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कोरोना संकट में क्वारंटाइन बिजनेस से हॉस्पिटालिटी सेक्टर की इनकम, मैरिएट, क्राउन प्लाजा समेत कई बड़े फाइव स्टार होटल बने क्वारंटाइन सेंटर

  • फाइव स्टार होटल में कमरे का किराया ₹5000 प्रति दिन होगा
  • होटल ताज मानसिंह अब गंगाराम हॉस्पिटल के साथ अटैच

दैनिक भास्कर

Jun 16, 2020, 08:47 PM IST

नई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी का सबसे बुरा असर होटल इंडस्ट्री पर पड़ा है। बावजूद इसके होटल इंडस्ट्री ने इस दौरान औसतन ठीक-ठाक कमाई की है। कारण कि मरीजों की संख्या बढ़ने से इन होटलों को क्वारंटाइन केंद्र बनाना पड़ा। हालांकि इसके लिए होटलों को पहले के मुकाबले कम किराए और खाने की कम कीमत जरूर मिली, पर उन्हें पूरी तरह से होटल को बंद नहीं करना पड़ा।  

कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है

कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में ढ़ील के बाद कुछ क्षेत्रों में होटल खोलने की अनुमति इस समय मिल गई है। जानकारों का मानना है कि इस इंडस्ट्री को उबरने में लंबा वक्त लग सकता है। वहीं, दूसरी तरफ कोरोनावायरस महामारी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। 3 लाख 43 हजार से ज्यादा लोगों संक्रमित हो चुके हैं और 9900 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में होटल इंडस्ट्री अब क्वारंटाइन बिजनेस से कमाई का रास्ता निकाल रही है। मशहूर होटल चेन ताज ग्रुप, मैरिएट से लेकर होटल सूर्या समेत कई फाइव स्टार और अन्य होटल इस समय क्वारंटाइन बिजनेस चला रहे हैं। इसी कड़ी में दिल्ली के फाइव स्टार होटल ताज मानसिंह मंगलवार को सर गंगा राम अस्पताल के साथ जुड़ गया है।

मरीजों से पैसा हॉस्पिटल लेगा और होटल को भुगतान करेगा

दिल्ली सरकार ने कहा है कि होटल के स्टॉफ को प्रोटेक्टिव गियर और बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी। एंबुलेंस की सेवा हॉस्पिटल देगा और होटल में स्टॉफ की कमी होने पर भरपाई हॉस्पिटल करेगा। होटल के अंदर कमरा, हाउसकीपिंग, साफ सफाई और मरीजों को खाना देने की जिम्मेदारी होटल की होगी। मरीजों से पैसा हॉस्पिटल लेगा और होटल को भुगतान करेगा।

फाइव स्टार होटल में कमरे का किराया ₹5000 प्रति दिन होगा

दरअसल, दिल्ली सरकार ने फैसला किया था कि दिल्ली में अस्पतालों में बेड की उपलब्धता बढ़ाने के लिए होटल को अस्पताल से जोड़ा जाए। सरकार के फैसले के मुताबिक फाइव स्टार होटल में कमरे का किराया ₹5000 प्रति दिन होगा। यह पैसा मरीज हॉस्पिटल को देगा और हॉस्पिटल होटल को देगा। इसके अलावा प्रतिदिन हॉस्पिटल अपनी मेडिकल सेवाओं के लिए अधिकतम 5,000 रुपए मरीज से ले सकता है। लेकिन अगर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है तो ₹2000 प्रतिदिन का एक्स्ट्रा खर्च आएगा। पहले फाइव स्टार होटल में एक रात की बुकिंग पर कम से कम 15-20 हजार रुपए खर्च होते थे। जो अब आधे से भी कम हो गया है।

IHCL के 38 से ज्यादा होटल्स क्वारंटाइन सेंटर में बदले

मौजूदा संकट के समय ताज समूह को चलाने वाले इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) ने देशभर के 11 होटल को क्वारंटाइन सेंटर में बदला है। इनमें मुंबई स्थित ताज लैंड्स, ताज संताक्रूज, नई दिल्ली स्थित ताज मानसिंह जिंजर, अंधेरी के जिंजर, मडगाँव, जिंजर सिटी सेंटर, नोएडा, जिंजर नई दिल्ली रेल यात्री निवास, जिंजर कलिंगनगर, जिंजर मानेसर, जिंजर सूरत और विवांता गुवाहाटी शामिल हैं। इसके अलावा 38 अन्य आईएचसीएल ब्रांडेड होटलों का उपयोग भी इसी कार्य में किया जाएगा। इतना ही नहीं इसके अलावा होटल क्राउन प्लाजा को बत्रा अस्पताल से, होटल सूर्या को इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और होली फैमिली अस्पताल से, होटल सिद्धार्थ को बीएल कपूर अस्पताल से, होटल जिवितेश को सर गंगा राम सिटी अस्पताल से, होटल शेरेटन को मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल से अटैच किया गया है।

कंटेनमेंट जोन से कम रेवेन्यू आ रहा है

वीआईई हॉस्पिटालिटी के डायरेक्टर कमलेश बारोट ने कहा है कि क्वारंटीन बिजनेस मुख्य रूप से रूमों की संख्या पर निर्भर है। कुछ जगहों पर नगर निगम से 1,000 रुपए प्रति रूम मिलता है तो कुछ जगह पर यह 3,500 रुपए मिलता है। इसमें पूरे दिन का खाना और टैक्स भी रहता है। ऑक्यूपेंसी की बात करें तो यह 20-30 प्रतिशत तक रही है। उन्होंने कहा कि कंटेंनमेंट जोन से कम रेवेन्यू आ रहा है। बाकी जोन से ठीक ठाक रेवेन्यू है।

इसके रेट दोनों पक्ष मिलकर तय करते हैं

जब किसी होटल को अस्पताल से अटैच किया जाता है तो दोनों संस्थानों की जिम्मेदारी इसमें तय होती है। इसमें प्रमुख रूप से होटल से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे को हटाने की जिम्मेदारी अटैच अस्पताल की होगी। मरीजों को लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस अस्पताल मुहैया कराएगा। होटल स्टॉफ की कमी होने पर अस्पताल द्वारा स्टॉफ मुहैया कराया जाएगा। होटल के स्टॉफ को ट्रेनिंग और सुरक्षा के सामान उपलब्ध कराने होंगे। सभी सेवाएं जैसे रूम, हाउस कीपिंग, सैनिटाइजेशन का काम, मरीजों को खाना आदि सब होटल मुहैया कराएगा। मरीजों से जो चार्ज लिया जाएगा वो अस्पताल कलेक्ट करेगा और फिर वो होटल को पेमेंट करेगा। मेडिकल स्टॉफ को होटल में ठहरने का खर्च पर अस्पताल को करना होगा। इसके रेट दोनों पक्ष मिलकर तय करते हैं।

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