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Hindi NewsLocalDelhi ncrClaim This Indigenous Vaccine Is 66.6% Effective In Preventing Infection, But Even If Infection Occurs, It Is 100% Effective In Preventing Serious Illness.
नई दिल्ली6 घंटे पहले
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जायकोव-डी वैक्सीन कोवैक्सीन के बाद दूसरी स्वदेशी और दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है।
जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ के आपात इस्तेमाल की अनुमति मांगी है। इसे मंजूरी मिली तो यह 12 से 18 साल की उम्र के सभी बच्चों को लगाई जा सकेगी। यानी, देश में बच्चों को दी जाने वाली यह पहली वैक्सीन होगी। अभी तक दुनिया में अमेरिका, ब्रिटेन समेत चंद देशों में ही 18 साल से कम उम्र के किशोरों को वैक्सीन दी जा रही है।
जायकोव-डी वैक्सीन कोवैक्सीन के बाद दूसरी स्वदेशी और दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) के सूत्रों ने बताया कि सोमवार को विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की बैठक होगी। इसमें जायकोव-डी को मंजूरी दी जा सकती है।
सूत्र बता रहे हैं कि इसे मंजूरी मिलने की संभावना है, क्योंकि ट्रायल के तीनों चरणों के नतीजे कंपनी ने सरकार को दे दिए हैं। कैडिला हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक डॉ. शरविल पटेल ने बताया- ‘इस वैक्सीन के शुरुआत में तीन डोज लगेंगे। दूसरा डोज 28वें और तीसरा डोज 56वें दिन लगेगा। आगे इसके दो डोज भी हो सकते हैं।’
मंजूरी मिली तो एक महीने में एक करोड़ डोज आ जाएंगे
जायकोव-डी का रखरखाव दूसरी वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा आसान है। इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि 25 डिग्री तापमान पर भी वैक्सीन खराब नहीं होगी। कंपनी एक साल में 10 से 12 करोड़ वैक्सीन डोज बना सकती है। जायकोव-डी को मंजूरी मिल जाती है तो महीनेभर में एक करोड़ डोज बाजार में आ जाएंगे। यानी अगस्त से संभव है कि जायकोव-डी इस्तेमाल होने लगे।
1000 किशोरों पर ट्रायल किया
जायडस की वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल 28 हजार से ज्यादा लोगों पर हुआ है। इसमें 12 से 18 वर्ष तक के 1000 किशोर शामिल हैं। कंपनी का दावा है कि यह टीका कोरोना संक्रमण को रोकने में 66.6% प्रभावी है। वैक्सीन लगवाने के बाद किसी को संक्रमण हो भी जाए तो उसे गंभीर रूप से बीमार पड़ने से रोकने में यह 100% कारगर है। लेकिन, इसके तीनों डोज लगवाना जरूरी हैं।
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