एयर इंडिया और एयर विस्तारा के बीच विलय का सौदा पक्का होने के साथ ही दोनों एयरलाइंस एक नए सफ़र के लिए अपनी सीट बेल्ट बांध चुकी हैं. पर यह सौदा क्या है?
इस समय एयर इंडिया और एयर विस्तारा दोनों का संचालन टाटा संस कर रहा है. एयर विस्तारा में टाटा संस की हिस्सेदारी 51% है, जबकि सिंगापुर एयरलाइंस की हिस्सेदारी 49% है.
यह विदेशी एयरलाइंस 2000 करोड़ रुपये निवेश कर रही है जिससे एयर इंडिया में इसकी हिस्सेदारी 25% हो जाएगी.
विलय की औपचारिकताएं जारी हैं और उम्मीद है कि मार्च 2024 तक पूरी हो जाएंगी.बढ़ते क़र्ज़ और नुक़सान से एयर इंडिया को बचाने के लिए भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत टाटा संस ने पिछले साल अक्टूबर में इसे 18,000 करोड़ रुपये में ख़रीदा था
उस समय भी टाटा का प्लान अपने सारे उड्डयन ब्रांडों के विलय का था.
‘दि डिसेंट ऑफ़ एयर इंडिया’ के लेखक और एयर इंडिया के पूर्व एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर जितेंदर भार्गव को लगता है, “यह बढ़िया और समय के अनुकूल, एक लाभदायक फ़ैसला है. सिंगापुर एयरलाइंस इसमें निवेश कर रही है जिसका मतलब है कि बेहतर कार्य पद्धति बनी रहेगी.”
उड्डयन विशेषज्ञ अमेय जोशी का भी नज़रिया है कि, “यह विलय सुनिश्चित करेगा कि कई ब्रांडों की बजाय, इस ग्रुप के लिए एक ब्रांड पर फ़ोकस बिल्कुल स्पष्ट है. उड़ानों और इसकी पोज़िशनिंग के मामले में एयर इंडिया और ताक़तवर होगी और ओवरलैपिंग रूट को व्यवस्थित करके नए रूट खोलने में मदद मिलेगी.”
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे व्यवसायिक रणनीति को सुधारने में उन्हें मदद मिलेगी.
मार्च 2024 में इसके विलय के साथ ही, विस्तारा अपनी अंतिम उड़ान भरेगी और एयर इंडिया अपने संयुक्त अवतार में नए भविष्य की ओर उड़ान भरेगी
उस समय भी टाटा का प्लान अपने सारे उड्डयन ब्रांडों के विलय का था.
‘दि डिसेंट ऑफ़ एयर इंडिया’ के लेखक और एयर इंडिया के पूर्व एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर जितेंदर भार्गव को लगता है, “यह बढ़िया और समय के अनुकूल, एक लाभदायक फ़ैसला है. सिंगापुर एयरलाइंस इसमें निवेश कर रही है जिसका मतलब है कि बेहतर कार्य पद्धति बनी रहेगी.”
उड्डयन विशेषज्ञ अमेय जोशी का भी नज़रिया है कि, “यह विलय सुनिश्चित करेगा कि कई ब्रांडों की बजाय, इस ग्रुप के लिए एक ब्रांड पर फ़ोकस बिल्कुल स्पष्ट है. उड़ानों और इसकी पोज़िशनिंग के मामले में एयर इंडिया और ताक़तवर होगी और ओवरलैपिंग रूट को व्यवस्थित करके नए रूट खोलने में मदद मिलेगी.”
इस विलय का मतलब क्या है
उड़ानों की साइज़ के लिहाज़ से यह विलय, एयर इंडिया को देश की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन और दूसरी सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन बना देगा जिसके पास 200 से अधिक हवाई जहाज़ों का बेड़ा होगा.
इस विलय के बड़े हिस्सेदार एक-दूसरे से फ़ायदा पाने की उम्मीद कर रहे हैं.इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि एयर इंडिया को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर प्रमुख स्लॉट मिल जाएंगे जो कि एयर विस्तारा के लिए उपलब्ध नहीं थे. दूसरी तरफ़ सालों से नुक़सान और संकट से जूझ रही एयर इंडिया को एयर विस्तारा से फ़ायदा पहुंचेगा जो कि भारत की अग्रणी एयरलाइंस में से एक मानी जाती है.
भारत के उभरते उड्डयन क्षेत्र में अपनी स्थिति को मज़बूत करना चाहेगी जिसे दुनिया की तीसरी और सबसे तेज़ी से विकास कर रही एयरलाइंस में शुमार किया जाता है.
अमेय के अनुसार, “सिंगापुर एयरलाइंस के लिए यह विलय, छोटी एयरलाइन में क़रीब आधे की हिस्सेदारी के मुक़ाबले, एक छोटे हिस्से के साथ संचालन के बड़े क्षेत्र का दरवाज़ा खोलता है. एक छोटी एयरलाइंस के साथ ब्रांड बनाने में कई साल लग जाते.”