बालासोर के ज़िला अस्पताल में जब मोहम्मद निज़ामुद्दीन ने दोनों भाइयों की तस्वीर देखी तो उनके मुंह से निकल पड़ा, “यही तो हैं दोनों बच्चे.”
बिहार के रहने वाले ये दोनों भाई अपने पिता के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे.
इस ट्रेन के एक खड़ी हुई मालगाड़ी से टकराने और बाद में एक और ट्रेन के पटरी पर आ जाने से हुए भीषण हादसे में कम से कम 288 लोग मारे गए हैं.
ये 21वीं सदी में भारत में हुआ सबसे भीषण ट्रेन हादसा है.
अस्पताल की दीवार पर लगे एक प्रोजेक्टर पर तफ़सीर और तौसीफ़ के बुरी तरह से घायल चेहरों की तस्वीरें दिखाई जा रहीं थीं.
तफ़सीर की तस्वीर पर 20 नंबर अंकित था जबकि तौसीफ़ की तस्वीर पर 169.
लेकिन उनके पिता मोहम्मद भिकारी और सात साल की ज़ाहिदा को अभी तक कोई नंबर नहीं मिला है क्योंकि वो अभी भी लापता हैं. ज़ाहिदा अंसारी भाइयों से संबंधित नहीं है.
ज़ाहिदा अपनी मां शबनम बीवी के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस से हैदराबाद वापस जा रहीं थीं.
ज़ाहिदा के पिता सरफ़राज़ आंखों से आंसू पोंछते हुए कहते हैं, “मुझे अपनी पत्नी की लाश मिल गई. मैंने किसी तरह भुवनेश्वर में उसे दफ़न किया. अब मैं यहां अपनी बेटी को खोजने के लिए वापस लौटा हूं. ना ही वो यहां के किसी अस्पताल में भर्ती है और ना ही दीवार पर उसकी तस्वीर दिखाई जा रही है.”
अहमद कहते हैं, “उनके पास वातानुकूलित डिब्बे के टिकट थे लेकिन वो वेटिंग थे इसलिए हमने स्लीपर कोच के भी दो टिकट ख़रीद लिए थे. मेरी पत्नी और बेटी कोरोमंडल एक्सप्रेस के एस-1 कोच में यात्रा कर रहे थे. उसने मुझे ट्रेन के भीतर से शाम क़रीब साढ़े पांच बजे कॉल की थी.”
इसके लगभग डेढ़ घंटा बाद ही हादसा हो गया था. कोरोमंडल एक्सप्रेस के जिन डिब्बों को सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ उनमें एस-1 कोच भी शामिल था.
अहमद ने हादसे से कुछ वक़्त पहले अपने परिवार से फ़ोन पर बात की थी. लेकिन मोहम्मद भिकारी का परिवार ऐसा नहीं कर सका. हादसे की ख़बर के बाद उनके परिवार ने बार-बार फ़ोन किया लेकिन बात नहीं हो सकी.
उनके एक रिश्तेदार सवाल करते हैं, “हम पूरी रात फ़ोन करते रहे. शनिवार को किसी ने फ़ोन उठाया और कहा कि जिनका ये फ़ोन था, वो अब ज़िंदा नहीं है. दोबारा फ़ोन मत कीजिए. इसका मतलब ये था कि मोहम्मद भिकारी के शव के साथ ही उनका फ़ोन मिला था.”
बालासोर के अस्पताल में सिर्फ़ मारे गए लोगों की तस्वीरें ही परिजनों को पहचान के लिए दिखाई जा रही हैं. सभी अज्ञात शवों को राजधानी भुवनेश्वर भेज दिया गया है.