April 26, 2024 : 9:11 PM
Breaking News
MP UP ,CG Other अन्तर्राष्ट्रीय करीयर क्राइम खबरें खेल ताज़ा खबर बिज़नेस ब्लॉग मनोरंजन महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय लाइफस्टाइल हेल्थ

क्या हिंदुओं को देश के कुछ राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा मिल सकता है?

जिन राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम है वहां की सरकारें उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं’. 

ये जानकारी केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल कर दी है. जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि हिंदू बहुल भारत में क्या हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल सकता है? अगर राज्य सरकारें हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देती हैं तो उसका आधार क्या होगा और इससे हिंदुओं को क्या फायदा होगा ?

ये हलफनामा केंद्र सरकार ने बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका के बाद दायर किया है. याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग की वैधता को चुनौती दी है.

बीबीसी से बातचीत में अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बताया, ”2002 में सुप्रीम कोर्ट की 11 जजों की बेंच ने कह दिया था कि राष्ट्रीय स्तर पर भाषा और धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जा सकता. दोनों की पहचान राज्य स्तर पर की जाएगी. लेकिन अभी तक राज्य स्तर पर गाइडलाइन क्यों तैयार नहीं की गई है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय की पहचान की जा सके”.

अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 6 धर्मों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है. इसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन धर्म शामिल है. केंद्र सरकार ने जैन धर्म को 2014 में और अन्य को 1993 में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया था.

बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि अल्पसंख्यक को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है. बिना किसी आधार के अपनी मर्जी से सरकार ने अलग अलग धर्मों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया हुआ है. देश में यहूदी और बहाई धर्म के लोग भी हैं लेकिन उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिला हुआ है.

इसी याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जैसे महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदियों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया था वैसे ही राज्य, धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं. कर्नाटक ने भी उर्दू, तेलुगू, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमानी, हिंदी, कोंकणी और गुजराती को अपने राज्य में अल्पसंख्यक भाषाओं का दर्जा दिया है.

गौर करने वाली बात ये है कि केंद्र सरकार ने कहा है कि सिर्फ राज्यों को अल्पसंख्यकों के विषय पर कानून बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता. इसका मतलब है कि राज्य चाहें तो ऐसा कर सकते हैं लेकिन केंद्र अपने स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर अधिसूचना जारी कर सकता है.

Related posts

पाकिस्तान में कोरोना से दाऊद इब्राहिम की मौत की अटकलें; भाई अनीस ने एक दिन पहले कहा था- दाऊद संक्रमित नहीं है

News Blast

मकान जर्जर हो गया और लॉकडाउन में बहन की नौकरी भी चली गई थी, अब 300 रुपए के टिकट पर 12 करोड़ की लॉटरी खुली

News Blast

अमेरिका: जहां प्रदर्शन होते हैं, वहां पहुंचते हैं स्ट्रीट मेडिक्स; घायल प्रदर्शनकारियों और पुलिस सभी का उपचार करते हैं

News Blast

टिप्पणी दें