April 26, 2024 : 3:49 PM
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बेरोज़गारीः आत्महत्या करते युवाओं की संख्या ख़तरनाक उछाल पर- क्या कह रहे आँकड़े

उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले के रहने वाले युवक के छोटे भाई मनोज चौधरी ने बताया, “मेरा बड़ा भाई प्रयागराज में रहकर 2011 से यूपी-पीसीएस की तैयारी कर रहा था. परीक्षा पास नहीं करने की वजह से निराश था. परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था.”

कुछ ऐसी की कहानी राजस्थान के धौलपुर में रह रहे युवक की है. युवक आयुर्वेद कंपाउंडर भर्ती की तैयारी कर रहा था.

युवक के भाई मदन मीणा ने  बताया, “हम पांच भाई हैं. वो सबसे बड़े थे. परीक्षा में चयन न होने के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा था कि राज्य सरकार ने भर्ती नहीं निकाली और वो बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं.”

आत्महत्या की ऐसी कहानियाँ बेरोज़गारी की बढ़ती समस्या का इशारा दे रही हैं. बुधवार को राज्यसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि बेरोज़गारी की वजह से 2018 से 2020 तक 9,140 लोगों ने आत्महत्या की है. साल 2018 में 2,741, 2019 में 2,851 और 2020 में 3,548 लोगों ने बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्या की है. 2014 की तुलना में 2020 में बेरोज़गारी की वजह से आत्महत्या के मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

ख़तरनाक स्थिति

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ़ कंप्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंस के प्रोफ़ेसर शानदार अहमद के मुताबिक छह साल में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के मामलों में 60 प्रतिशत की वृद्धि ख़तरनाक है.

प्रोफ़ेसर शानदार अहमद बताते हैं, “साल 2014 से 2017 तक कोई ख़ास बदलाव नज़र नहीं आता लेकिन 2020 में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के मामलों में अचानक से बड़ा उछाल दिखा है. ये काफ़ी बड़ा बदलाव है, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.”

प्रोफ़ेसर अहमद कहते हैं कि यदि ध्यान नहीं दिया गया तो आगे हालात और गंभीर हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, “हमें पिछले सालों की घटनाओं को देखना पड़ेगा जिसकी वजह से 2020 में इतने मामले बढ़े हैं. आत्महत्या कोई व्यक्ति एक दिन में नौकरी जाने या नहीं मिलने की वजह नहीं करता. स्थिति धीरे धीरे बड़ी होती है फिर एक दिन जाकर कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है. कोरोना का प्रभाव बेरोज़गारी के कारण हुई आत्महत्या पर कितना पड़ा है ये हमें आने वाले एक दो सालों में पता चलेगा. भविष्य में ये स्थिति ज़्यादा ख़राब हो सकती है.”

ANI

आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या

साल 2018 से 2020 तक बेरोज़गारी से अलग दिवालियापन और कर्ज़ की वजह से आत्महत्या करने वालों में भी बढ़ोतरी हुई है.

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि ऐसे मामलों में इन तीन सालों में कुल 16,091 लोगों ने आत्महत्या की है. साल 2019 में दिवालियापन और कर्ज़ के चलते आत्महत्या करने वाली की संख्या 5,908 है. जो तीन सालों में सबसे ज़्यादा है.

गृह मंत्रालय ने ये जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो या एनसीआरबी के आँकड़ों के आधार पर दी है.

बेरोज़गारी के आंकड़े

बिहार में पटना के ‘एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़’ के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर का कहना है कि बेरोज़गारी की असल हालत कहीं अधिक गंभीर है.

 बताते हैं, “पिछले कुछ सालों में लोगों में बेरोज़गारी और निराशा काफी बढ़ी है. बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है. सरकार जो आँकड़े दे रही है वो सही नहीं है. ज़मीन पर हालात आँकड़ों से ज़्यादा ख़राब हैं.

“देश में नौकरी का संकट बड़ा है, लाखों युवक नौकरी की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है. वर्क फोर्स हर नए साल बढ़ रहा है.”

खाली पद

कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में जानकारी दी कि 1 मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के विभागों में 8,72,243 यानी लगभग लगभग पौने नौ लाख पद रिक्त थे.

एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने जानकारी दी कि 1 मार्च 2019 तक 9,10,153 रिक्त पद और 1 मार्च 2018 तक 6,83,823 रिक्त पद थे.संसद में लिखित जवाब में कार्मिक मंत्रालय ने कहा, “तीन बड़ी भर्ती परीक्षा एजेंसियों ने 2018-19 से 2020-21 तक 2,65,468 भर्तियां की हैं. इनमें रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) शामिल है.”

जानकारों का मानना है कि पिछले कुछ सालों से सिर्फ़ सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट नौकरियां भी सिमट रही हैं.

डीएम दिवाकर बताते हैं, “सरकार के पास लाखों पद खाली पड़े हैं. रेलवे जैसा क्षेत्र हर साल लाखों रोज़गार पैदा करता है. पद खाली होने के बाद भी रोज़गार नहीं दिया जा रहा है क्योंकि सरकार निजीकरण की तरफ़ बढ़ रही है. सरकार नौकरी न देकर प्राइवेट हाथों में काम देने की तैयारी कर रही है.”

सालों की तैयारी के बाद भी नौकरी न मिलने से प्रयागराज में आत्महत्या करने वाले युवक के छोटे भाई मनोज चौधरी का कहना है, “सरकार को समय से वैकेंसी निकालनी चाहिए. यहां पता चलता है कि 100 वैकेंसी में से 50 पहले धांधली से भर जाती हैं. परीक्षा का पेपर पहले से लीक हो जाता है. सरकार को ईमानदारी से नौकरियों की भर्ती करनी चाहिए.”

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