April 29, 2024 : 6:28 PM
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कमलनाथ ने शुरू की असंतुष्टों को साधने की कोशिश

मध्य प्रदेश में 2023 के विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं को एकजुट रखने की कवायद तेज हो गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राजनीतिक मामलों में सलाह देने के लिए पार्टी की एक समिति बना दी है. इसमें सभी असंतुष्ट नेताओं को जगह देकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की गयी है. समिति में कुल 20 नेताओं को  शामिल किया गया है. जबकि स्थाई आमंत्रित सदस्य के रूप में राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल और विवेक तन्खा को जगह दी गयी है.

अगले विधानसभा चुनाव के लिए फ्री हैंड मिलते ही पीसीसी चीफ और पूर्व सीएम कमलनाथ ने काम शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआथ एक तीर से सारे अंतुष्ट नेताओं को साधकर की है. राजनीतिक मामलों में सलाह देने के लिए कमलनाथ ने नयी समिति बनायी है. इसमें संतुष्ट दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी से लेकर असंतुष्ट अरुण यादव, अजय सिंह, डॉक्टर गोविंद सिंह, केपी सिंह, आरिफ अकील सहित 20 नेताओं को सदस्य बनाया गया है. समिति 2023 के चुनाव से पहले पार्टी को राजनीतिक मामलों में सुझाव देगी. समिति के सुझाव पर पार्टी के कार्यक्रम तय किए जाएंगे. ये समिति बीजेपी सरकार को घेरने की रणनीति पर भी अपने सुझाव देगी.

अंतुष्टों की भूमिका तय
कुल मिलाकर कमलनाथ ने पार्टी में हाशिए पर जा रहे हैं नेताओं को खुश करने का प्रयास किया है. उनके अनुभव काम आएंगे. 2023 के चुनाव में उनकी भूमिका को भी तय कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने कहा 2023 के चुनाव को लेकर समिति का गठन किया गया है. यह समिति हर तरह के राजनीतिक मामलों को लेकर सुझाव देगी और उस पर पार्टी फैसला लेगी.

कमलनाथ का साफ संदेश
कमलनाथ पार्टी के क्राइसिस मैनेजर हैं. चुनाव नजदीक आने से पहले वो पार्टी के सभी धड़ों को एकजुट करने में जुट गए हैं. समिति गठन से पहले कमलनाथ ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्रियों को डिनर दिया था. उसमें सभी नेताओं ने एक राय से 2023 का चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ने पर अपनी सहमति दे दी थी. साथ ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का केंडिडेट घोषित करने पर भी अपनी सहमति जताई थी. उसके बाद कमलनाथ ने राजनीतिक मामलों की समिति का गठन कर सभी को खुश करने की कोशिश की है. मतलब और संदेश साफ है कि अगर 2018 की तरह फिर चुनाव जीतक सत्ता में आना है तो एकजुट होना ही पड़ेगा.

 

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