श्रावण माह में शिवभक्ति अपने चरम पर है। सभी शिवभक्त अपनी लौकिक-पारलौकिक इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए अहर्निश शिव आराधना में लगे हुए हैं। ऐसे में कई भक्तों को तो स्वप्न ईष्ट के दर्शन भी होंगे। उनकी पूजा-आराधना के शुभा-शुभफल के संकेत भी दिखाई देंगे। यद्यपि ये स्वप्न हमेशा सत्य नहीं होते किन्तु कई बार देखा गया है कि ये बिल्कुल सत्य होते हैं। आदिकाल से ही ईश्वर अपने अनेकों भक्तों को स्वप्न में आकर निर्देशित करते रहे हैं। कई पुजारियों, राजाओं, सेठ-साहूकारों को तो देवी-देवता स्वयं स्वप्न में आकर निर्देशित कर चुके हैं कि मेरी मूर्ति यहां से निकालो, मन्दिर बनवाओं अथवा वो हमारा भक्त है उसकी सहायता करों आदि-आदि ऐसे अनेकों प्रमाण आज भी मिलते हैं। कई बार सपने उसी दिन सत्यघटित होते देखे गए हैं इनमें से एक सर्वाधिक प्रसिद्द स्वप्न त्रेतायुग में त्रिजटा ने लंकापति रावण और लंका निवासियों की दुर्दसा का देखा था कि, ‘सपने वानर लंका जारी। जातुधान सेना सब मारी।। और वह स्वप्न तो उसी दिन सत्य घटित हुआ था। ऐसे और भी अनेकों प्रमाण हैं।स्वप्नों का संसार भी अद्भुत
उपनिषद् कहते हैं कि, ‘स्वयंप्रकाश आत्मा ही अपनी माया से नाना प्रकार के शुभ-अशुभ स्वप्नों की कल्पना करता है जो सोते समय हमारे अचेतन मन में सत्यपरक जान पड़ते हुए और दिखाई देते हैं किंतु, निद्रा के टूट जाने पर वही असद्रूप हो जाते हैं। यह सत्य है कि स्वप्न में जो भी देखा-सुना जाता है उसे सृष्टि में किसी न किसी जगह किसी न किसी जीव अथवा पदार्थ के रूप में होना निश्चित है। ये हमारी दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन होते हैं जिसका अर्थ है ‘अचेतन प्रवाह तथा अंतर्मन के रहस्यों का संकेतक’। निद्रा के समय प्राणी जब चेतन से अचेतन अवस्था में प्रवेश करता है तो उस समय दैनिक जीवन की जो आवश्यकताएं अथवा वासनाएं अपूर्ण रहती हैं वही सुषुप्तावस्था में अपनी सिद्धि-असिद्धि के संकेतरूप में प्रवाहित होती हैं। इस अद्भुत घटना को हमारे ऋषियों-मुनियों ने स्वप्न कहा है जिसका सम्बन्ध सीधे आत्मा से होता है। दैनिक जीवन में मन की तमाम लालसाओं और लिप्साओं के लिए दुखी मन को रात्रि में आत्मारूपी सारथी जो अनुभूति कराता है वही स्वप्न है।सावन में शिव सम्बंधित स्वप्न
पवित्र श्रावण माह में शिव भक्तों को स्वप्न में अधिकांशतः अपने ईष्ट के दर्शन होते सुने गए हैं। यदि साक्षात शिव के दर्शन हों तो दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों तथा सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। स्वप्न में शिवलिंग के दर्शन, ज्योतिर्लिंग की यात्रा संकेत देती है कि, कार्य करते रहें आप सही दिशा में हैं सफलता अवश्य मिलेगी। स्वप्न में शिवलिंग पर बेलपत्र-पुष्पादि अर्पित करना, माता दुर्गा को नारियल-चुनरी चढ़ाना, हनुमान जी को सिंदूर का लेप करना, गणेश जी पर दूर्वा अर्पित करना, किसी भी देवी-देवता की आराधना-आरती करते देखना, शंख बजाना ये सब आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होने और पूजा स्वीकार होने के संकेत हैं। स्वप्न में रुद्राभिषेक करना या करवाना, शिव चालीसा का पाठ करना, शिव महिमा के स्तोत्र पढ़ना, शिवजी पर गंगाजल अथवा जल से अभिषेक करना, दानपुण्य करना आदि भी शिवकृपा प्राप्ति के लक्षण हैं।अक्सर दिखने वाले स्वप्न
शयन के बाद अचेतन मन के सक्रिय होने पर अनेकों प्रकार के सपने आने लगते हैं। यह भी है कि, कुछ लोंगों को तो सपने बिलकुल भी नहीं आते। स्वप्नदृष्टा नींद टूटते ही अवाक रह जाता है क्योंकि, जो वह देख रहा था सब माया का असद्रूप ही था। कुछ सपने जैसे, अपने को हवा में उड़ते देखना, योजनाओं की सफलता और नौकरी में पदोन्नति का संकेत हैं किन्तु, उड़ते समय किसी पेड़ या बिजली के खम्भों से टकराएं तो यह कड़े संघर्ष के बाद सफलता का संकेत है।
मृत्यु देखना, लाश देखना, पाखाना देखना, सांप के द्वारा डँसे जाना, सिंह देखना, हाथी-घोड़े के द्वारा पीछा किया जाना, स्वेत सर्प देखना इस तरह के स्वप्न विजयकारक माने गए हैं। दांत टूटना, नाखून काटना, मिठाई खाना, बाग-बगीचा देखना हराभरा मैदान देखना गुलदस्ता मिलना, टोपी या पगड़ी पहना, अतिशुभ सूचक संकेत हैं। अच्छे स्वप्नों को छुपाकर रखें और बुरे स्वप्नों को सबको बताएं अधिक बुरा स्वप्न हो तो पुनः सो जायें जिससे उसका फल क्षीण हो जाएगा।
