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राहुल गांधी ने अलग-अलग देशों में काम कर रहे 4 भारतीय नर्सेज से बात की, महामारी से निपटने के उपायों पर चर्चा

  • राहुल ने कोरोना और उसके असर को लेकर एक्सपर्ट से चर्चा की सीरीज अप्रैल में शुरू की थी
  • 2 महीने में इकोनॉमी और हेल्थ सेक्टर के 10 एक्सपर्ट से बात कर चुके

दैनिक भास्कर

Jul 01, 2020, 10:01 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना पर चर्चा की सीरीज में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 4 नर्सेज से बात की है। इनमें 2 मेल और 2 फीमेल हैं। सभी भारतीय हैं, लेकिन इनमें से 3 ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन में काम कर रहे हैं। इनसे चर्चा का वीडियो राहुल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर किया है।

राहुल ने चारों नर्सेज से कोरोना संकट और इससे निपटने के तरीकों पर बात की है। इसका वीडियो शेयर करने के लिए आज का दिन इसलिए चुना, क्योंकि नेशनल डॉक्टर्स डे है।

राहुल ने 2 महीने में 10 एक्सपर्ट से चर्चा की
कोरोना और इकोनॉमी पर उसके असर को लेकर राहुल देश-विदेश के एक्सपर्ट से चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने 30 अप्रैल को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से बातचीत के साथ यह सीरीज शुरू की थी। पिछली चर्चा 12 जून को अमेरिका के पूर्व डिप्लोमैट निकोलस बर्न्स से हुई थी।

30 अप्रैल: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा हुई थी। राजन ने कहा था कि गरीबों की मदद के लिए 65 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत है।
5 मई: अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत की। बनर्जी ने कहा था कि कोरोना के आर्थिक असर को देखते हुए बड़े आर्थिक पैकेज की जरूरत है।
27 मई: राहुल ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोहान गिसेक से चर्चा की थी। प्रोफेसर झा ने कहा था कि कोरोना का वैक्सीन अगले साल तक आने की उम्मीद है। प्रोफेसर जोहान का कहना था कि भारत में सॉफ्ट लॉकडाउन होना चाहिए। लॉकडाउन सख्त होगा तो अर्थव्यवस्था जल्दी बर्बाद हो जाएगी।
4 जून: बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज से बात हुई थी। बजाज ने कहा था कि देश में लॉकडाउन से संक्रमण तो नहीं रुका बल्कि अर्थव्यवस्था ठहर गई।
12 जून: अमेरिका के पूर्व डिप्लोमैट निकोलस बर्न्स से चर्चा हुई। बर्न्स ने कहा कि अगर भविष्य में कोई महामारी आए तो दोनों अमेरिका और भारत मिलकर गरीबों के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। कोरोना संकट में भी भारत, अमेरिका और चीन के पास मिलकर काम करने का मौका था।
1 जुलाई: देश-विदेश में काम कर रहे 4 भारतीय नर्सेज से चर्चा।

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