन तक फिल्म की शूटिंग चली। निधि ने आईआईटी की परीक्षा दी। जिस दिन निधि का रिजल्ट आया, उसका परिवार हमारे यहां जुटा था। सबकी नजरें निधि के परिणाम पर थी। वह कामयाब हुई थी। सुनील झा के परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर इतनी खुशियां इसके पहले किसी मौके पर नहीं आई थीं। अब आगे की पढ़ाई के लिए पास्कल ने खर्चे की जिम्मेदारी ली थी। निधि का दाखिला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग धनबाद में हुआ। निधि पर बनी फिल्म का प्रीमियर 2015 में फ्रांस में हुआ। तब निधि और उसके परिवार के साथ-साथ मैं अपने छोटे भाई प्रणव के साथ बतौर खास मेहमान पेरिस में आमंत्रित था। आज निधि एक बहुत ही बड़ी कंपनी में बतौर इंजीनियर काम कर रही है |