- इन 34 गरीब देशों में भारत का नाम नहीं है, 3 पड़ोसी देश- पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार शामिल
- एजेंसी के प्रमुख मिलिबैंड ने कहा कि- गरीब देशों में कोरोना को लेकर कमतर अनुमान लगाए गए हैं, वास्तविक जनहानि कहीं अधिक होगी
दैनिक भास्कर
Apr 28, 2020, 03:33 PM IST
लंदन. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आईआरसी) ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट में कोरोना पर जनहानि की बड़ी चेतावनी दी है। ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलिबैंड की अध्यक्षता वाली इस एजेंसी के मुताबिक, दुनिया के 34 सर्वाधिक गरीब देशों में कोविड-19 वायरस का विनाशकारी प्रभाव होगा। इसके कारण करीब एक अरब लोगों में संक्रमण हो सकता है। 30 लाख लोगों की मौत हो सकती है।
इन देशों में भारत का नाम नहीं है। 7 पड़ोसी देशों में से तीन- पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार शामिल हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान, सीरिया और यमन जैसे देश शामिल हैं। यहां इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी सेवाएं दे रही है।
ब्रिटेन की स्कॉय न्यूज से बातचीत में मिलिबैंड ने कहा, “कोरोना को लेकर अब तक काफी कम अनुमान लगाए गए हैं। वास्तविक जनहानि कहीं अधिक होगी। इस महामारी से मुकाबले के लिए गरीब देशों को बहुत कम समय मिला है। वहां बहुत व्यापक स्तर पर विनाश हो सकता है।”
- कौन से हैं 34 सर्वाधिक गरीब देश
आईआरसी ने जिन 34 देशों की स्थितियों का आकलन करके रिपोर्ट बनाई है उनमें ज्यादातर युद्धग्रस्त और शरणार्थियों से प्रभावित देश हैं। इनमें अफ्रीकी और एशियाई देश हैं। ये हैं – अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बुरुंडी, बुर्किना फासो, कैमरून, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, कोलम्बिया, कोट डी आइवर, कांगो, अल सल्वाडोर, इथियोपिया, ग्रीस, इराक, जॉर्डन, केन्या, लेबनान, लाइबेरिया, लीबिया, माली, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, वेनेजुएला और यमन।
इस रिपोर्ट की बड़ी बातें:
- यह नई रिपार्ट डब्ल्यूएचओ की 26 मार्च को प्रकाशित ग्लोबल इम्पैक्ट स्टडी मॉडल और डेटा सेट के अनुसार है। इसमें हर एक लाख संक्रमित लोगों पर 1.6 मौत होने का आकलन किया गया था।
- आईआरसी ने कहा है कि – आने वाले हफ्तों में तेजी से कदम नहीं उठाए गए तो 50 करोड़ से एक अरब लोग कोरोनोवायरस से संक्रमित हो सकते हैं। 15 से और 32 लाख लोगों की मौत की आशंका है।
- इसमें स्पष्ट कहा गया है कि गरीब देशों में शरणार्थी शिविरों में भीड़भाड़ और अभावग्रस्त स्थितियों के कारण बहुत जोखिम है। जैसे बांग्लादेश में कॉक्स बाजार, ग्रीस का मोरिया कैम्प, सीरिया का अल होल कोरोना के निशाने पर है। यहां जगह के हिसाब से लोगों की संख्या बहुत अधिक है।
- मौजूदा हालात में गरीब देशों में कोरोनोवायरस का प्रभाव ज्यादा पता नहीं है। क्योंकि वहां पर उस तरह से टेस्टिंग नहीं हो रही जैसी अमीर देशों में हो रही है। अफ्रीका में अब तक केवल 25,000 मामलों की बात कहना “बड़े पैमाने पर एक कमज़ोर” आकलन है। यह एक अरब से अधिक लोगों का बड़ा महाद्वीप है।
- पूर्व लेबर सांसद मिलिबैंड ने दुनिया के सबसे अमीर देशों को इन गरीब देशों की सहायता के लिए एक साथ आने की अपील करते हुए कहा कि, हमें यह तय करने की आवश्यकता है कि हम इसे एक वैश्विक महामारी की तरह लें। हम इसे तभी हरा सकते हैं जब पूरी दुनिया से इस खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे।
- मिलिबैंड ने COVID-19 संकट पर एकजुट अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर दुनिया के सबसे अमीर देशों यानी G20 देशों पर “नींद में” होने का आरोप लगाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन को फंड रोकने के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के फैसले पर बरसते हुए उन्होंने इसे एक बेहद उल्टा कदम बताया है।