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चाइनीज प्रोडक्ट्स का बहिष्कार सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित, कंज्यूमर्स की खरीदारी पैटर्न में नहीं आएगा बदलाव

  • सस्ते बजट में भारतीय ग्राहकों को मिल जाते हैं चाइनीज सामान
  • 10 में से 9 ग्राहक अभी भी चीनी हैंडसेट को करते हैं पसंद

दैनिक भास्कर

Jun 03, 2020, 04:56 PM IST

नई दिल्ली. ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि चीनी सामानों के बहिष्कार के लिए सोशल मीडिया पर बढ़ती बयानबाजी से कंज्यूमर के बिहेवियर में बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, दिग्गज ई-काॅमर्स प्लेटफार्म फ्लिपकार्ट और अमेजन लोकल से वोकल टू लोकल को बढ़ावा दे रही हैं। ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स का प्रचार किया जा रहा है।

कंज्यूमर्स के पास भारतीय प्रोडक्ट्स को लेकर ज्यादा विकल्प नहीं

रिटेलर्स की मानें तो चाइनीज प्रोडक्ट्स बैन की बात करना आसान है। लेकिन जब खरीदारी के वक्त खासकर जब स्मार्टफोन की खरीदारी करते हैं, उस समय कंज्यूमर के पास भारतीय प्रोडक्ट्स को लेकर ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं। ऐसे में कंज्यमूर मेड इन चाइनीज प्रोडक्ट्स को ही चुनते हैं। रिटेलर्स के मुताबिक, चाइनीज प्रोडक्ट का बहिष्कार सिर्फ एक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा, इससे कंज्यूमर के बिहेवियर में बदलाव नहीं आएगा।

ग्राहक के बजट में फिट होता है चाइनीज प्रोडक्ट्स

एक रिटेलर एग्जिक्यूटिव के मुताबिक, भारत में 10 में से 9 ग्राहक चीनी हैंडसेट पसंद करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि ज्यादातर ग्राहक चीनी हैंडसेट ही खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि यह उनके बजट में फिट बैठता है। कोविड-19 के चलते ज्यादातर लोग कम से कम खर्च पर जोर देंगे ऐसे में चाइनीज प्रोडक्ट्स खरीदने के अलावा उनके पास विकल्प नहीं रहेगा। बता दें कि ज्यादातर ग्राहक 15,000 रुपए से कम कीमत वाले स्मार्टफोन खरीदते हैं। ऐसे में अन्य देशों के प्रोडक्ट्स का मुकाबला करना मुश्किल है।

अमेजन और फ्लिपकार्ट के भारतीय ग्राहकों पर असर नहीं

फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया के अधिकारियों की मानें तो फिलहाल चाइनीज प्रोडक्ट्स को लेकर भारतीय कंज्यूमर की खरदारी पैटर्न में बदलाव नहीं देखा गया है। हालांकि फ्लिपकार्ट और अमेजन लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं। फ्लिपकार्ट रेमंड, लिबास और हिडसाइन जैसे ब्रांडों को बढ़ावा देता है। अमेजन ने भी ‘लोकल से वोकल’ पर फोकस किया है और छोटे व्यवसायों, कारीगरों और स्टार्टअप्स के उत्पादों को सूचीबद्ध किया है।
वहीं, स्नैपडील के एक प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल उपभोक्ता-खरीद पैटर्न में बदलाव पर नहीं देखने को मिल रहा है। हालांकि कंपनी का फोकस भारतीय निर्माताओं, छोटे विक्रेताओं और बाज़ारों को ऑनलाइन लाने पर है। 

कोविड-19 के बाद चाइनीज प्रोडक्ट्स के प्रति भारतीय में रोष

पिछले कुछ दिनों से दुनियाभर में चीन के खिलाफ माहौल बन रहा है। कोरोनावायरस और लद्दाख में चीन की ओर से दिक्कत पैदा करने के बाद भारत में एक बार फिर चीनी सामानों के बहिष्कार की मांग बढ़ गई है। लद्दाख के टीचर सोनम वांगचुक ने भी चीनी सामान के बहिष्कार की अपील की है। उसके बाद से सोशल मीडिया पर चाइनीज प्रोडक्ट्स को बहिष्कार की मांग होने लगी। बता दें कि कोरोनावायरस महामारी की शुरूआत चीन के वुहान शहर से ही हुआ था।  

सबसे बड़ा चाइनीज लाइटिंग मार्केट में भी ग्राहक पर असर नहीं 

दिल्ली इलेक्ट्रिक टेडर्स एसोसिएशन चांदनी चौक के अध्यक्ष भारती आहूजा बताते हैं कि इन दिनों ऑफलाइन कस्टमर बहुत कम हैं। कुछ इक्का-दुक्का ऑर्डर आए भी हैं लेकिन प्रोडक्ट्स को लेकर कोई बदलाव नहीं देखा गया है। वे बताते हैं कि चाइनीज प्रोडक्ट्स की आगे भी खरीदारी जारी रहेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकल इंडस्ट्री को सालों से बढ़ावा नहीं दिया गया है। लोकल पोडक्ट्स कम होने के चलते भारतीय के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।

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