May 3, 2024 : 7:04 AM
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बंजर जमीन को महिलाओं ने बनाया उपजाऊ, पपीते की खेती से छाप रहीं नोट, प्लेन से जाती हैं दिल्ली

रायपुर : इरादे पक्के हों तो पत्थर पर भी पेड़ उगाए जा सकते हैं। इस उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ (chhattisgarh women news) के बस्तर इलाके की महिलाओं ने। यहां की महिलाओं का समूह पथरीली धरती पर पपीते की खेती (papaya farming in bastar) करने में कामयाब हुआ है। यह करिश्मा बस्तर के मंगलपुर गांव में हुआ। यहां महिलाओं ने मां दन्तेश्वरी पपई उत्पादन समिति बनाई। इस समिति का 43 महिलाएं हिस्सा बनीं और वहां की पथरीली जमीन पर पपीते की खेती का फैसला किया। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने यहां 40 लाख रुपये मूल्य के पपीते का उत्पादन किया है।।

woman papaya farming

मां दन्तेश्वरी समिति की सचिव हेमवती कश्यप बताती है कि उन्होंने 10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर 40 लाख रुपये का कारोबार किया। पपीता की खेती कर महिलाओं को पहली बार हवाई जहाज में बैठ दिल्ली जाने का मौका मिला। कहा कि हमारी जिंदगी बदल रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिलाओं को पपीता की खेती से दिल्ली का हवाई सफर करने और एक साल में लागत वसूल कर 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाने पर बधाई दी।समिति की सचिव हेमा कश्यप ने बताया कि ये जमीन बहुत ही पथरीली और बंजर थी, जमीन को खेती लायक बनाने के लिए डेढ़ महीने तक महिलाओं ने हाथों से पत्थर बीने और तकरीबन 100 ट्राली पत्थर बाहर किए। बाहर से लाल मिट्टी लाकर जमीन को समतल किया गया। महिलाओं ने समतलीकरण में श्रम दान दिया।

इस अभियान से जुड़ी महिलाएं बताती है कि पपीता का पौधा लगाने के लिए स्थान तैयार किए गए, जहां पेड़ लगाए जाना थे, वहां पुन: मिट्टी डाली गई। दिसंबर 2021 में महिलाओं की तरफ से शुरू किया गया जमीन तैयार करने का काम लगभग डेढ़ महीने चला, तब जाकर 11 जनवरी 2021 को पपीता के पौधे का रोपण शुरू हुआ। कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज 10 एकड़ के क्षेत्र में 5500 पपीता के पौधे लहलहा रहे हैं। अभी तक 300 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है। यहां इंटर क्रॉपिंग के जरिए पपीते के बीच में सब्जियां उगाई जा रही हैं।दावा किया जा रहा है कि पहली बार यहां उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेती की जा रही। ये पपीता बहुत मीठा और स्वादिष्ट होने साथ ही पोषक भी होता है। बस्तर के दरभा ब्लॉक के मंगलपुर गांव में उपजे पपीते का मीठा स्वाद दिल्ली तक पहुंच रहा है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में पपीते की लगभग पांच टन की तीन खेप बेची जा चुकी है। जिसके 80 रुपये प्रति किलो की दर से दाम मिले हैं।इन महिलाओं ने पपीता उगाने के लिए ऑटोमेटेड ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का सहारा लिया है, जिससे उपयुक्त मात्रा में ही पानी और घुलनशील खाद पपीता की जड़ों तक पहुंच रहा है। जानकार कहते है कि पथरीली जमीन में ड्रिप इरिगेशन तकनीक के सहारे ही खेती संभव है। इरिगेशन सिस्टम ऑपरेटर मनीष कश्यप ने बताया है कि यह पूरा सिस्टम कंप्यूटरीकृत है, जिसे इंटरनेट की मदद से कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है।

महिलाओं ने एक आधुनिक तकनीक का वेदर स्टेशन भी बना रखा है। जिसके उपयोग से तापमान, वाष्पीकरण दर, मिट्टी की नमी, हवा में नमी की मात्रा, हवा की गति, हवा की दिशा का मापन किया जाता है। इस जानकारी का उपयोग महिलाएं अपने मोबाइल में एप से सिंचाई के लिए कर रही हैं। इस तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादकता बढ़ी है।

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