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आषाढ़ महीना 6 जून से 5 जुलाई तक, इन दिनों सूर्य और चंद्रग्रहण के साथ रहेंगे बड़े व्रत-त्योहार

  • आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्र और देवशयनी एकादशी के अलावा भड़ली नवमी जैसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी रहेंगे

दैनिक भास्कर

Jun 05, 2020, 11:20 PM IST

हिंदू कैलेंडर का नया महीना आषाढ़ 6 जून से शुरू होगा, जो 5 जुलाई तक रहेगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस महीने में दो ग्रहण के साथ कई विशेष व्रत व त्योहार आएंगे। हालांकि उनमें से 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण ही महत्वपूर्ण रहेगा। वहीं 5 जुलाई को होने वाला चंद्रग्रहण उपछाया होने से नहीं दिखेगा। पूरे महीने श्रद्धालु पूजा-अर्चना में व्यस्त रहेंगे। उन्होंने बताया कि आषाढ़ माह में कई त्योहार आएंगे। इस महीने भड़ल्या नवमी व देवशयनी एकादशी जैसे बड़े पर्व आएंगे। इनके अलावा आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्र, भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा महोत्सव व गुरु पूर्णिमा भी इसी माह में हैं। हलहारिणी अमावस्या भी है।

इस महीने के त्योहार, सबसे पहले मिथुन संक्रांति फिर आषाढ़ माह के कृष्णपक्ष की एकादशी

हलहारिणी अमावस्या: 21 जून को हलहारिणी अमावस्या है। यानी हरियाली अमावस्या। इस तिथि पर पितर देवताओं के लिए विशेष धूप-ध्यान करना चाहिए। इसी तिथि पर सूर्य ग्रहण भी होगा, यह ग्रहण भारत में दिखेगा। सूर्य ग्रहण अमेरिका और प्रशांत महासागर में ही दिखाई देगा।
गुप्त नवरात्र: 22 जून से गुप्त नवरात्र शुरू होंगे। इसमें साधना का विशेष महत्व रहेगा। भक्त तंत्र, मंत्र साधना करेंगे।
रथयात्रा महोत्सव: 23 जून को रथ यात्रा महोत्सव मनाया जाएगा। भगवान जगन्नाथजी की यात्रा का निकलेगी। इस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग भी रहेगा।
विनायक चतुर्थी व्रत: 24 जून को गणेश जी के लिए व्रत रखने की तिथि विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।
भड़ल्या नवमी: 29 जून को भड़ल्या नवमी आएगी। यह तिथि विवाह व सभी मांगलिक व शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा।
देवशयनी एकादशी: 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस संबंध में मान्यता है कि इस तिथि से चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं और फिर देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे। इन चार माह में मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
गुरु पूर्णिमा: 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पड़ेगी। इसी दिन चंद्र ग्रहण भी होगा। लेकिन वो उपछाया चंद्र ग्रहण होने से मात्र एक खगोलिय घटना रहेगा। कहीं पर भी ये ग्रहण नहीं दिखेगा इसलिए इसका महत्व नहीं है। इसी तिथि पर आषाढ़ मास खत्म हो जाएगाऔर 6 जुलाई से सावन माह लगेगा।

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