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लंबे समय से भारत को घेर रहा; पड़ोसी देशों को कर्ज देकर कब्जा बढ़ा रहा, पाकिस्तान समेत 5 देश चीन के इशारे पर चल रहे

  • इकोनॉमिक कॉरिडोर और ग्वादर बंदरगाह पर कब्जा कर चीन ने पाकिस्तान को पक्ष में किया
  • श्रीलंका में चीन हम्बनटोटा बन्दरगाह हड़प चुका, 36 हजार करोड़ रुपए का निवेश भी किया
  • नेपाल का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चीन के हाथ में, मालदीव के 16 द्वीपों पर चौकी बनाई
धैवत त्रिवेदी

धैवत त्रिवेदी

Jun 18, 2020, 01:10 PM IST

अहमदाबाद. चीन में सदियों से ये कूटनीति रही है कि आगे बढ़ना हो तो दो कदम पीछे हट जाओ, लक्ष्य पूरा करने के लिए एक दशक पहले योजना बनाना शुरू करो। भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प भी चीन की इसी नीति का नतीजा हो सकती है। चीन, भारत के पड़ोसी देशों से समझौते करता रहा है, उन्हें शह देता रहा है। पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका, म्यांमार, मालदीव और बांग्लादेश समेत कई देश चीन के इशारों पर चल रहे हैं।

पाकिस्तान: पूरी तरह चीन पर निर्भर
एक दौर था जब शक्तिशाली देश छोटे देशों की सुरक्षा के बदले उनसे सालाना फिरौती लेते थे। चीन अब भी इसी नीति पर चल रहा है। वह छोटे-छोटे देशों को कवर देने के बदले उनकी जमीन या दूसरे रिसोर्सेज ले लेता है।

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चाइना का अहम प्रोजेक्ट है। ये पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से समुद्र के रास्ते चीन के झिंजियांग तक पहुंचने की एक बड़ी परियोजना है। 2 हजार 442 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन समुद्री रास्ते पाकिस्तान से दूरी कम करना चाहता है। इसके जरिए कच्चे तेल, नेचुरल गैस जैसी चीजों का ट्रांसपोर्ट करने की योजना है।

ये प्लान 1950 में शुरू हुआ था, लेकिन पाकिस्तान की अस्थिर राजनीति की वजह से लागू नहीं हो पाया। इस योजना के तहत चीन, पाकिस्तान को 42 अरब डॉलर यानी 3.45 लाख करोड़ रुपए देगा। इतनी बड़ी रकम मिलेगी तो जाहिर है आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान चीन की भाषा ही बोलेगा।

नेपाल: भारत से दोस्ती में चीन का रोड़ा
करीब डेढ़ दशक पहले नेपाल को दुनिया के एकमात्र हिन्दू राष्ट्र का दर्जा मिला था। वहां के पूर्व राजा बीरेन्द्र के पूरे परिवार की हत्या के बाद से नेपाल का रुख भारत विरोधी बना हुआ है। चीन से प्रेरित माओवादी ताकतों ने अब नेपाल को भारत विरोधी घोषित कर दिया है। नेपाल जिसे एक बफर देश माना जाता था, वह अब भारत के खिलाफ खड़ा हो रहा है।

नेपाल 2017 में चीन के वन रोड-वन बेल्ट प्रोजेक्ट में भी शामिल हो गया था। हालांकि, चीन लंबे समय से इसके लिए एक जाल बिछा रहा है। उसने नेपाल में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए 18 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इनमें चीनी की कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट देने की शर्त पर ब्याज माफ करने का ऑफर दिया गया है। नेपाल पर्यटन पर निर्भर है। चीन ने इस सेक्टर में भी नेपाल की मदद की है।

बांग्लादेश: चीन भड़का रहा
सत्तारूढ़ दल के भारत समर्थक रुख के बावजूद, बांग्लादेश में भारत-विरोधी ताकतें मजबूत हैं। ऐसे लोग समय-समय पर चीन और पाकिस्तान को उकसाते हैं। बांग्लादेश पर 33 अरब डॉलर का कर्ज होने का अनुमान है, ऐसे में वह भी चीन की ओर झुक गया है।

चीन वहां बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में 2 लाख 89 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है। वह बांग्लादेश के 3 बंदरगाहों का मॉर्डनाइजेशन भी करेगा। बांग्लादेश के दो छोरों को जोड़ने वाली पद्मा नदी पर 6.5 किलोमीटर लंबा पुल बनाने के लिए भी चीन काम कर रहा है।

श्रीलंका: बातें मीठी, लेकिन रवैया कड़वा
मैत्रिपाल श्रीसेना की सरकार पर भारत का असर था। भारत के दबाव में श्रीसेना सरकार ने चीन को दिए गए कुछ अधिकारों को वापस ले लिया था। लेकिन महिंदा राजपक्से की सरकार में श्रीलंका ने चीन से बड़ा लोन लेकर हम्बनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर दे दिया है। इसके अलावा श्रीलंका में एयरपोर्ट, कोल पावर प्लांट और दो बड़े डेम सहित कई प्रोजेक्ट के लिए चीन 36 हजार 480 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है।

मालदीव: चीन से कवर मिल रहा
मालदीव में 38 से ज्यादा छोटे-बड़े द्वीप हैं जो हिन्द महासागर, अरब सागर और और बंगाल की खाड़ी से जुड़े हुए हैं। इसमें से 16 द्वीप को चीन लीज पर ले चुका है। चीन अगर इन द्वीपों पर कब्जा कर लेता है, तो वह भारत के व्यापारिक जहाजों के साथ-साथ नौसेना के काफिलों पर भी नजर रख सकता है। साथ ही युद्ध की स्थिति में इन द्वीपों पर अपने जहाज तैनात कर सकता है। चीन मालदीव में स्टोरेज डिपो भी बना रहा है।

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