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क्यों खास है बेलपत्र:संपन्नता और समृद्धि देने वाला होता है बिल्वपत्र, इसके बिना अधूरी मानी जाती है शिव पूजा

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  • Why Is Belpatra Special, Bilva Leaves Give Prosperity And Prosperity, Shiva Worship Is Considered Incomplete Without It

14 घंटे पहले

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  • सावन महीने में पानी में बिल्वपत्र डालकर नहाने से बढ़ती है उम्र और जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म होते हैं

भगवान शिव की पूजा में बिल्वपत्र यानी बेलपत्र का विशेष महत्व है। इसका जिक्र कई ग्रंथों में किया गया है। शिवमहापुराण में इसका महत्व खासतौर से बताया गया है। साथ ही बताया गया है कि बिना बिल्वपत्र के शिवपूजा अधूरी होती है। वहीं, अगर शिवजी की पूजा के लिए कई तरह की चीजें उपलब्ध न भी हो और सिर्फ एक बिल्वपत्र चढ़ा दिया जाए तो उससे पूर्ण पूजा का फल मिलता है।

भगवान शंकर और देवी पार्वती को बिल्वपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है। महादेव एक बिल्वपत्र चढ़ाने पर भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। बिल्व का पेड़ बहुत ही पवित्र होता है। इसलिए इसे शिवद्रुम भी कहा जाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक और समृद्धि देने वाला है।

सावन में बिल्व स्नान: श्रावण मास में हर दिन पानी में बिल्वपत्र डालकर नहाना चाहिए। इस शिवमय जल से शारीरिक शुद्धि तो होती ही है साथ ही जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म हो जाते हैं। धर्मग्रंथ और आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि बिल्वपत्र वाले पानी से नहाने पर बीमारियां नहीं होती और उम्र भी बढ़ती है।

बिल्वपत्र तोड़ने के नियम: बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद नहीं तोड़ना चाहिए। यह भगवान शिव की नाराजगी का कारक है। इसलिए इन तिथियों को बेलपत्र तोड़ने से बचें। आप रविवार को बेलपत्र तोड़कर रख लें और सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं।

शिव पूजा में बिल्वपत्र क्यों: जब समुद्र मंथन से निकले विष को शिव जी ने कंठ में धारण किया तब सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया, क्योंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।

बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र:
“त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥”

अर्थ: तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पापों का संहार करने वाले हे! शिवजी मैं आपको त्रिदल बिल्वपत्र अर्पित करता हूं।

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