May 4, 2024 : 10:00 PM
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PM मोदी ने तमिलनाडु के 11 नए मेडिकल कॉलेज का किया उद्घाटन, बोले- हम मातृभाषा में शिक्षा को दे रहे बढ़ावा

चेन्नई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तमिलनाडु में 11 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि साल 2014 से पहले देश में केवल सात एम्स थे लेकिन अब स्वीकृत एम्स की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। चिकित्सा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं। गुणवत्ता से समझौता किए बिना मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों की स्थापना के नियमों को उदार बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि यह पहली बार हो रहा है जब किसी राज्य में एक ही बार में 11 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले मैंने उत्तर प्रदेश में 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया था, मुझे अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने को मिल रहा है।

मेडिकल कॉलेजों की संख्या में हुआ

इजाफा इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2014 से पहले से हमारे देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे अब यह आंकड़ा बढ़कर 596 पर पहुंच गया है, जिसमें करीब 54 फीसदी का उछाल है। साल 2014 से पहले 82,000 मेडिकल अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीट थीं लेकिन यह आंकड़ा बढ़कर 1.48 लाख हो गया है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार मेडिकल क्षेत्र में कई सुधार लाई है। आयुष्मान भारत की वजह से गरीबों के पास उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा पाने का मौका मिला है। पहले की तुलना में घुटना प्रत्यारोपण और स्टेंट की लागत एक तिहाई हो गई है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में मैं भारत को अच्छी और सस्ती मेडिकल केयर वाले गंतव्य के रूप में देखता हूं। भारत में मेडिकल टूरिज्म का हब बनने के लिए जरूरी हर चीज मौजूद है। मैं यह हमारे डॉक्टरों के कौशल के आधार पर कह रहा हूं।

मातृभाषा को दे रहे बढ़ावा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं हमेशा से तमिल भाषा और संस्कृति की समृद्धि से मोहित रहा हूं। मेरे जीवन के सबसे सुखद क्षणों में से एक था जब मुझे संयुक्त राष्ट्र संघ में दुनिया की सबसे पुरानी भाषा तमिल में कुछ शब्द बोलने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि हमने एनईपी 2020 में भारतीय भाषाओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने पर बहुत जोर दिया है। अब माध्यमिक स्तर पर स्कूली शिक्षा में तमिल का अध्ययन शास्त्रीय भाषा के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम मातृभाषा और स्थानीय भाषा में शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं। हमारी सरकार ने इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी पाठ्यक्रम भी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है

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