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मार्च तिमाही में कंपनियों के लाभ पर दिखा कोरोना का असर, चालू तिमाही में ज्यादा लॉकडाउन से यह और खराब होगा

  • क्रेडिट कार्ड का उपयोग किए जाने से खपत में मांग दिखी है
  • पर इससे भारतीय कॉर्पोरेट आय को संभालने में मदद नहीं मिलेगी

दैनिक भास्कर

Jun 19, 2020, 09:05 AM IST

मुंबई. मार्च तिमाही में भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर असर दिखा है। कंपनियों के कुल मुनाफे का पांचवां हिस्सा इस तिमाही में घट गया है। यह जानकारी मार्च तिमाही की आय के आधार पर किये गए विश्लेषण में रेटिंग एजेंसी इक्रा ने दी है। इस एजेंसी ने यह चेतावनी दी है कि अगली तिमाही में स्थिति और बदतर होने की संभावना है।

184 कंपनियों का एजेंसी ने किया था स्टडी

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बीएफएसआई फर्म को छोड़कर भारतीय कंपनियों ने फिस्कल ईयर 2020 की मार्च तिमाही की आय में 22 फीसदी की गिरावट देखा है। कुल राजस्व 2.9 प्रतिशत कम हो गया जबकि एबिटडा मार्जिन 30 बीपीएस तक कम होकर 18.8 प्रतिशत तक आ गया। इक्रा ने बीएफएसआई फर्म को छोड़कर अपने रिजल्ट घोषित करने वाली 184 कंपनियों के फाइनेंशियल प्रदर्शन का विश्लेषण किया है।

पहली तिमाही में ज्यादा असर पड़ने की आशंका

एजेंसी ने कहा कि कड़े लॉकडाउन को देखते हुए वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही के दौरान आय पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। वित्तीय प्रदर्शन मुख्य रूप से कंज्यूमर और कमोडिटी से जुड़े क्षेत्रों से प्रभावित हुआ है। ये दोनों तेजी से फैली महामारी से बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए। इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट (कॉर्पोरेट सेक्टर) शमशेर दीवान ने कहा कि पिछली तिमाही के शुरुआती महीनों में कुछ इजाफा होने के बावजूद एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो ओईएम जैसे ग्राहकों पर केंद्रित (consumer-oriented) सेक्टर्स ने बिक्री की मात्रा में या तो गिरावट या मामूली वृद्धि की जानकारी दी है।

कंज्यूमर सेक्टर की आय में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है

इसके प्रमुख कारण आर्थिक चिंता और बुरे कंज्यूमर सेंटीमेंट हैं। कमोडिटी से जुड़े सेक्टर्स में कम वसूली और घटी मात्रा के कारण वार्षिक आधार पर राजस्व में 15 प्रतिशत की कमी आई है। ग्राहकों वाले क्षेत्रों की आय 9 प्रतिशत कम हुई है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक क्षेत्रों से मांग कम थी। कंज्यूमर सेंटिमेंट के शुरुआती संकेत ने अप्रैल 2020 की तुलना में मई 2020 में मामूली रिकवरी का संकेत दिया। क्योंकि लॉकडाउन धीरे-धीरे कम होने लगा। हालांकि ये सामान्य से काफी कम थे।

मई के अंत में डिमांड में थोड़ी रिकवरी दिखी है

हालांकि ये सामान्य से काफी कम थे। उदाहरण के लिए नेशनल हाइवे पर माल की आवाजाही के आंकड़े अप्रैल के स्तर से तीन गुना तक बढ़ गए। फिर भी ये प्री-लॉकडाउन के स्तर से आधे थे। खपत के मोर्चे पर अप्रैल 2020 की तुलना में मई 2020 के अंत में मांग में कुछ रिकवरी दिखी है। क्योंकि इन दिनों क्रेडिट कार्ड का उपयोग फूड डिलीवरी आदि के लिए किया गया। हालांकि, ये भारतीय कॉर्पोरेट आय को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

निकट भविष्य में इंडिया इंक मौजूदा चुनौतियों में वृद्धि को देखते हुए पहली तिमाही के दौरान भी कमजोर प्रदर्शन करेगा। पहली तिमाही के ज्यादातर समय में मैन्यूफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और खपत की गतिविधियों में लगभग ना के बराबर एक्टिविटी देखी गई है।

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