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एप पर बताया एलएनजेपी में 1 हजार बेड खाली, डॉक्टर बोले, बेड फुल, मेरे सामने हुई पिता की मौत: पीड़ित

  • कोरोना संक्रमित मरीजों को नहीं किया भर्ती, अस्पताल के गेट के सामने इलाज ना मिलने के कारण तोड़ दिया दम

दैनिक भास्कर

Jun 05, 2020, 07:46 AM IST

नई दिल्ली. (आनंद पवार) कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के बीच सरकार की उदासीनता और लापरवाही का बड़ा ही दर्दनाक चेहरा सामने आया है। दिल्ली में ऑडी, बीएमडब्ल्यू कार के टॉयर के सबसे बड़े सप्लायर सतविंदर पाल सिंह अपने कोरोना पॉजिटिव पिता को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने के लिए निजी और सरकारी अस्पताल में फोन लगाकर गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। सतविंदर पाल सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 7.10 बजे पिता लखजीत सिंह 85 वर्षीय को एलएनजेपी अस्पताल लेकर पहुंचे। उनको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

डॉक्टर से पिता को भर्ती करने के लिए कहा, तो उन्होंने पूछा कि कोरोना की जांच कहां कराई। जब उन्होंने गंगा राम अस्पताल में जांच कराने की जानकारी दी। तो वहां अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि उनको गंगाराम अस्पताल ही लेकर ही जाओ। यहां पर बेड फुल है। सतविंदर सिंह ने बताया कि मैंने हाथ जोड़े। लेकिन डॉक्टर मना करते रहे। मैंने अपने पिता को मां और एक ऑटो वाले की मदद से स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर लेकर गया।

कई बार मिन्नतें करने के बाद एक डॉक्टर ने उनको आक्सीजन देने के लिए सिलेंडर लगाया। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। मेरे पिता मेरे आंखो के सामने ही इलाज के अभाव में दम तोड़ दिए। मेरे पिता को समय पर इलाज मिलता तो उन्हें बचाया जा सकता था। मेरा पैसा, रिलेशन कुछ काम नहीं आया। मैं खुद उनको आक्सीजन की मशीन खरीद कर दे देता। मेरे पिता का समय पर इलाज तो करते। यह मेरा हाल है तो एक आम आदमी का क्या हो रहा होगा।
पीड़ित की बेटी ने सोशल मीडिया पर लगाई गुहार 

गुरुवार सोशल मीडिया पर पीड़ित की बेटी का एलएनजेपी अस्पताल में पिता को एडमिट करने की मदद का ट्वीट वायरल हुआ। जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार और स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन को भी टैग किया गया था। उन्होंने दोबारा ट्वीट किया कि मेरे पिता की मौत हो गई है और सरकार ने हमें निराश किया। देखते ही देखते यह ट्वीट ट्विटर पर वायरल हो गया है और विभिन्न राजनैतिक संगठनों के नेताओं द्वारा भी इसे रिट्वीट कर दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस पर सफाई मांगी जा रही है।
अस्पताल ने आरोपों पर दिया जवाब 

हम कठिन समय में परिवार के साथ खड़े है। लेकिन तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखना महत्वपूर्ण है। रोगी को भर्ती करने से कथित इनकार के बारे में पहला ट्वीट सुबह 8ः05 बजे और उसके बाद सुबह 9ः08 बजे मरीज के निधन की खबर को साझा किया गया। घटना की जांच करने पर यह पाया गया कि लोक नायक अस्पताल के ऑटो-जनरेटेड इलेक्ट्रॉनिक कैजुअल्टी रिकॉर्ड में मरीज को सुबह 7ः37 बजे ‘मृत लाया गया’ के रूप में पंजीकृत किया था।

ड्यूटी पर मौजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने पुष्टि की है कि मरीज को सुबह 7ः10 और 7ः30 बजे के बीच अस्पताल लाया गया था। अस्पताल यह स्पष्ट करना चाहता है कि मरीज को प्रवेश से मना नहीं किया गया था और डॉक्टरों द्वारा जांच में लाया गया था।

गंगा राम ने नहीं पॉजिटिव होने पर सूचना ही नहीं दी 

सतविंदर ने बताया कि उनके पिता को रविवार को तबीयत खराब होने पर गंगा राम अस्पताल लेकर गए थे। वहां पर उनकी काेरोना की जांच की गई और रिपोर्ट अगले दिन आने की जानकारी दी गई। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बावजूद अस्पताल की तरफ से अब तक कोई सूचना नहीं दी गई। सोमवार को उन्होंने ही ऑनलाइन रिपोर्ट देखी। जिसके बाद एक निजी अस्पताल में 15 रुपए फीस देकर ऑनलाइन डॉक्टर से परामर्श लेकर पिता का इलाज शुरू किया गया। उनको होम आईसोलेशन में कर दिया।

मैंक्स अस्पताल ने एंबुलेंस भेजने से मना कर दिया 

गुरुवार सुबह पिता को अचानक सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गई। इसके बाद मैक्स, एम्स समेत कई दूसरे अस्पताल में फोन लगाया। मैक्स अस्पताल में बात कि तो उन्होंने बैड फुल होने की बात की और दो दिन बाद बैड उपलब्ध होने की जानकारी दी। सतविंदर ने बताया कि मैंने उनको एंबुलेंस भेजकर किसी दूसरे अस्पताल में भेजने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने एंबुलेंस भेजने से मना कर दिया। यह स्थिति तब है जबकि मैक्स अस्पताल में उनकी बजाज फायनेंस से 20 लाख की इंश्योरेंस पॉलिसी है। एम्स ने भी जगह नहीं होने की बात कही। इसके बाद सतविंदर अपने पिता को लेकर एलएनजेपी अस्पताल में बैड उपलब्ध होने पर लेकर पहुंचे।

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