May 3, 2024 : 7:26 PM
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बिहार में हाथ बंधी महिलाओं के वायरल वीडियो का पूरा मामला क्या है

बीते दिनों सोशल मीडिया पर बिहार के गया का एक वीडियो वायरल हुआ है. इस वीडियो में देखा गया था कि बिहार पुलिस के कुछ कर्मचारियों ने कुछ महिलाओं और पुरुषों के हाथ पीछे बांधकर उन्हें नदी के इलाक़े में बैठाया है.

जो वीडियो में नहीं दिख रहा है, उसके मुताबिक़ यहां बालू ख़नन के क्षेत्र के सीमांकन और उसका विरोध करने को लेकर पुलिस और ग्रामीणों में भिड़ंत हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने छह महिलाओं सहित दस लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है.

इसके अलावा कई ग्रामीणों के शरीर पर पुलिस के लाठी के जख़्म बने हैं और बातचीत में ग्रामीण औरतें घरों में पुलिस के लूटपाट करने का आरोप भी लगा रही हैं.

गया के सिटी एसपी राकेश कुमार पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प और पुलिस की कार्रवाई की बात स्वीकार करते हैं लेकिन पुलिस की लूटपाट के आरोपों को पूरी तरह ग़लत बताते  हैं।

यह पूरा मामला क्या है, इसको समझने के लिए हम गया के बेलाखंड प्रखंड के आढ़तपुर गांव पहुंचे.

इस गांव में 20 साल की बालो कुमारी की शादी अधर में लटक गई है. उनकी शादी की ‘पेशगी’ के लिए उनके बिना प्लास्टर के घर में नकद रूपये और गहने एल्यूमीनियम के एक बड़े बक्से में रखे हुए थे.

बालो कुमारी का आरोप है, “15 फरवरी को 10 पुलिसवाले घर में घुसे और हमारे घर की खिड़कियों के शीशे तोड़ डाले. 16 फरवरी को मेरी शादी के लिए की पेशगी जानी थी. शादी के इंतज़ाम के लिए भी रुपये रखे थे. ये लोग पांच लाख रुपये नगद और तीन लाख रुपये के गहने लूट कर चले गए.”

बालो के माता-पिता गुजर चुके है. उसकी ज़िम्मेदारी बड़े भाई फुलेन्द्र यादव उठा रहे है. फुलेन्द्र मूक बधिर है और उनकी पत्नी रंजू देवी जेल में है.

बालो कुमारी
बालो कुमारी

वो कुछ बोल तो नहीं सकते लेकिन अपने तीन छोटे बच्चों को आजकल सीने से चिपकाए फिरते हैं. फुलेन्द्र के तीन बच्चों में से एक बच्ची मानसिक तौर पर बीमार है.

यहीं के एक अन्य ग्रामीण हरेराम यादव की आंखें भी डबडबाई हुई है. छठी में पढ़ने वाला उनका बेटा आजकल अपने पिता और दो भाई-बहनों का संबल बना हुआ है.

हरेराम की पत्नी गीता देवी भी इसी मामले में जेल में है. अब ये ख़बर सुनकर बच्चों की नानी तेतरी देवी उनके पास आ गई है. इस दंपत्ति के बच्चे कहते हैं, “मेरी मम्मी को जल्दी छोड़ दो. मम्मी के बिना कैसे रहेंगे.”

क्या है मामला?

बेलागंज प्रखंड के मुख्य थाना अंतर्गत पड़ने वाले आढ़तपुर गांव की 6 महिलाएं और 4 पुरूषों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है.

बीते 15 फरवरी को इस गांव में बालू घाट के सीमा निर्धारण (बांउड्री घेराव) के लिए गई पुलिस और स्थानीय ग्रामीणों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था.

15 फरवरी को यहां गया ज़िले के जिला परिवहन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, खनिज विकास पदाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, बेलागंज, चाकन्द, मेन, पाईबिगहा यानी चार थानों के थानाध्यक्ष और पुलिसकर्मियों का एक दल आया था.

गांव के राघो यादव जिनका घर नदी के इलाके के बिल्कुल नज़दीक है वो बताते हैं, “200 से 300 की संख्या में लोग थे. तकरीबन डेढ़ बजे दोपहर के आसपास ये लोग गांव में घुसे और नदी के इलाक़े में जाकर नापी करने लगे. चूंकि हम लोग लगातार बालू उठाव का विरोध करते रहे है, इसलिए हम लोगों ने उस दिन भी विरोध किया तो दोनों तरफ़ से हाथापाई हो गई. जिसके बाद पुलिसवालों ने आंसू गैस के गोले छोड़े.

इससे बचने के लिए हम लोग गांव की तरफ भागे और जहां सुरक्षित लगा, वहीं घुस गए. लेकिन पुलिसवालों ने घर में घुसकर सबको लाठी और जूतों से मारा. इसके बाद पुलिसवाले हम लोगों को नदी के पास ले गए और 12 लोगों को हाथ पीछे बांधकर दो घंटे बैठाए रखा.”

राघो यादव और उनकी बहु बबिता देवी के शरीर पर लाठी के निशान साफ दिखाई देते हैं, वहीं उनके घर के कमरे का दरवाजा भी पुलिस की लाठी की बर्बरता की कहानी कहता है. सिर्फ़ राघो और बबिता ही नहीं बल्कि गांव की अनीसा देवी, दौलती देवी, राम बालक यादव, इंद्रदेव यादव सहित कई लोगों के शरीर पर जख़्म के निशान देखे जा सकते हैं.सभी का आरोप है कि ये लोग अपने इलाज के लिए बेलागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और गया सदर अस्पताल गए, लेकिन वहां इन्हें समुचित इलाज नहीं मिला।

‘गांव वाले अवैध बालू ख़नन चाहते हैं’

पुण्य शर्मा साल 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग गुट) से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं.

उन्होंने कहा, “अगर गांववालों को डूब का डर है तो गार्ड वॉल बनवाएं. ये सब कुछ अवैध बालू ख़नन के लिए हो रहा है. गांववाले कुछ स्थानीय नेताओं से आश्रय पाकर अवैध ख़नन कर रहे है. नदी के किनारे बड़े-बड़े गड्डे इसके सबूत है. ये लोग नहीं चाहते कि लाइसेंसधारी (जिसे बालू उठाव का लाइसेंस सरकार ने दिया) बालू का ख़नन करें. जबकि हमने जनवरी से मार्च 2022 तक ख़नन के लिए सरकार को डेढ़ करोड़ रुपये जमा किए हैं.”

सिटी एसपी गया, राकेश कुमार जो एसएसपी के अवकाश में होने के चलते ज़िले का प्रभार देख रहे है, उन्होंने बताया, “इस मामले में टेंडर जिनको मिला था, वो जब भी जाते थे तो स्थानीय लोग बालू उठाव नहीं करने दे रहे थे. उन्होने कई बार इसकी शिकायत प्रशासन को की. प्रशासन पहले भी वहां जाता रहा लेकिन गांव वालों ने ख़नन निरीक्षक के साथ मारपीट की. सीमांकन नहीं करने देने की वजह थी कि ये लोग बालू की चोरी करना चाहते हैं.”

घटना वाले दिन की बात पूछे जाने पर राकेश कुमार ने कहा, “15 तारीख को भी ज़िले से ज्वाइंट आर्डर पर सीमांकन के लिए सभी अधिकारी गए थे. लेकिन गांव वालों ने विरोध में रोड़ेबाजी शुरू कर दी. पुलिस पर किसी तरह का हमला होगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसमें हमारे भी 10 पुलिसकर्मी घायल हुए है. इस मामले में ख़नन निरीक्षक ने प्राथमिकी दर्ज कराई है. जिसमें 16 लोगों पर नामज़द और कई अज्ञात पर प्राथमिकी है. इसमें से 10 की गिरफ़्तारी हो चुकी है.”बालू उठाव को लेकर ख़नन अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच हिंसा होती रही है. फरवरी 2020 में ख़नन निरीक्षक व्यास पासवान को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया था जिसके बाद उन्होने मेन थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इस मामले में 42 लोगों को नामज़द किया गया था. इसी तरह जनवरी 2022 में भी ख़नन निरीक्षक अमिताभ ने ऐसी ही शिकायत दर्ज कराई थी.

पीला सोना, काली कमाई

बिहार में बालू को ‘पीला सोना’ कहा जाता है और इसका अवैध ख़नन एक बड़ा मुद्दा रहा है. ख़नन एवं भूतत्व विभाग के वेबसाइट के मुताबिक़ राज्य के 29 जिलों में बालू ख़निज उपलब्ध है जिसे 25 बालू घाटो इकाईयों के रूप में संगठित किया गया है.

इन बालू घाटों से अवैध खनन से हो रही काली कमाई का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है कि बीते साल भोजपुर के तत्कालीन एस पी राकेश कुमार दूबे पर जब आर्थिक अपराध इकाई का शिकंजा कसा था.

उन पर बालू के अवैध ख़नन और अन्य तरह के गैरक़ानूनी व्यापार से करोड़ों की कमाई का आरोप है. उस वक्त स्थानीय मीडिया में ये बात सामने आई थी कि 42वीं बैच के पुलिस अधिकारी राकेश दुबे में अब तक के सेवाकाल के दौरान वेतन निकाला ही नहीं.

वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते है, “बालू के कारोबार को जातीय फ्रेम में भी देखा जाना चाहिए. पहले राजपूत और भूमिहार जाति का इस पर क़ब्जा था. फिर लालू राज में यादव आए. नीतीश कुमार की सरकार में ये सब कुछ टूटा और अभी आपको कई जातियों के बीच बालू कारोबार और उस पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए संघर्ष दिखता है.”

“पुराने और इस कारोबार के नए प्लेयर्स का कॉन्फिल्क्ट है जो आपको कई बार, कई वायरल वीडियो में भी दिख जाता है.”

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