12 साल की उम्र में निख़त ज़रीन निज़ामाबाद में एक एथलेटिक्स मीट में हिस्सा लेने गई थीं. तब वह एक कम उम्र की धाविका थीं जो दूसरी एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेती थीं.
निख़त ने वहां बॉक्सिंग के अलावा दूसरे कई खेलों में हिस्सा लिया, लेकिन उनकी नज़र एक बात पर ठहर चुकी थी.
वह अपने पिता मोहम्मद जमील अहमद के साथ वहां गई थीं, लिहाज़ा उन्होंने अपने पिता से ही पूछा, “बॉक्सिंग बस लड़के ही करते हैं क्या?” इस मासूम से सवाल के साथ निख़त का मुक्केबाज़ी से रिश्ता शुरू हुआ था.
बीते रविवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में निख़त ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया.इतना ही नहीं उनके अलावा तीन अन्य महिला मुक्केबाज़ों ने भी गोल्ड मेडल जीतकर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में चार गोल्ड मेडल जीतने के करिश्मे की बराबरी की.