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फोन टैपिंग विवाद: पेगासस तैयार करने वाली कंपनी ने कहा- निराधार है पूरी रिपोर्ट, जासूसी के लिए नहीं होता हमारे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Mon, 19 Jul 2021 02:04 PM IST

सार

पेगासस को किसी फोन में सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए इंस्टॉल किया जा सकता है। यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है यानी इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप्स भी सुरक्षित नहीं हैं।

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विस्तार

दुनिया का सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस एक बार फिर से सुर्खियों में है। सफाई के साथ किसी की जासूसी करने के लिए पेगासस जाना जाता है। 2019 में व्हाट्सएप के कई यूजर्स की ट्रैकिंग के लिए पेगासस काफी चर्चा में था और दो साल अब फिर से करीब 300 मोबाइल नंबर की जासूसी करने को लेकर पेगासस चर्चा में है। इस्राइल के पेगासस सॉफ्टवेयर से देश के करीब 300 वेरिफाइड मोबाइल नंबरों की जासूसी होने की रिपोर्ट सामने आई है। इनमें सरकार में शामिल मंत्रियों, नामचीन नेताओं, बड़े पत्रकारों के अलावा अधिवक्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के नाम शामिल होने का दावा किया गया। यह रिपोर्ट द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की एक संयुक्त जांच के बाद सामने आई है।

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पिगासस को किसने किया है तैयार?
इस्राइल के NSO ग्रुप/Q साइबर टेक्नोलॉजीज ने इस स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) को तैयार किया है। पेगासस का दूसरा नाम Q Suite भी है। पेगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है जो एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस दोनों की जासूसी कर सकता है। पेगासस सॉफ्टवेयर यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में इंस्टॉल हो सकता है।

एक बार फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद इस आसानी से हटाया नहीं जा सकता है। पेगासस को किसी फोन में सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए इंस्टॉल किया जा सकता है। यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है यानी इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप्स भी सुरक्षित नहीं हैं।

नए खुलासे पर एनएसओ ग्रुप ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी एनएनआई से बातचीत में साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप का कहना है कि फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट पूरी तरह से गलत और निराधार है। एनएसओ का कहना है कि इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है कि पिगासस के जरिए ही 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की जासूसी हुई है। यह रिपोर्ट वास्तविकता से बहुत दूर है। एनएसओ का कहना है कि रिपोर्ट को देखकर ऐसा लग रहा है कि जिन सूत्रों से यह खबर प्रकाशित की गई है वह पूरी तरह से मनगढ़ंत है।

ग्रुप का यह भी कहना है उसके सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कभी भी किसी के फोन की बातें सुनने, उसे मॉनिटर करने, ट्रैक करने और डाटा इकट्ठा करने में नहीं होता है। ग्रुप के मुताबिक पिगासस सॉफ्टवेयर कुछ चुनिंदा देशों की कानूनी एजेंसियों को दिया जाता है जिनका मकसद किसी की जान बचाना और देश की सुरक्षा करना होता है।

एनएसओ ग्रुप से जब यह पूछा गया कि क्या उसने भारत सरकार को पेगासस सॉफ्टवेयर दिया है तो ग्रुप ने कहा कि यह जानकारी गोपनीय है और पॉलिसी के मुताबिक वह इसकी जानकारी साझा नहीं कर सकता है।

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