May 19, 2024 : 9:20 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

मेडिकल साइंस का कमाल:शादी के 8 साल बाद भी बच्चे नहीं हुए तो आईवीएफ तकनीक अपनाई, 3 भ्रूण से जन्मे 4 बच्चे; एक्सपर्ट डॉ. गौरी अग्रवाल से समझिए ऐसा कैसे हुआ

  • Hindi News
  • Happylife
  • After 8 Years Of Marriage A Women Deliver 4 Baby From 3 Embryo In IVF Process Under Treatment By Dr Gouri Agarwal

15 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

3 भ्रूण से 4 बच्चों के जन्म होने का मामला सामने आया है। शादी के 8 साल बाद तक बच्चा न होने पर एक महिला ने आईवीएफ प्रक्रिया अपनाई और 4 बच्चों को जन्म दिया। 4 बच्चों के जन्म होने पर इन्हें क्वाड्रप्लेट्स कहा जाता है। ट्रीटमेंट करने वाली इनफर्टिलिटी और आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. गौरी अग्रवाल का कहना है, पूरी प्रोसेस से पहले कपल की काउंसिलिंग की गई और उन्हें इसके लिए राजी किया गया।

3 भ्रूण से 4 बच्चे कैसे जन्मे, इसे समझिए
डॉ. गौरी अग्रवाल का कहना है, आईवीएफ प्रक्रिया की शुरुआत में महिला में इम्प्लांट करने के लिए 3 भ्रूण तैयार किए गए। भ्रूण इम्प्लांट करने के 16 हफ्तों बाद महिला की सर्विकल स्टिचिंग की गई। गर्भ में पल रहे 3 भ्रूण में से एक भ्रूण दो हिस्सों में बंट गया और एक नए बच्चे में तब्दील हो गया। इस तरह 3 भ्रूण से 4 बच्चे गर्भ में पलने लगे। इसके बाद डिलीवरी तक महिला की जांच और हर छोटे-बड़े बदलाव पर नजर रखी गई। नतीजा, महिला ने 4 स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया।

क्या है आईवीएफ प्रक्रिया, 3 पॉइंट में समझिए

  • आईवीएफ एंड सरोगेसी हॉस्पिटल सीड्स ऑफ इनोसेंस की फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. गौरी अग्रवाल कहती हैं, आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशनगर्भधारण की कृत्रिम प्रक्रिया है।
  • आईवीएफ प्रक्रिया से जन्मे बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल ऐसी महिलाओं के लिए किया जाता है जो किसी वजह से मां नहीं बन पा रही हैं।
  • आईवीएफ प्रक्रिया में महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज करके भ्रूण विकसित किया जाता है। इसके बाद उस भ्रूण को महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है। समय पूरा होने पर बच्चे का जन्म होता है।

समझें IVF और सरोगेसी में क्या है फर्क?

एक्सपर्ट के मुताबिक, IVF में लैब में भ्रूण तैयार करने के बाद इसे मां के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है। जबकि, सरोगेसी में लैब में आर्टिफिशियल तरीके से तैयार हुए भ्रूण को किसी और महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। हालांकि, इसमें माता-पिता के ही एग और स्पर्म होते हैं।

खबरें और भी हैं…

Related posts

7 मई तक वैशाख मास, तब तक सूर्योदय से पहले उठें और विष्णुजी के मंत्र का जाप करें

News Blast

ड्रग कम्पनी ग्लेनमार्क कोविड-19 की दवा ‘फैबीफ्लू’ का 400 एमजी वाला वर्जन लॉन्च करेगी, एक टेबलेट की कीमत होगी 75 रुपए; कम टेबलेट में डोज पूरा करने का लक्ष्य

News Blast

जब तक हम अच्छी बातों को अपनाते नहीं हैं, तब तक कोई लाभ नहीं मिल सकता है

News Blast

टिप्पणी दें