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तीन लाख पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) बनाकर 2.40 करोड़ की बचत करेगा रेलवे

  • इसमें से 1.30 लाख पीपीई किट का निर्माण कर रही है उत्तर रेलवे, बाजार से 60 फीसदी सस्ते होंगे से किट

दैनिक भास्कर

Jun 15, 2020, 04:00 AM IST

नई दिल्ली. तेजी से फैले कोरोना संक्रमण जैसी विषम परिस्थितियों में भी भारतीय रेलवे अपनी भूमिका निभा रहा है। रेलवे ने अपने अस्पतालों में कोरोना मरीजों के उपचार में लगे डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को उपचार के दौरान पहनने के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई किट) की जरूरत हुई। इसके बाद इंजन, कोच की मरम्मत करने वाले रेलवे के इंजीनियरों ने इसे चुनौती लेते हुए माथा पच्ची करते बाजार से 60 प्रतिशत कम कीमत पर अपने कारखानों में अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित अपने पीपीई किट का निर्माण शुरू कर दिया।

रेलवे जिस स्तर की पीपीई किट का निर्माण कर रही है उस पीपीई किट की कीमत बाजार में 1200रुपए से अधिक है। वही पीपीई किट रेलवे लगभग 400रुपए में तैयार कर रही है। यही नहीं भारतीय रेल के 17 जोनों के कर्मचारियों ने लक्ष्य में से 99 हजार पीपीई किट का निर्माण कर डाला है, जिसमें 40501 पीपीई किट का निमार्ण उत्तर रेलवे ने किया है।

जुलाई तक रेलवे को तीन लाख पीपीई किट की आवश्यकता है। जिसमें से अकेले उत्तर रेलवे 1.30लाख पीपीई किट का निर्माण कर रही है। अगर रेलवे बाजार से इस क्वालिटी की पीपीई किट खरीद करती तो रेलवे को बाजार से खरीदने पर 3.60करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते। अब रेलवे ने तीन लाख पीपीई किट लगभग 1.20करोड़ रुपए में तैयार करेगी।

डीआरडीओ ने बताई पीपीई किट की बेहतर क्वालिटी 
रेल मंत्रालय की ओर से सभी जोन को जून और जुलाई महीने में 3 लाख पीपीई किट का निर्माण के लिए कहा गया था। हमारे सामने समस्या थी कि किस तरह का कपड़ा उपयोग किया जाए। इसके लिए हमने एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड का पीपीई किट बाजार से सैंपल के तौर पर खरीदा खरीदा, फिर उसमें लगे कपड़े को लेकर भारत सरकार टेक्सटाइल मंत्रालय से बात की और सैंपल लिया। इसके बाद पीपीई किट के निर्माण में जोड़ों को सील्ड करने जिससे कार्य के दौरान पानी, खून अंदर नहीं जाए इस पर कार्य करते हुए डिजाइन किया। इसके बाद जगाधरी वर्क्स शॉप में पीपीई किट तैयार किया।

इसके बाद समस्या यह थी कि पीपीई किट किस क्वालिटी का है। जिससे हमारे कोरोना योद्धा कोरोना संक्रमितों के उपचार के दौरान कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रह सकेंगे या नहीं इसका निर्णय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ ) ही कर सकता था। इसके बाद हम डीआरडीओ को पीपीई किट का सैंपल भेजा। जहां से डीआरडीओ इस पीपीई किट की क्वालिटी को बेहतर बताते हुए पास कर दिया। जिसके बाद पुरी रेलवे में उत्तर रेलवे के डिजाइन के आधार पर पीपीई किट का निर्माण किया जा रहा है।  -अरुण अरोड़ा, प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर, उत्तर रेलवे

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