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पुरानी गाड़ियों के नंबर पर लेते थे हाई सिक्योरिटी नं. प्लेट, महम एसडीएम कार्यालय के 3 कर्मी अरेस्ट

  • लग्जरी गाड़ियों की चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़
  • आरोपियों ने 560 चोरी की कारों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करा बेचने की बात कबूली

दैनिक भास्कर

Jun 23, 2020, 04:07 AM IST

गुड़गांव. दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब समेत कई राज्यों से लग्जरी गाड़ियों को चोरी कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन करा बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) गुड़गांव ने खुलासा किया है। पकड़े गए गिरोह के सदस्य प्रवीण से पूछताछ के बाद एसटीएफ ने रविवार को महम एसडीएम ऑफिस में कार्यरत एमआरसी सहित तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने इनसे 14 लग्जरी गाड़ियां भी बरामद की। एसटीएफ डीआईजी सतीश बालन ने बताया कि आरोपियों ने 560 चोरी की कारों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करा बेचने की बात कबूली है। इनमें चार गाड़ियां गुड़गांव से चोरी हुई थी।

डीआईजी के अनुसार गिरोह के मास्टरमाइंड समेत दर्जनकर सदस्य फरार है, पुलिस उनकी तलाश कर रही है। एसटीएफ डीआईजी सतीश बालन ने बताया कि कुछ दिन पहले एसटीएफ गुड़गांव यूनिट ने चोरी की कार समेत दादरी के प्रेम नगर निवासी प्रवीण को गिरफ्तार किया था। 
पूछताछ में सामने आया कि एक अंतरराज्यीय गिरोह कई राज्यों से चोरी की गाड़ियों का फर्जी तरीके से 20 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों के नंबर पर रजिस्ट्रेशन कराने व बेचने का काम कर रहा है। एसटीएफ ने आरोपी कि निशानदेही पर 14 गाड़ियां बरामद की थी। इस गिरोह में महम प्राधिकरण के कर्मचारियों की मिलीभगत की बात सामने आने के बाद रविवार को एसटीएफ ने तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया इनकी पहचान क्लर्क अनिल कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर कृष्ण कुमार व कंप्यूटर ऑपरेटर सोमबीर के रूप में हुई। 

कंपनियों की लग्जरी गाड़ियों को 10 से 15 लाख में बेच देते थे

आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने महम व सोनीपत प्राधिकरण के रिकॉर्ड में 200 कारों का फर्जी रजिस्ट्रेशन होने का खुलासा किया। जबकि आरोपियों का कहना है कि वे अब तक 560 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन करा चुके है। एसटीएफ इसका पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है।

एसटीएफ के डीआईजी सतीश बालन ने बताया कि वर्ष 2016 में महम एसडीएम कार्यालय में आग लगने के बाद पूरा रिकॉर्ड जल गया था। जिसका फायदा उठाकर यह गिरोह वर्ष 2000 से पुरानी गाड़ियों के नंबर पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए अप्लाई करते थे। जिसके बाद अथॉरिटी के कर्मचारियों से भी सांठगांठ कर ओटीपी नंबर लेकर नंबर प्लेट ले लेते थे।

20 साल पुरानी गाड़ियां डिस्पोज ऑफ हो चुकी हैं, जिससे कोई खुलासा नहीं हो पाता था। इसके बाद डिमांड के अनुसार फॉरच्यूनर, इनोवा सहित ऑडी व बीएमडब्ल्यू आदि कंपनियों की लग्जरी गाड़ियों को 10 से 15 लाख रुपए में बेच देते थे।

अभी कई अन्य आरोपियों की तलाश

एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि गिरोह में रोहतक के महम निवासी अमित, रमेश व रमेश बामल मुख्य आरोपी हैं जबकि 10-12 अन्य हैं। डीआईजी के अनुसार गिरोह के सदस्य सबसे पहले रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी से उन खाली नंबरों का पता लगाते थे जो गाड़ी व उसकी फाइल नष्ट हो चुकी है। 

आरोपियों ने बांट रखा था अपना-अपना काम

पकड़े गए आरोपियों में सभी ने अपना काम बांट रखा था। दादरी निवासी प्रवीण इन चोरी की गाड़ियों के इंजन नंबर व चेसिस नंबर बदलने में माहिर है। महम एसडीएम ऑफिस में एमआरसी क्लर्क के पद पर तैनात अनिल कुमार नई आरसी, बैकलॉग एंट्री, डुप्लीकेट आरसी, आरसी ट्रांसफर की फाइल का देखता था।

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