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जबलपुर हाईकोर्ट के फ़ैसले से गुलज़ार और आरती करेंगे नई ज़िंदगी की शुरुआत

गुलज़ार और आरती के लिए पिछला एक माह बहुत ही मुश्किलों भरा रहा क्योंकि आरती के परिवार ने इन दोनों को अलग करने के लिए कई तरह के प्रयास किए लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट का 28 जनवरी का फ़ैसला उनके लिए राहत भरा रहा जब इन दोनों को साथ रहने की अनुमति दे दी गई.

न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकल पीठ ने जबलपुर पुलिस को आदेश दिया कि इन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. ये मामला अंतर-धार्मिक शादी को लेकर उपजे विवाद का था.

जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में 27 साल के गुलज़ार अपने परिवार के साथ रहते थे. वहीं पड़ोस में रहने वाली 19 साल की आरती साहू से चार साल पहले उन्हें मोहब्बत हो गई. दो साल पहले इस प्रेम प्रसंग का पता दोनों परिवारों को चला तो आरती के परिवार की ओर से सख़्ती की जाने लगी. लेकिन दोनों उसके बावजूद छुप छुप कर मिलते रहे.

पिछले साल इन दोनों ने शादी का फ़ैसला लिया. शादी दोनों जबलपुर में करना चाहते थे लेकिन जब कोर्ट पहुंचे तो वहां पर लड़की के पिता के दोस्त मिल गए और उन्होंने सारी बात घर पर बता दी. इसके बाद आरोप है कि परिवार वालों ने आरती की जमकर पिटाई की और इसके चलते आरती को अस्पताल में इलाज करवाना पड़ा.

आरती के चोट से उबरने के बाद दिसंबर में दोनों ने मुंबई में शादी का फ़ैसला किया. उसके लिए उन्होंने पहले ही वकील से बात कर ली थी. लीड इंडिया ग्रुप के सुभाष सिंह ने दोनों की मदद की. यह ग्रुप इस तरह की शादी कराने में मदद करता है.

गुलज़ार ने बताया, “27 दिसंबर को हम दोनों ट्रेन के ज़रिए जबलपुर से मुंबई के लिए भागे. 28 तारीख़ को पहुंचकर हम दोनों ने सीधे बांद्रा कोर्ट पहुंचकर शादी की. मेरी मदद के लिए पहले से ही वकील मौजूद थे.”

इसके बाद इन लोगों ने इसकी सूचना स्पीड पोस्ट के ज़रिए परिवार के साथ ही पुलिस थाने में भेजी. उसके बाद दोनों मुंबई में ही रहने लगे. लेकिन फ़ोन कॉल्स के ज़रिए दोनों तक 11 जनवरी को जबलपुर पुलिस और लड़की के भाई और रिश्तेदार मुंबई पहुंच गए. वहां पर परिवार वालों ने गुलज़ार के साथ बदतमीज़ी की.

हाई कोर्ट का आदेश

इसके बाद दोनों को जबलपुर के ओमती थाने ले जाया गया. वहीं पर दोनों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लड़की के परिवार वालों ने करवाई थी.

12 जनवरी को पहुंचने के बाद लड़की के बयान लिए गए उस वक़्त भी आरती ने अपने पति के साथ रहने की बात कही. वहीं गुलज़ार को दूसरे सिविल लाइन्स थाने में भेज दिया गया. जबकि आरती को थाने में ही रखा गया और उस पर लगातार उसके परिवार वाले दबाव बनाते रहे ताकि वो बयान बदल दें.

इस दौरान आरती ने आरोप लगाया कि ओमती थाने के पुलिसकर्मियों ने उस पर बयान बदलने का दबाव डाला और धमकी दी कि ऐसा नहीं करने पर वो उसके पति को ड्रग्स के मामले में फंसा कर जेल भेज देंगे.

गुलज़ार ने बताया, “मुझ पर दबाव बनाया गया कि मैं अपनी पत्नी को एक दिन के लिए घर भेज दूं लेकिन मैं तैयार नहीं हुआ. फिर मुझे उसे छोड़ने के लिए कहने लगे.”

गुलज़ार पर भी पुलिस ने बयान बदलने के लिए दबाव डाला. पति पत्नी का आरोप है कि उसके बाद दोनों की पिटाई ओमती थाने की पुलिस ने की. उसके बाद जब आरती नहीं मानी तो उसके परिवार वाले उसे खींच कर अपने साथ ले गए जबकि पुलिस की पिटाई से गुलज़ार बेहोश हो गए, जिसके चलते पुलिस को उन्हें अस्पताल ले कर गई.

ओमती थाना के इंचार्ज एस पी सिंह बघेल ने इस बात से इंकार किया है कि पुलिस ने किसी भी तरह से दंपत्ति के साथ मार पीट की है. उन्होंने कहा, “इस मामलें में पुलिस ने नियमों का पालन किया है और मारपीट के आरोप सही नही है.”

आरती का कहना है कि परिवार वाले उन्हें लेकर वाराणसी चले गए जबकि अस्पताल से कुछ देर बाद छुट्टी मिलने पर गुलज़ार अपने घर पहुंचे.

कुछ दिनों के अंदर गुलज़ार के पास उनकी पत्नी का फ़ोन आया और उन्होंने अपनी स्थिति की जानकारी बताई. इसके बाद गुलज़ार ने दिल्ली में सुभाष सिंह के लीड इंडिया ग्रुप के वकीलों की मदद ली. उन्होंने गुलज़ार को हेबियस कॉर्पस लगाने की सलाह दी. जिसे उसने 17 जनवरी को कुछ वकीलों की मदद से लगाई. हैबियस कॉपर्स क़ानून की वह व्यवस्था है जिसके तहत कोई शख़्स किसी के गैरक़ानूनी ढंग से बंधक बनाए जाने की शिकायत कर सकता है

गुलज़ार ने बताया, “जबलपुर के गोरखपुर थाने की पुलिस ने बहुत मदद की. ओमती थाने के पुलिसकर्मियों के उलट वो लोग हर तरह से मदद दे रहे थे. उन्होंने ही आरती के परिवार पर दबाव डाला ताकि वो उसे पेश करें.”

वहीं लड़की के मुताबिक परिवार वाले नज़दीकियों के साथ मिलकर उसे मानसिक रूप से बीमार साबित करने की कोशिश भी कर रहे थे.

अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इस शादी का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि लड़की ने इस्लाम धर्म सिर्फ़ शादी के लिए अपनाया है इसलिए इस शादी को निरस्त किया जाना चाहिए और आरती को नारी निकेतन भेजने के निर्देश जारी किए जाएं.

हाई कोर्ट ने कहा कि आरती ने अपने बयान में साफ़ कर दिया है कि उसने याचिका लगाने वाले से शादी की थी और वह हर हाल में उसके साथ रहना चाहती है. वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि उसकी उम्र को लेकर भी किसी भी तरह का विवाद नहीं है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतर-धार्मिक जोड़े को विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार है. वहीं इस तरह के मामलों में जहां दोनों पक्ष सहमति से साथ रह रहे है वहां मोरल पुलिसिंग की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.

गुलज़ार ख़ान 8वीं तक पढ़े हैं और आरती ने 10वीं तक पढ़ाई की है. गुलज़ार पेशे से मैकेनिक हैं और उनका कहना है कि वो जीवन यापन के लिए ठीक ठाक पैसा कमा लेते हैं. वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि वो अपनी पत्नी को आगे पढ़ाना चाहते हैं ताकि वो भी कुछ काम कर सकें.

मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में से एक है जहां पर धर्म परिवर्तन को लेकर क़ानून पिछले साल बनाया गया था. मध्य प्रदेश विधानसभा में पिछले साल आठ मार्च को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ पारित किया था. इसमें किए गए प्रावधान के मुताबिक़, शादी तथा किसी अन्य कपटपूर्ण तरीक़े से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल क़ैद और एक लाख रुपये तक के ज़़ुर्माने का प्रावधान है.

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