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सेबी ने रिवर्सल ट्रेड के आरोप में ब्लू बुल इक्विटीज पर और कलेक्टिव स्कीम के मामले में शीन एग्रो पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया

  • जीजी ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड में ब्लू बुल ने किया था कारोबार
  • सेबी ने जांच के दौरान पाया कि कंपनी ने गलत तरीका अपनाया

दैनिक भास्कर

Jun 30, 2020, 07:08 PM IST

मुंबई. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इलिक्विड स्टॉक में रिवर्सल कारोबार के आरोप में ब्लू बुल इक्विटीज पर 25 लाख रुपए की पेनाल्टी लगाई है। यह कारोबार बीएसई में लिस्टेड शेयर में हुआ था। यह कंपनी एक दूसरी कंपनी के साथ यह काम कर रही थी। एक दूसरे मामले में कलेक्टिव स्कीम चलाने वाले शीन एग्रो पर भी 25 लाख रुपए की फाइन लगाई गई है।

सेबी की जांच में कारोबार सही नहीं था

सेबी ने जांच में पाया कि यह कारोबार वास्तविक नहीं था और इसमें गलत और मिसलीडिंग तरीके से ऑर्टिफिशियल वोल्यूम तैयार किया गया। सेबी ने जांच के दौरान पाया कि एक अप्रैल 2014 से 30 सितंबर 2015 तक यह कारोबार किया गया। रिवर्सल कारोबार का मतलब एक ही कंपनी में शेयरों को खरीदना और बेचना होता है। इससे कंपनी के शेयरों में वोल्यूम तैयार होता है जो आर्टिफिशियल तरीके से बनता है।

कुल 826 करोड़ यूनिट गलत तरीके से तैयार की गई

सेबी ने पाया कि कुल 2.91 लाख ट्रेड किए गए। इससे 826 करोड़ यूनिट का आर्टिफिशियल वोल्यूम तैयार हुआ। सेबी के अनुसार आरोपियों ने कुल 234 यूनिट कांट्रैक्ट में कारोबार किया और 233 कांट्रैक्ट से 507 नॉन जेन्यूइन ट्रेड का निर्माण हुआ। इससे 1.51 करोड़ ऑर्टिफिशियल वोल्यूम तैयार हुआ। ब्लूबेल ने जीजी ओवरसीज प्राइवेट में यह कारोबार किया।

सेबी ने कहा कि ब्लू बुल इक्विटीज ने कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया और इस वजह से शेयरों में एक आर्टिफिशियल तरीके से वोल्यूम का निर्माण हुआ। इससे शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया। 

दूसरे मामले में 25 लाख का जुर्माना

उधर एक दूसरे मामले में गैर पंजीकृत कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम (सीआईएस) के माध्यम से नए सिरे से धन जुटाने के लिए शीन एग्रो एंड प्लांटेशन लिमिटेड के नौ निदेशकों पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। अंगरेज सिंह भडवाल, सुरिंदर कुमार त्रिलोकिया, नसीब सिंह पवार, कमल सिंह भाऊ, सुदरभान सिंह जम्वाल, अजीत लाल शर्मा, कृपाल सिंह, योगराज सिंह भाऊ और तेज पाल सिंह वे डायरेक्टर हैं जिन पर जुर्माना लगाया गया है।

शीन एग्रो 2003 में फंड जुटा रही थी

नियामक ने शीन एग्रो द्वारा फंड जुटाने की जांच कराई थी। जांच के दौरान नियामक ने पाया कि शीन एग्रो अक्टूबर 2003 में समापन और पुनर्भुगतान रिपोर्ट (डब्ल्यूआरआर) दाखिल करने के बाद भी नए सिरे से फंड जुटा रही थी, जो सीआईएस मानदंडों के विपरीत था। नियामक ने एक आदेश में कहा कि सेबी के साथ रिपोर्ट दाखिल करने के बाद भी शीन एग्रो में नौ निदेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका है और उनकी कार्रवाई सीआईएस विनियमों का उल्लंघन है।

मेहनत की कमाई खतरे में रहती है

सेबी ने कहा कि सीआईएस के माध्यम से धन जुटाना निश्चित रूप से एक गंभीर उल्लंघन है जो बड़े पैमाने पर भोले-भाले निवेशकों के हित को प्रभावित करता है। इससे निवेशकों की मेहनत की कमाई खतरे में पड़ जाने की पूरी संभावना रहती है। ऐसी अनियमितताएं पाए जाने पर सेबी ने 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है जिसका भुगतान निदेशकों द्वारा संयुक्त रूप से भुगतान हर हाल में किया जाना है।

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