- गलतियों के कारण भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण मारे गए
दैनिक भास्कर
Jun 21, 2020, 04:00 AM IST
उज्जैन. जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता ने शनिवार को रक्तदान शिविर में महाभारत के उद्धरणों के माध्यम से कहा कौरव सेना के भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महायोद्धा जिन कारणों से मारे गए यदि उन्हें हमने नहीं दोहराया तो कोरोना की महाभारत हम जीत जाएंगे। उन्होंने अफसरों को नसीहत दी कि वे श्रीकृष्ण जैसे सख्त फैसले लें ताकि जो गलतियां कर रहे हैं, उन्हें सबक सिखा सकें। क्योंकि किसी एक की गलती पूरे युद्ध का दृश्य बदल सकती है। हम जीती बाजी हार सकते हैं।
पं. मेहता ने कहा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान था। उनकी गलती यह थी कि वे गलत प्लेटफॉर्म पर खड़े थे। यानी कौरवों की ओर से लड़े। इसलिए हम प्रशासन के प्लेटफार्म पर खड़े हों ताकि कोरोना को हराने में मदद कर सकें। द्रोणाचार्य कौरव सेना के सेनापति थे। पुत्र अश्वत्थामा की मौत की खबर सुन कर उन्होंने हथियार रख दिए। उन्होंने युद्ध विराम के पहले शस्त्र रख कर नियम की अवहेलना की। कर्ण की गलती यह थी कि चीरहरण के समय वह मौजूद था लेकिन उसने विरोध नहीं किया। जब बीच युद्ध में रथ का पहिया कीचड़ में फंसा तो श्रीकृष्ण के कहने पर निहत्थे कर्ण को अर्जुन ने मार दिया। यदि धर्म और मर्यादा भंग का इलाज कौरव सभा में हो गया होता तो अर्जुन भी धर्म-मर्यादा का पालन कर निहत्थे कर्ण का वध नहीं करते। पं.मेहता ने कहा हमें मास्क पहनना है, सोशल हैंड वाश रखना है, हैंड वाश करना है और यदि बीमार हो जाएं तो तुरंत अस्पताल जाकर इलाज कराना है। जो लोग ऐसा नहीं कर रहे, उनके साथ प्रशासन को सख्ती से पेश आना ही होगा।
अरूप रावण आज भी जिंदा, कोरोना वायरस इतनी जल्दी नहीं जाएगा
पं. मेहता ने कहा श्रीराम के सभी काम हनुमान ने किए। हनुमान अनुशासन के प्रतीक हैं। कोरोना से बचाव के लिए जो नियम बनाए हैं, उन्हें हम अपनाएं। श्रीराम ने हनुमान को बुलाकर कहा था कि मैंने रूप रावण को तो मार दिया लेकिन अरूप रावण अभी जिंदा है। इस अरूप रावण को हम हर साल जलाते हैं। कोरोना भले लगे चला गया लेकिन वह जाएगा नहीं। हमें सावधान रहना होगा।
रक्तदान करें लेकिन रक्त का मान भी करें और पहचान भी
पं. मेहता ने कहा रक्तदान मानव सेवा है। सेवा के लिए रहम, वहम और अहम का ध्यान रखना चाहिए। सेवा में अहंकार न हो, जिसकी सेवा कर रहे उसके प्रति रहम हो और मन में किसी तरह का वहम न आ जाए। रक्तदान करें साथ में रक्त का मान भी करें व समय आने पर खून की पहचान भी करें यानी अपनों को भूले नहीं। शिविर विधायक पारस जैन के 70 वें जन्मदिन पर लगाया गया था। शिविर में 113 लोगों ने रक्तदान किया।