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कस्टम द्वारा फिजिकल जांच से देश के अलग-अलग पोर्ट पर चीन से आए मोबाइल फोन अटके, आनेवाले दिनों में तेज की जाएगी जांच

  • कई आयातकों का मानना है कि माल मिलने में देरी हो रही है
  • हालांकि आधिकारिक रूप से किसी भी माल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है

दैनिक भास्कर

Jun 24, 2020, 06:39 PM IST

मुंबई. कस्टम विभाग आनेवाले समय में देशभर के तमाम पोर्ट और एयरपोर्ट पर चीन से आनेवाले कंसाइनमेंट्स की ज्यादा जांच करेगा। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ समय से सीमा पर चीन के साथ तनाव के कारण चीन से होनेवाले आयात की सामान को जांचा जाएगा। खबर है कि इस समय देश के कुछ पोर्टस पर चीन से आए हुए मोबाइल फोन को रोक दिया गया है।

आयातकों को माल मिलने में लग रहा है समय

चीन के तमाम कंसाइनमेंट्स की जांच से आयातकों को माल मिलने में समय लग सकता है। चीन से आयात पर अंकुश के लिए भी यह कदम हो सकता है। चीन के आयात की कड़क जांच करनेवाले पोर्ट में चेन्नई सबसे पहले है। सूत्रों के मुताबिक भारत में काम कर रही चीन की कंपनियों के टेलीकॉम पार्टस और इक्विपमेंट के आयात के लिए चेन्नई का पोर्ट सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सूत्रों के अनुसार क्लियरेंस को रोकने की अभी तक कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन आयातकों को कंसाइनेंट मिलने में मुश्किल हो रही है।

फिजिकल जांच और सैनिटाइज में लग रहा है समय

उद्योग के एक जानकार ने बताया कि आयातकों को बताया गया है कि कोविड-19 की वजह से कंसाइनमेंट की जांच थोड़ा ज्यादा हो रही है। सैनिटाइज के लिए जो भी प्रक्रिया है, वह की जा रही है। इससे चीन से आए माल को मिलने में समय लग रहा है। तमाम कंसाइनमेंट की फिजिकल जांच के कारण क्लियरेंस में समय लग रहा है। हालांकि इस प्रक्रिया से आयातक खुश नहीं हैं। इस वजह से काफी कंसाइनमेंट अटक गए हैं। इससे आयातकों ने इस मुद्दे को स्थानीय कस्टम अधिकारियों के समक्ष भी उठाया है।

हालांकि उन्हें कस्टम विभाग की ओर से यह आश्वासन मिला है कि कुछ दिन में उनके माल को क्लियर कर दिया जाएगा।

चेन्नई पोर्ट पर सबसे ज्यादा माल फंसे

आयात करनेवाले एक व्यापारी ने बताया कि चीन से आ रहे कंसाइनमेंट की जांच सिस्टम द्वारा ही सही हो सकती है। लेकिन अब इसकी फिजिकल जांच की जा रही है। हर कंसाइनमेंट की फिजिकल जांच संभव नहीं है। बताया जा रहा है कि चेन्नई कस्टम विभाग द्वारा चीन से आनेवाले कंसाइनमेंट का रोजाना लगभग 300-350 बिल बनता है। यहां कुल बिल जितना बनता है, उसमें यह सबसे ज्यादा हिस्सा है। कहा जा रहा है कि चीन से आयात के क्लियरेंस की मंजूरी केवल पश्चिमी पोर्ट पर मिली है।

भारत और चीन के बीच करीबन 87.1 अरब डॉलर का व्यापार है। इसमें चीन का हिस्सा ज्यादा है। भारत के 16.8 अरब डॉलर के निर्यात के सामने चीन से 70.3 अरब डॉलर का आयात होता है।

आयात माल पर निर्भरता कम करने की योजना

बता दें कि सीमा पर विवाद से भारत इस समय चीन से आनेवाले माल पर अपनी निर्भरता कम करने की सोच रहा है। हालांकि इसमें अभी भी कोई बहुत सफलता नहीं मिली है। सरकार जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी सेवाओं के आयात पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है। इसमें हालांकि आयात ड्यूटी बढ़ाने जैसे कुछ मुद्दे ही शामिल हैं। क्योंकि सरकार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के मुताबिक पूरी तरह से आयात पर बैन नहीं लगा सकती है।

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